ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस (Astrgalus Mollssimus)

 ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस (Astrgalus mollssimus)

परिचय-

जिस प्रकार तम्बाकू, मारफीन तथा सुरासार का प्रभाव मनुश्यों पर पड़ता है, ठीक उसी प्रकार से ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि का प्रभाव पशुओं पर पड़ता है। शरीर में विषाक्ता (शरीर में जहर फैलना) फैलने की प्रारिम्भक अवस्था में मिथ्याभ्रम (हालल्युनेशन) अथवा पागलपन के साथ दृष्टिदोष हो जाता है जिसके कारण से रोगी पशु की तरह-तरह विचित्र, हास्यप्रद हरकतें करता है। जब एक बार पशु को यह पौधा मुंह में लग जाता है तो फिर वह कोई और चीज खाना पसन्द नहीं करता है। दूसरी अवस्था में शरीर सूख जाता है, आंखें धंस जाती हैं, बाल झाड़ने लगते हैं और शरीर में बहुत कमजोरी आ जाती है जिसके कारण चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है और कुछ ही महीनों के बाद पशु मर जाता है। ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के दाईं कनपटी और ऊपर के जबड़ों में तथा बाईं भौहें के ऊपर दर्द होता है, चेहरे की हडि्डयों में तेज दर्द होता है, चक्कर आने लगता है, जबड़ें में दबाव के साथ दर्द होता है तो ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक हो जाता है।

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के आमाशय में अधिक कमजोरी आ जाती है और उसमें खालीपन महसूस होता है, ग्रासनली और आमाशय में जलन होती है तो ऐसी स्थिति में ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि का सेवन करना चाहिए।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के दांए पैर के बाहरी भाग में एड़ी से लेकर अंगूठे तक सरसराहट होने लगती है, बाईं पिण्डली बर्फ जैसी ठण्डी महसूस होती है। ऐसी अवस्था में रोगी को ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि का सेवन कराना चाहिए।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

व्हाइट लोकोबीड, रैटल वीड, बैराइटा, एरागैलस लैम्बर्टी तथा आक्सीट्रोपिस औषधियों की तुलना ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि से कर सकते हैं।

मात्रा :-

ऐस्ट्रागैलस मोल्लिस्सीमस औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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