बुफो राना Bufo Rana

 बुफो राना Bufo rana

परिचय-

बुफो औषधि मुख्य रूप से स्नायुजाल और त्वचा पर विशेष रूप से क्रिया करती है। इस औषधि के सेवन से जरायु संबन्धित कुछ लक्षण भी उत्पन्न होते हैं। लकवा रोग के कुछ लक्षणों में बुफो औषधि के प्रयोग से रोग ठीक होता है। बुफो औषधि व्यक्ति में निम्न वासनाओं को उत्तेजित करती है और मादक पेय पदार्थो के सेवन की इच्छा जगाती है, साथ ही इस औषधि के सेवन से नपुंसकता बढ़ती है।

बच्चों में बुद्धि के विकास के लिए इस औषधि का सेवन लाभकारी है। इसके अतिरिक्त बुढ़ापा, मिर्गी, रात को सोते समय आक्षेप (बेहोशी) के दौरे पड़ना, यौन संबन्धी रोग तथा हाथ-पैर, उंगुलियां आदि में चोट लगने से उत्पन्न होने वाले लहरयुक्त दर्द आदि रोगों में लाभकारी होता है।

शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर बुफो औषधि का उपयोग :-

1. मन से संबन्धित लक्षण :

कभी-कभी मानसिक रोगों के कारण व्यक्ति को अपने मन में स्वास्थ्य के बारे में चिन्तित होना, दु:ख अनुभव होना, व्याकुल रहना, दान्तों काटने का स्वभाव पैदा होना, जोर-जोर से गुर्राना, हतोत्साहित होना, घबराना तथा शक्ति का कम होना, अकेला रहना अच्छा लगना तथा बुद्धि का विकास कम होना आदि रोगों में बुफो औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है तथा रोगी में बुद्धि का सही विकास होता है।

2. सिर से संबन्धित लक्षण :

सिर में ऐसा महसूस होना मानो सिर के अन्दर से गर्म-गर्म भाप निकलकर कपाल के ऊपर जा रहा है। दिमाग का सुन्नपन अर्थात कुछ भी समझ में न आना, चेहरे से अधिक पसीना गिरना, चेहरा तमतमाया हुआ और सिर में दर्द होना, नाक से खून का बहना, अधिक गुस्सा आने के कारण चेहरा लाल हो जाना और सिर में ऐसा दर्द जिसमें नाक से खून निकलने पर आराम मिलना। इस तरह के सिर रोग से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बुफो औषधि का प्रयोग किया जाता है।

3. चेहरे से संबन्धित लक्षण :

चेहरे की सूजन, मुंह और आंखें सुन्न पड़ जाना या लकवा मारना तथा चेहरे पर पसीना अधिक आना आदि चेहरे के रोगों के लक्षणों में बुफो औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

4. आंखों से संबन्धित लक्षण :

अधिक रोशनी में आंखें चौंधिया जाना तथा आंखों में छोटे-छोटे छाले बनना, आंखों के गोले ऊपर की ओर घुमे हुए, बाईं आंख का बंद हो जाना आदि आंखों में उत्पन्न लक्षणों में बुफो औषधि सेवन करने से लाभ मिलता है।

5. जीभ से संबन्धित लक्षण :

लकवा मारने से पहले जीभ का लपलपाना तथा रोगी की आवाज लड़खड़ाकर या हकलाकर निकलना जिसके कारण उसकी बातें जल्द न समझ पाना तथा रोगी को गुस्सा अधिक आना। ऐसे में रोगी को बुफो औषधि का सेवन कराएं। 

6. कान से सम्बंधित लक्षण :

तेज आवाज सहन नहीं कर पाने के कारण संगीत आदि सुनने की इच्छा न होना, कान का बहना तथा बाहरी कान का पककर खून निकलना आदि कान रोगों से संबन्धित लक्षणों में बुफो औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

7. हृदय से संबन्धित लक्षण :

हृदय बहुत बड़ा महसूस होना तथा धड़कन तेज होना। हृदय के आस-पास सिकुड़न महसूस होने के साथ ऐसे महसूस होना मानो हृदय पानी में तैर रहा हो। ऐसे लक्षण वाले रोगी को बुफो औषधि दें।

8. मिर्गी रोग से संबन्धित लक्षण :

