आस्टेरियस रुबेन्स (ASTERIAS RUBENS)

 आस्टेरियस रुबेन्स (ASTERIAS RUBENS)

परिचय-

जो व्यक्ति मोटे थुलथुले और जिनकी प्रकृति साइकोटिक (प्रमेह-विष-दूषित) है, इस प्रकार के रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए। स्नायु रोग, हिस्टीरिया, कोरिया रोग (ताण्डव रोग) को ठीक करने के लिए इस औषधि का उपयोग करना चाहिए। आस्टेरियस रुबेन्स औषधि कई प्रकार के कैंसर रोग जैसे-स्तन कैंसर तथा शरीर के किसी भी भाग के कैंसर रोग को ठीक करने में उत्तम है। इस औषधि के प्रभाव से इस प्रकार के कैंसर ठीक हो जाते हैं। स्त्री तथा पुरुष की कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए इसका उपयोग उत्तम है।

स्त्रियों को सिर में दर्द तथा गर्भाशय और स्तन में दर्द तथा जलन होने लगता है तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।

यदि किसी रोगी के स्तन पर चमकीला लाल दाग दिखाई पड़ता है, जो फट जाता है और उसमें से पीब जैसे पदार्थों का स्राव होने लगता है। ऐसा घाव धीरे-धीरे सम्पूर्ण स्तन को रोग ग्रस्त कर देता है, स्तन से जो पीब जैसा पदार्थ निकलता है उसमें से बदबू आती है, घाव के किनारों पर पीलापन रहता है तथा घाव का तल लाल हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि उपयोग करना चाहिए।

आस्टेरियस रुबेन्स औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को किसी दूसरे व्यक्ति का विरोध बर्दाश्त नहीं होता है, मस्तिष्क में झटके लगते हैं और गर्मी महसूस होती है। रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे गरम हवा ने उसको घेर रखा हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का चेहरा लाल हो जाता है, नाक के दोनों ओर तथा ठोढ़ी पर और मुंह पर दाने निकल आते हैं, यौवन प्राप्ति के समय में चेहरे पर मुहासें निकलने लगते हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- स्त्रियों के पेट में दर्द होने लगता है तथा इसके साथ ही अन्य मासिकधर्म से सम्बन्धित रोग हो जाना, स्तन में सूजन होना तथा उनमें दर्द होना, बायें स्तन में अधिक कष्ट होना, स्तन में घाव होना तथा दर्द होना, बायें हाथ की उंगलियों में दर्द होना, इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। संभोग करने की उत्तेजना बढ़ जाती है तथा इसके साथ ही मन में कई ऊट-पटांग बाते आने लगती हैं। स्तन-ग्रन्थि में गांठें पड़ जाती है और कठोरता आ जाती है, लगातार हल्का-हल्का दर्द होता है और उनके आस-पास की स्नायु (नाड़ी) में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण स्त्री रोगी को है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग लाभदायक है।

स्तन से सम्बन्धित लक्षण :- स्तन फूलकर कठोर हो जाते हैं, बायें स्तन तथा बाजू के नाड़ियों में दर्द होने लगता है। छाती की हडि्डयों में दर्द होता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि बायां स्तन अन्दर की ओर खींचा जा रहा है और दर्द बाजू से लेकर छोटी उंगली के सिरे तक फैल जाता है। बायें हाथ और उसकी उंगलियों की सुन्नता बढ़ जाती है। स्तन का घाव जब कैंसर का रूप ले लेता है तब स्तन की ग्रंथियां सूज जाती हैं तथा कठोर हो जाती है और उनमें गांठें बन जाती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।

स्नायु जाल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की चाल रुक जाती है, शरीर की पेशियां इच्छानुसार कार्य नहीं करती है। कभी-कभी मिर्गी का दौरा पड़ने लगता है तथा शरीर की स्फूर्ति खत्म हो जाती है।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को कब्ज की शिकायत हो जाती है, रोगी जब मलत्याग करता है तो उसका मल जैतून जैसा होता है, रोगी को अतिसार (दस्त) हो जाता है तथा मल पानी जैसा पतला हो जाता है, मल का रंग कत्थई होता है और मल बड़ी तेजी के साथ निकलने वाला होता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर पर खुजली का दाग हो जाता है और शरीर पर एक प्रकार का ऐसा दाग हो जाता है जिसमें घाव से बदबू आती है। चेहरे पर मुहांसें हो जाते हैं, खाज हो जाता है तथा छाजन हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग करना चाहिए।

रोगी के चरित्र गत कुछ ऐसे लक्षण जिनको दूर करने के लिए आस्टेरियस रुबेन्स औषधि का उपयोग लाभदायक हैं-

* स्तन कैंसर जिसमें रोगी को खरोच मारने जैसा दर्द महसूस होता है।

* मासिकधर्म शुरु होने के पहले स्तनों का अधिक फूल जाना।

* मस्तिष्क में खून की अधिकता हो जाने के कारण सिर में दर्द होना तथा दर्द सुबह के समय में अधिक होता है।

* माथा गर्म रहना तथा रोगी को ऐसा महसूस होता कि उसका माथा आग पर रखी हुई है।

* छोटी-छोटी बात पर चिढ़ होना।

* मिर्गी का दौरा शुरु होने के चार से पांच दिन पहले ही पूरा शरीर फड़कने लगता है।

* स्त्रियों में बहुत अधिक संभोग करने की इच्छा होती है।

* बायें हाथ व उंगुलियों का सुन्नपन होना।

* कब्ज की समस्या रहने के साथ रोगी को मलत्याग नहीं होता है और होता भी है तो मल सख्त तथा गेन्द की तरह गोल होता है।

* रोगी व्यक्ति को दस्त हो जाता है।


सम्बन्ध (रिलेशन) :-

कोनियम, आर्से, कार्बो तथा कौण्डुरंगों औषधियों की तुलना आस्टेरियस रुबेन्स औषधि से कर सकते हैं।

प्रतिविश :-

प्लम्ब तथा जिंक औषधियां आस्टेरियस रुबेन्स औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करती है।

वृद्धि :-

कॉफी पीने से, रात के समय में, ठण्डे तर मौसम में, शरीर के बायें भाग में लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (ह्रास) :-

मासिक स्राव रुक या दब जाने से रोगी के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

मात्रा :-

आस्टेरियस रुबेन्स औषधि की छठी शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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