बैराइटा म्यूरिएटिका (बेरियम क्लोराइड) (बैरा-म्यूरि) BARYTA MURIATICA (BARIUM CHORIDE)

 बैराइटा म्यूरिएटिका (बेरियम क्लोराइड) (बैरा-म्यूरि) BARYTA MURIATICA (BARIUM CHORIDE) 

परिचय-

बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का उपयोग बूढ़े व्यक्तियों में जैवी विक्षतियों (औरगैनिक लेसंस) तथा मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार के विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। बुढ़ापे में उत्पन्न होने वाले धमनी की कठोरता एवं मस्तिष्क संबन्धी रोग में भी बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग किया जाता है। यह बुढ़ापे में होने वाले सिर दर्द, सिर का भारीपन, मस्तिष्क में खून की कमी के कारण चक्कर आना और कानों में आवाज सुनाई देना आदि लक्षणों में भी बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का उपयोग किया जाता है। बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग पोषण नली (एलीमेंट्री केनल) के लिए किया जाता है जिसका प्रभाव मुख्य रूप से मलाशय, पेशियों और जोड़ों पर पड़ता। इससे शारीरिक कमजोरी और शरीर की अकड़न दूर होती है। इस औषधि के प्रयोग से शरीर में सफेद रक्तकणों की वृद्धि होती है और वाहिका प्रजनन (वेस्कुलर डीजनरेशन) ठीक रहता है। यह औषधि नाड़ियों में उत्पन्न होने वाले तनाव को दूर करती है। यह औषधि उच्च प्रकुंचन दबाव के अनुपात में निम्न अनुशिथिलन तनाव के साथ मानसिक तथा हृदय संबन्धी लक्षणों में लाभकारी होता है। बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि अनेक प्रकार के रोग जैसे पाचन क्रिया ठीक करना, दस्त का अधिक आना, उल्टी, मिचली, ओकाई, पेट में दर्द आदि में प्रयोग किया जाता है। बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि में हृदयद्वार की कठोरता एवं सिकुड़न को दूर करने की शक्ति पाई जाती है। यह भोजन करने के तुरन्त बाद हृदय में उत्पन्न होने वाले दर्द को दूर करता है। पेट स्पर्शकतार हो जाता है। बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग धमनी विस्फार तथा गलतुण्डिका के जीर्ण विवर्धन में भी लाभकारी होता है।

जननेन्द्रिय रोग :

स्त्री और पुरुष दोनों में अधिक कामवासना उत्पन्न होने पर भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। यह आक्षेप तथा पागलपन की ऐसी अवस्था जिसमें सम्भोग की इच्छा बनी रहती है और आत्महत्या की भावना पैदा होती है। आरिगेनम, प्रसूति के लिए प्लैटि तथा पुरुष को ऐसिड पिक्रि, कैन्थर व शराबियों की तरह लक्षण पैदा होता है। इस तरह के स्त्री-पुरुष रोगों में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का सेवन करना चाहिए। इससे कामवासना दूर होती है।

पक्षाघात(लकवा) से सम्बंधित लक्षण :

पक्षाघात की ऐसी स्थिति जिसमें शरीर बर्फ की तरह ठण्डा हो जाता है। इस तरह के पक्षाघात में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग पक्षाघात को ठीक करता है। यह औषधि मस्तिष्क और मेरूदण्ड की कठोरता तथा पेशियों की शक्ति कम हो जाती है। इन्फ्लुएंजा और डिफ्थीरिया के बाद आंशिक पक्षाघात, सुबह के समय सुस्ती, हाथ-पैरों में कमजोरी, पेशियों में अकड़न आदि में भी बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का सेवन करना चाहिए।

जिस बच्चे को मुंह खोलकर हर समय रहने की आदत हो उसे भी यह औषधि दी जा सकती है। बुद्धिहीन तथा बहरेपन में भी यह औषधि लाभकारी है।

कान रोग से सम्बंधित लक्षण :

कानों में भिनभिनाहट, किसी चीज को चबाते या निगलते समय या छींकते समय कानों में आवाज होना। कानों का ऐसा दर्द जो ठण्डे पानी पीने से ठीक हो जाता हो। कान के जड़ में सूजन आ जाना तथा कानों से बदबूदार पीब का निकलना। नाक साफ करने से कान के बीच का भाग फैल जाना आदि कानों के रोगों में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग करें। इससे कान के सभी रोग ठीक होते हैं।

गले का रोग :

गले के रोग से ग्रस्त होने पर भोजन निगलने में परेशानी होती है। गले की ग्रिन्थयां सूज जाती है तथा कम्बुकर्णी नलियों में सुन्नता अनुभव होना साथ ही छींकें और कानों में आवाजें आना। ऐसा महसूस होना मानो गले की नली अधिक फैल गई हो। इस तरह के गले के रोग में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का सेवन करना चाहिए।

श्वास रोग से सम्बंधित लक्षण :

बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग सांस रोग में किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग बुढ़ापे में सांस नली में उत्पन्न सूजन तथा हृदय के फैल जाने से होने वाली परेशानी में किया जाता है। यह औषधि फेफड़ों में जमी हुई बलगम को निकालता है। हृदय की नाड़ियों में कठोरता को दूर करने में किया जाता है। यह बुढ़ापे के कारण सांस रोग में धमनियों के तनाव को कम करता है।

आमाशय रोग :

आमाशय रोग के कारण अधिजठर में खालीपन महसूस होना। उबकाई और वमन आना तथा सिर की ओर चढ़ती हुई गर्मी का अनुभव होना आदि आमाशय रोग में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का प्रयोग सावधानी के साथ किया जा सकता है।

मूत्र रोग :

पेशाब में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तथा क्लोराइड पदार्थ कम हो जाता है। मूत्र रोग में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि का सेवन करें।

पेट के रोग :

पेट के विभिन्न रोग जैसे जलन, क्लोमगन्थि की कठोरता, पेट की धमनियों का फैल जाना, वक्षण ग्रन्थियों की सूजन तथा मलाशय में आक्षेपयुक्त दर्द आदि में बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि के सेवन से लाभ मिलता है।

तुलना :

बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि की तुलना प्लम्बम आयोड, औरम म्यूरि से किया जाता है।

मात्रा :

बैराइटा म्यूरिएटिका 3x या 200 शक्ति सेवन किया जा सकता है। यह औषधि रोगों में धीरे-धीरे असर करती है। अत: इसकी मात्रा को दोहराया जा सकता है।

सावधानी :

बैराइटा म्यूरिएटिका औषधि को मात्रा से अधिक सेवन करने पर रोगी में कुबड़ापन आ सकता है। इस औषधि से शरीर में सफेद रक्तकण बढ़ता है। अत: इसके अधिक सेवन से चेहरा सफेद सा हो जाता है।


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