आर्सेनिकम मेटालिकम (Arsenicum metallicum)

 आर्सेनिकम मेटालिकम (Arsenicum metallicum)

परिचय-

पुराने रोग की छिपी हुई अवस्था को आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि बाहर कर देती है, इसके प्रयोग से छिपा हुआ रोग दूसरे से तीसरे हफ्ते में ही बाहर हो जाता है तथा शरीर के विभिन्न भागों में सूजन महसूस होती है। आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी में उत्साह की कमी होती है, उसका स्मरणशक्ति कमजोर होता है, अकेले रहने की इच्छा उत्पन्न होती है, किसी भी चीजों को देखकर चिढ़ होती है, सिर बहुत बड़ा प्रतीत होता है, सिर के बाईं ओर दर्द होता है जो आंखों और कानों के अन्दर तक फैल जाता है, नीचे की ओर झुकने और लेटने से सिर में दर्द बढ़ जाता है, माथे पर सूजन हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अकेले रहने का मन करता है, कोई उसकी ओर देखता है तो उसे गुस्सा आ जाती है, चिड़चिड़ाहट होती है, सिर में भारीपन महसूस होता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग लाभकारी है।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का चेहरा लाल और सूजन युक्त हो जाता है, चेहरे पर खुजली तथा जलन होने लगती है। आंखों में सूजन आ जाती है तथा उससे पानी निकलने लगता है और जलन होने लगती है। आंखें कमजोर हो जाती है तथा आंखों की रोशनी कम हो जाती है, रोशनी अच्छी नहीं लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के जीभ के ऊपर सफेद परत जम जाती है और उस पर दांतों के निशान पड़े रहते हैं, मुंह में दर्द होता है तथा घाव हो जाता है तथा इसके साथ-साथ दांतों में भी दर्द होने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :-

* रोगी के यकृत प्रदेश में जलन तथा दर्द होने लगता है और कंधे और रीढ़ की हड्डी फैल जाती है।

* प्लीहा रोग में होने वाला दर्द और इस दर्द का असर ऊरुसन्धि (ग्रोइन) तक होता है।

* स्तन में हाने वाला दर्द कूल्हे (हीप) और प्लीहा तक फैल जाता है।

* अतिसार, जलनयुक्त, पतला, पानी के समान दस्त होने और इसके साथ दर्द कम हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।


अतिसार (दस्त) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अतिसार हो जाता है, मलद्वार से पानी की तरह दस्त आते हैं, जब रोगी मलत्याग कर लेता है तो उसे कुछ आराम मिलता है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए।

वृद्धि :-

झुकने या नीचे की ओर देखने से, लेटने से और प्रकाश से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (ह्रास) :-

अंधेरे में, कुछ चुभाने से, तनकर बैठने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

सम्बन्ध :-

एनाकार्ड, जेल्स, फास, सल्फ, औषधियों की तुलना आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि से कर सकते है।

मात्रा :-

आर्सेनिकम मेटालिकम औषधि की छठी शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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