परिचय-
ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रभाव जननेन्द्रियों पर बहुत अधिक पड़ता है। यह औषधि उत्तेजना की शक्ति को घटाने के साथ मन में उदासी लाती है, लेकिन यदि स्नायु-ऊर्जा (नर्वस एंर्जी) नष्ट हो गई हो तो ऐसी अवस्था में इसका प्रयोग लाभदायक है। ऐग्नस कैस्टस औषधि का विशेष प्रभाव स्त्री तथा पुरुषों दोनों के प्रजनन अंगों पर पाया जाता है, लेकिन पुरूषों पर इसका अधिक प्रभाव होता है।
अधिक कामवासना के फलस्वरूप समय से पहले ही बुढ़ापा की अवस्था उत्पन्न हो गई हो तो ऐसे व्यक्तियों को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि बहुत अधिक लाभदायक है।
मोच तथा मरोड़ को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि बहुत अधिक लाभदायक है। शरीर के सभी भागों, विशेषकर आंखों में चुभने जैसी खुजली होती है तो इस औषधि का प्रयोग लाभकारी है।
स्नायुविक प्रकृति वाले व्यक्तियों में अधिक तम्बाकू का सेवन करने से होने वाले रोगों को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
जो लोग काम की उत्तेजना में अन्धे होकर दुष्कर्म करके अपने शुक्राणु को नष्ट करते हैं, वे ही स्नायु कमजोरी के रोग से पीड़ित होते हैं और निकम्मा और निंन्दायुक्त जीवन व्यतीत करते हैं। स्नायु में अत्यधिक कमजोरी अर्थात मस्तिष्क शून्यता और नाड़ियों का ठीक प्रकार से कार्य न करने पर ऐग्नस कैस्टस औषधि का उपयोग लाभदायक है।
जो व्यक्ति जवानी में अधिक मौज-मस्ती करते रहे हैं और कामवासना में अधिक डूबे रहने के कारण शारीरिक रूप से कमजोर तथा नपुंसक हो जाते हैं, उनके रोग को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि का उपयोग लाभकारी है।
ऐग्नस कैस्टस औषधि निम्नलिखित लक्षणों में उपयोगी हैं-
मन से सम्बन्धित लक्षण :- लैंगिक दोष (सेक्सुअल मेलंकोली) उत्पन्न होना, मृत्यु का भय होना। अधिक उदासी के साथ जल्दी मृत्यु का भय महसूस हो रहा हो। मन-मस्तिष्क स्थिर न रहना, याददास्त कमजोर होना, किसी कार्य को करने में उत्साह न होना। मछली तथा कस्तूरी की गंध महसूस होना, स्नायु में अधिक कमजोरी होना और इन लक्षणों से पीड़ित रोगी भविष्यवणियां करता रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखों की पुतलियां फैली हुई हो, आंखों के आस-पास चारों ओर खुजली हो रही हो तथा अधिक भय हो तो ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
नाक से सम्बन्धित लक्षण :- मछली तथा कस्तूरी की बदबू महसूस हो रही हो तथा नाक के नथुने के पिछले भाग में दर्द हो रहा हो जो दबाने से कम होता है, इस प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- तिल्ली में सूजन आ गई हो तथा इसके साथ तेज दर्द हो रहा हो। मल मुलायम हो रहा हो तथा मलान्त्र में वापस चला जाता हो, मलत्याग करने में बहुत अधिक परेशानी हो रही हो। मलद्वार पर गहरी दरारें पड़ गई हो। रोगी को जी मिचलाने के साथ ऐसा महसूस हो रहा हो कि आंतें नीचे की ओर दबा दी गई हैं तथा अंतों को सहारा देने का मन कर रहा हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को पीले रंग का पेशाब हो रहा हो, लिंग में उत्तेजना न हो। नपुंसकता रोग हो गया हो। प्रजनन अंग ठण्डे तथा ढीले पड़ गये हो। रोगी को संभोग करने की इच्छा समाप्त हो गई हो। सम्भोग क्रिया करे बिना ही वीर्यपात हो जाता हो। कोई पुराना सुजाक रोग हो। अण्डकोष ठण्डे, सूजे हुए, कठोर तथा दर्दनाक हो गए हों। इनमें से कोई भी लक्षण यदि रोगी में हैं तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकधर्म के समय में स्राव बहुत कम हो रहा हो। सम्भोग करने के प्रति घृणा हो रही हो, जननांग ढीले पड़ गए हो तथा इसके साथ प्रदर (योनि से पीला या पारदर्शी रंग का स्राव होना) रोग हो गया हो। स्तनों में दूध की कमी हो गई हो तथा उदासीपन महसूस हो रहा हो। बांझपन रोग हो गया हो। दिमाग में गर्मी होने के कारण पागलपन की स्थिति उत्पन्न हो गई हो तथा इसके साथ ही नाक से खून निकल रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी स्त्री को है तो उसके लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐग्नस कैस्टस औषधि देना चाहिए।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
अधिक वीर्यपात करने तथा स्त्रियों को अधिक रक्तस्राव होने और किसी भी प्रकार से शरीर का खून अधिक नष्ट होने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
ऐग्नस कैस्टस औषधि के कुछ गुणों की तुलना सेलीनियम, कैम्फर, फास्फोरिक एसिड, लाइकोपोडियम औषधि से कर सकते हैं।
नपुंसकता रोग को ठीक करने में ऐग्नस कैस्टस औषधि से कैलेडियम सेलेनियम औषधि की तुलना की जा सकती है।
मात्रा (डोज) :-
ऐग्नस कैस्टस औषधि की प्रथम से छठी शक्ति का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
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