नेट्रम फास्फोरिकम Natrum Phosphoricum

 नेट्रम फास्फोरिकम Natrum Phosphoricum

परिचय-

किसी व्यक्ति को ज्यादा दिमागी मेहनत करने से, ज्यादा संभोग करने के कारण, बुरे काम करने के कारण शरीर में कमजोरी आ जाती है उस समय नेट्रम फास्फोरिकम औषधि बहुत अच्छा असर करती है। विभिन्न रोगों के लक्षणों में नेट्रम फास्फोरिकम औषधि से होने वाले लाभ-

मन से सम्बंधित लक्षण : मानसिक रोगों के लक्षणों में रोगी रात को जागता रहता है और अपने ही मन में अजीब-अजीब से ख्याल पैदा करता रहता है जैसे कि उसे लगता है कि उसके साथ वाले कमरे में कोई चल रहा है पर असल में वह कमरा खाली होता है, किसी टेबल-कुर्सी आदि उसको दूसरे व्यक्तियों की तरह लगने लगते हैं। इस तरह के लक्षणों में अगर रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि दी जाए तो ये उसके लिए काफी लाभकारी साबित होती है।

सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर में हर समय होने वाला दर्द खासतौर पर गुद्दी, कनपटी, माथे और आंखों के ऊपर के भाग पर दर्द का होना, मासिकधर्म के आने के समय में, मासिकधर्म के आने के दौरान और मासिकधर्म के समाप्त होने के बाद में स्त्रियों को होने वाला सिर का दर्द, ज्यादा संभोगक्रिया में लगे रहने के कारण होने वाला सिर का दर्द, ज्यादा शोर होने के कारण होने वाला सिर का दर्द आदि सिर के रोगों के लक्षणों में रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण- रोगी की आंखों में से हर समय पीले से रंग का चमकने वाला स्राव सा आते रहना, आंखों की पुतलियों का सिकुड़ सा जाना, आंखों के अन्दर के सफेद भाग का पीला सा हो जाना आदि लक्षणों के आधार पर नेट्रम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग लाभदायक रहता है।

कान से सम्बंधित लक्षण- रोगी का एक कान गर्म होकर लाल हो जाता है जिसमें हर समय खुजली सी होती रहती है, पेट के खराब होने के साथ-साथ पेट में गैस सी बनने लगती है। इन लक्षणों में अगर रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि दी जाए तो उसको काफी लाभ मिलता है।

नाक से सम्बंधित लक्षण- रोगी की नाक में बहुत तेज खुजली होना, नाक से बदबू सी आना, नाक की नली जुकाम होने के साथ ही नाक से गाढ़ा, पीले रंग का और बदबू के साथ स्राव सा आना जैसे लक्षणों में रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि देने से लाभ होता है।

मुंह से सम्बंधित लक्षण- होंठों और गालों के अन्दर के भाग में जलन के साथ जख्म सा होना, जीभ की नोक पर छाले निकलना, जिसमें ऐसा दर्द होता है जैसे किसी कीड़े ने काट लिया हो, किसी भी चीज को खाने के बाद निगलने में बहुत ज्यादा परेशानी होना, मुंह के अन्दर तालू के पीछे के भाग पर पीले रंग की चमकदार परत का जमना, गलतुण्डिकाओं तथा मुलायम तालु के ऊपर मोटी सी परत का जमना आदि मुंह के रोगों के लक्षणों में रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण- आमाशय के रोगों के लक्षणों में रोगी को खट्टी डकारों के साथ ही खट्टी सी उल्टी आती है, हरे रंगों के दस्त से आते हैं, भोजन करने के बाद उल्टी कर देना आदि लक्षणों में रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि देने से लाभ होता है।

स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण- स्त्री को मासिकस्राव समय से काफी दिन पहले आ जाना, मासिकस्राव का पानी जैसा पीले रंग का आना, स्त्री का मां न बन पाना (बांझपन), योनि से खट्टा सा स्राव का आना, गर्भाशय से खट्टे से स्राव का आना, सुबह के समय गर्भवती स्त्री को होने वाली उल्टी औरपरेशानियां और खट्टी उल्टी होना आदि लक्षणों में रोगी स्त्री को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि देने से लाभ मिलता है।

पुरुष रोगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी को रात में सोते समय स्वप्नदोष हो जाना, कमर में दर्द होना, शरीर के अंगों मे कंपन, लिंग में उत्तेजना ना होना पर यौन उत्तेजना का तेज होना, सुजाक रोग होना आदि लक्षणों के आधार पर नेट्रम फास्फोरिकम औषधि का प्रयोग करना लाभकारी रहता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी के घुटने के जोड़ में गठिया का दर्द होने जैसे लक्षणों में अगर उसे नेट्रम फास्फोरिकम औषधि दी जाए तो इससे काफी लाभ होता है।

चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण- रोगी की त्वचा का पीला होना, शरीर के अलग-अलग भागों में खुजली सी होना, ठण्ड लगने के कारण पैदा होने वाला कफ, विसर्प, दिन के समय पैरों का बिल्कुल ठण्डा सा होना लेकिन रात होते ही पैरों में जलन होने लगती है, लसीका-ग्रन्थियों में सूजन आना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि का सेवन कराना लाभकारी रहता है।

पीठ से सम्बंधित लक्षण- रोगी को हर समय थकान सी महसूस होना, हाथों की कलाइयों और उंगलियों के जोड़ों में हल्का-हल्का सा दर्द होना, श्लेष्मिक-कला की कड़कड़ाहट, गठिया रोग के कारण जोड़ों में सूजन आ जाना आदि लक्षणों में रोगी को नेट्रम फास्फोरिकम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

तुलना-

नेट्रम फास्फोरिकम औषधि की तुलना नेट्रम लेक्टिक, नेट्रम नाइट्रोसम, नेट्रम सिलिकोपलोरिकम, नेट्रम सेलीनि, नेट्रम सल्फ्यूरोसम, नेट्रम सल्फोकाबॉल, नेट्रम टेल्लूरिकम, कल्के, रोबीनि, फास्फो से की जा सकती है।

मात्रा-

रोगी को उसके रोग के लक्षणों के आधार पर नेट्रम फास्फोरिकम औषधि की 3x से लेकर 12x शक्ति के विचूर्ण देने से रोगी ठीक हो जाता है। 


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