फेरम आयोडेटम Ferrum Iodatum

 फेरम आयोडेटम Ferrum Iodatum

परिचय-

फेरम आयोडेटम औषधि आयरन और आयोडीन को होमियोपैथिक तरीके से मिश्रण करके बनाया जाता है। फेरम आयोडेटम औषधि अनेक प्रकार के रोग जैसे- गले की गांठें, ग्रिन्थयों के रोग तथा फोड़े आदि को ठीक करता है। यह औषधि गुच्छे के रूप में उत्पन्न होने वाले फोड़े को नष्ट करती है और विस्फोटक (चेचक) रोग होने पर गुर्दे की सूजन आदि को दूर करती है। यह औषधि गर्भाशय की झिल्ली का चिर जाना तथा शरीरिक कमजोरी को दूर करती है। यह औषधि खून की कमी को दूर करता है। फेरम आयोडेटम औषधि का प्रयोग खून की कमी (रक्ताल्पता), भूख न लगना, पेशाब में सफेद पदार्थ का आना। पीलिया आदि रोगों में भी लाभकारी होता है। यह औषधि मासिकधर्म रुक जाने के कारण नेत्रोत्सेधी तथा गलगण्ड (एक्सोफ्थाल्मीक गोइट्रे) रोगों को ठीक करता है। शरीर में जैवी द्रव्य के समाप्त होने के बाद शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए फेरम आयोडेटम औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है। चेहरे पर पीले रंग की फुंसियां उत्पन्न होने पर तथा चेहरे का लाल होना आदि रोगों में इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।


शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर फेरम आयोडेटम औषधि का उपयोग :-

आमाशय से संबन्धित लक्षण :- भोजन करने के बाद गले में ही भोजन अटका हुआ महसूस होना आदि लक्षणों में रोगी को फेरम आयोडेटम औषधि का सेवन कराने से रोग ठीक होता है।

पेट से संबन्धित लक्षण :- हल्का भोजन करने पर भी पेट भरा हुआ महसूस होना, पेट फूला हुआ महसूस होना तथा आगे झुकने पर परेशानी होना आदि लक्षणों में फेरम आयोडेटम औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

गले से संबन्धित लक्षण :- गले में अटकने जैसा महसूस होने के साथ सुई चुभन जैसा दर्द होना। गले का दर्द दो भागों में बंटकर दूर तक फैल जाना तथा गले में कर्कशता महसूस होना। इस तरह के लक्षणों वाले रोगियों को फेरम आयोडेटम औषधि का सेवन कराने से रोग ठीक होता है।

सांस संस्थान संबन्धित लक्षण :- अधिक नजला बनना तथा नाक, सांस नली तथा स्वरयन्त्र से श्लैमा का अधिक निकलना। उरोस्थि के नीचे दबाव महसूस होना। नाक में कंठमाला की तरह सूजन होना। छाती में घुटन महसूस होना तथा रक्तनिष्ठीवन (हीमोप्टिसीज) आदि लक्षणों में रोगी को फेरम आयोडेटम औषधि का सेवन करान से रोग ठीक होता है और नजला आदि निकल जाता है।

मूत्र से संबन्धित लक्षण :- पेशाब गहरे रंग का आना। पेशाब में मीठे गंध का आना। मूत्रनली व मलाशय में कुछ चलने जैसा महसूस होना। कभी-कभी पेशाब करते हुए ऐसे महसूस होना मानो पेशाब मूत्रनली के नोक पर अटक गया हो। पेशाब करने में परेशानी व दर्द का अनुभव होना। खून की कमी तथा बच्चों में बिस्तर में पेशाब करने की आता। इस तरह के लक्षणों के रोगियों को फेरम आयोडेटम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। इससे मूत्र रोग के सभी परेशानी समाप्त होती है।

स्त्री रोग से संबन्धित लक्षण :- अधिक देर बैठने पर ऐसा महसूस होना मानो कोई चीज योनि के अन्दर घुसा जा रहा हो। योनि में नीचे की ओर अधिक दबाव महसूस होना। गर्भाशय की पश्चनति (रेट्रोवर्शन) और स्थानच्युति (प्रोलैप्स)। प्रदर रोग में योनि से सफेद रंग का गाढ़ा पदार्थ का निकलना। मासिकधर्म का रुक जाना या मासिकधर्म का कम मात्रा में आना। योनि में खुजली के साथ दर्द होना। स्त्रियों में इस तरह के लक्षणों को ठीक करने के लिए फेरम आयोडेटम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। इससे स्त्री रोग ठीक होता है। गर्भाशय को छूने से तेज दर्द होना, कपाटों में जलन व खुजली होना। गर्भाशय की सूजन आदि सभी लक्षणों में फेरम आयोडेटम औषधि का प्रयोग से रोग ठीक होता है।

मात्रा :-

फेरम आयोडेटम औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग किया जाता है।


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