रोगी यदि गुस्सा के साथ जोर से चिल्लाता है तो समझना चाहिए कि रोगी को मिर्गी का दौरा पड़ने वाला है। जननेिन्द्रय में उत्तेजना का अभाव तथा जननेन्द्रिय में सुरसुरहट आने पर भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है तथा मिर्गी के दौरे के बाद रोगी में अधिक नीन्द आने के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसे लक्षणों में रोगी को बुफो औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है। मिर्गी के कुछ लक्षण जैसे- आवाज या रोशनी से मिर्गी का दौरा पड़ना, पांव का ठण्डा पड़ जाना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, सिर के एक ओर या दांई अथवा बांई ओर खिंचाव होना तथा मिर्गी के दौरान पीछे की ओर खिंचाव होना आदि रोगों में बुफो औषधि का सेवन लाभकारी होता है।

9. स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण :

मासिक धर्म समय से पहले तथा अधिक मात्रा में आना, दूसरी अवधि के दौरान थक्के और खून निकलना, प्रदर में पानी आना, उत्तेजना के साथ मिर्गी का दौरा पड़ना, मासिक स्राव के समय मिर्गी का दौरा पड़ना।

स्तनों की कठोरता, स्तनों का कैंसर, डिम्बग्रन्थियों और जरायु की जलन आदि में बुफो औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। जरायु ग्रीवा के घाव, दुर्गन्धित और खून निकलने के साथ दर्द पैरों तक फैल जाना। स्तनों से खून मिला हुआ दूध निकलना। प्रसव के बाद पैरों की सूजन होना जो खून की रुकावट के कारण पैदा होती है। शिराओं की सूजन तथा गर्भाशय में फोड़ा होना आदि रोग में बुफो औषधि का प्रयोग किया जाता है।

10. पुरुष रोग से संबन्धित लक्षण :

स्वप्नदोष, नपुंसकता, शीघ्रपतन, सम्भोग के समय मिर्गी का दौरा पड़ना, गर्मी का रोग, हस्तमैथुन आदि पुरुष रोगों में बुफो औषधि का प्रयोग करें।

11. बाहरी अंगों से संबन्धित लक्षण :

जांघों का दर्द, अंगों में सुन्नपन तथा ऐंठन वाला दर्द होना, लड़खड़ाकर चलना तथा जोड़ों में कील चुभने जैसा दर्द होना व हड्डियों की सूजन में बुफो औषधि का सेवन किया जाता है।

12. त्वचा से संबन्धित लक्षण :

नाखून में घाव होने के साथ उत्पन्न होने वाले तेज दर्द जो नाखून के घाव से शुरू होकर हाथों के ऊपरी भाग तक पहुंच जाता है ऐसे दर्द में बुफो औषधि का सेवन किया जाता है। त्वचा की सुन्नता, त्वचा की फुंसियां, त्वचा पर हल्की चोट लगने पर घाव बन जाना, त्वचा पर निशान छोड़ने वाले छाले होना जिनमें खुजली पैदा करने वाली पीब भर जाती है तथा हथेलियों व तलुवों पर छाले, खुजली व जलन होना आदि त्वचा रोगों में बुफो औषधि का प्रयोग किया जाता है। बुफो औषधि का प्रयोग पुराने घाव होने पर भी लाभकारी है।

तुलना :

बुफो औषधि की तुलना बैराइटा-का, ऐस्टेरियस, सालमेण्डरा से की जाती है तथा इन औषधियों में मिर्गी को ठीक करने तथा मस्तिष्क में विनम्रता के लक्षण पैदा करने की शक्ति होती है।

प्रतिविष :

बुफो औषधि के सेवन से होने वाले हानि को समाप्त करने के लिए लैकेसिस तथा सेनेगा औषधि का प्रयोग किया जाता है।

पूरके :

बुफो औषधि तथा सालमेण्डरा एक दूसरे की पूरक औषधि है।

वृद्धि :

गर्म कमरे या गर्म स्थान पर तथा जागने पर रोग बढ़ता है।

शमन :

नहाने, खुली हवा में घूमने तथा गर्म पानी में पैर रखने से रोग में आराम मिलता है।

मात्रा :

बुफो औषधि के 6 से 200 शक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है।


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