परिचय-
आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रभाव शरीर के प्रत्येक अंग तथा ऊतकों पर पड़ता है। अधिक शक्तिशाली मनुष्य के रोगों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जो लोग मलेरिया, आतशक या अन्य किसी प्रकार के पुराने रोग भोगने के बाद या किसी प्रकार का स्राव या निकास रुक जाने के बाद दुबले पतले, रक्तहीन हो गये हों या उनकी जीवनी-शक्ति कमजोर हो गई हो तो ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी का रोग ठीक करने के लिए आर्सेनिक औषधि का उपयोग करना चाहिए।
यदि रोगी अधिक कमजोर हो गया हो, अधिक थकान हो रही हो, बेचैनी हो रही हो तथा इसके साथ ही उसके रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, हल्का सा परिश्रम करने के बाद भारी थकान महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
रोगी यदि दिमागी रूप से अधिक कमजोर है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
रोगी के शरीर में जलन के साथ दर्द होता है तथा इसके साथ ही रोगी को प्यास लगती है जो पानी पी लेने के बाद भी प्यास नहीं बुझती है, गर्मी लगने पर शरीर की जलन कम हो जाती है। इस प्रकार के लक्षण होने पर आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
नशीली चीजों का सेवन करने, खाद्य पदार्थो के साथ जहरीले चीजों को खाने, कीटाणुओं के डंक लगने, घावों के कारण, तम्बाकू चबाने, सड़ा-गला भोजन अथवा मांस खाने के दुष्प्रभावों आदि के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग कर सकते हैं।
अधिक बदबूदार घाव होने, हर साल प्रकट होने वाले रोग, शरीर में खून की कमी और हरितपाण्डु रोग (cholorisis ) अपजननात्मक परिवर्तन (degenerative ) खाद्य पदार्थों में पोषण की कमी हो जाने के कारण धीरे-धीरे वजन कम हो जाने की अवस्था प्रकट होना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग उन रोगियों पर करते हैं जिन्हें बहुत अधिक परेशानी होती है तथा बेचैनी होती है, रोगी एक स्थान से दूसरी स्थान पर भागना चाहता है। रोगी के अन्दर अचानक से पागलपन की स्थिति पैदा हो जाती है, उसकी जीवनी-शक्ति नष्ट होने लगती है, शरीर में दर्द के साथ जलन भी होने लगती है। रोगी को अधिक प्यास लगती है लेकिन एक बार में कम पानी पीता है क्योंकि ठण्डा पानी उसे नापसन्द होता है।
जिन रोगियों को सांस लेने में परेशानी होती है, हिलने-डुलने, विशेष रूप से सीढ़ियां चढ़ने पर, परेशानी अधिक बढ़ जाती है। एक साथ दस्त और उल्टी होने लगती है, कुछ भी खाना खाने तथा पीने से उल्टी और भी तेज होती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
आर्सेनिकम एल्बम औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-
मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बहुत अधिक भारीपन महसूस होता है तथा बेचैनी भी होती है, लगातार रोगी अपना स्थान बदलता रहता है, मृत्यु तथा अकेलापन महसूस होता है तथा डर लगता रहता है, रोगी को अधिक भय लगता है तथा उसके शरीर से ठण्डा पसीना निकलता है, रोगी सोचता है दवाई खाना बेकार है, आत्महत्या करने की सोचता है। गन्ध एवं दृष्टि सम्बन्धी भ्रम हो जाता है, अधिक निराशा होती है, रोगी कंजूस हो जाता है तथा स्वार्थी होने के साथ ही साहस की कमी भी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होता है, ठण्ड से आराम मिलता है, किन्तु दूसरे कष्ट बढ़ते हैं, नियत समय पर प्रकट होने वाली जलनयुक्त पीड़ा के साथ बेचैनी होती है साथ ही त्वचा ठण्डी पड़ जाती है। रोगी के आधे सिर में दर्द होने लगता है, खुली हवा में रहने पर कुछ आराम मिलता है, रोगी को जोर-जोर से खांसने की आदत पड़ जाती है, सिर लगातार हिलता रहता है। खोपड़ी में तेज खुजली होती है, रोगी के बाल वाले स्थान पर गोल चकत्तेदार दाग पड़ जाते हैं, चकत्ते खुरदरे, गंदे, संवेदनशील और सूखी पपड़ियों की तरह होती हैं, रात के समय में इन चकत्तों में जलन होती है और खुजली हो जाती है तथा रूसी भी हो जाती है। इन कारणों की वजह से रोगी की खोपड़ी अति संवेदनशील हो जाती है, बाल इतने गंदे हो जाते हैं कि बालों को ब्रुश से साफ करना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की आंखों में जलन होने के साथ आंसू निकलते रहते हैं, पलकें लाल हो जाती है, आंखों के आस-पास घाव हो जाता है, आंखों में पपड़ी या परतदार तथा छोटे-छोटे बारीक दानें निकल आते हैं, आंखों के आस-पास की त्वचा गरम हो जाती है, त्वचा छील जाती है, आंख से आंसू निकल आते हैं, आंख के आस-पास की नाड़ियों में दर्द होने लगाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की कान के ऊपरी भाग में जलन होने लगती है तथा उसके पास की त्वचा छिल जाती है, कान के आस-पास घाव भी हो जाता है जिनमें से बदबू आती है, जब रोगी के कान में दर्द होने लगता है तो उसके कान में तेज आवाजें सुनाई देने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
नाक से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को जुकाम हो जाता है जिसके कारण नाक से पानी जैसा पतला तरल पदार्थ निकलता है और इस स्राव के कारण नाक के पास छाला भी पड़ जाता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका नाक बन्द हो गया है। जब रोगी छींकता है तो उसे कोई आराम नहीं मिलता है। खुली हवा में रहने पर रोगी को और भी अधिक सर्दी तथा जुकाम हो जाता है, घर के अन्दर आराम महसूस होता है। रोगी की नाक में जलन होती है और कभी कभी नाक से खून भी निकलने लगता है। नाक पर मुहांसें होना, ल्यूपस -चमड़ी का क्षयकारी रोग होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का चेहरा सूज जाता है, चेहरा मुरझाया हुआ, पीला, कमजोर, ठण्डा और पसीने से तर रहता है। रोगी के चेहरे पर कष्टकारी भाव झलकते रहते हैं, चेहरे पर सुई की तरह चुभन वाली दर्द होने लगती है तथा इसके साथ ही चेहरे पर जलन भी होने लगती है। रोगी के होंठ काले तथा नीले पड़ जाते हैं। रोगी क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- मसूढ़ें गंदे रहते हैं और उनमें से खून निकलता रहता है। मुंह पर घाव होने के साथ खुश्की और जलन के साथ गर्मी महसूस होती है। होठों पर घाव हो जाता है। जीभ सूखी, साफ और लाल हो जाता है, जीभ में सुई जैसी चुभन और जलन के साथ दर्द होता है, घाव नीले रंग का होता है, साफ और लाल जीभ हो जाता है तथा उसमें चुभन होने लगती है। दांतों में दर्द होने लगता है तथा नाड़ियों में भी दर्द होने लगता है, दर्द लम्बे समय तक महसूस होता है, आधी रात के बाद रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है, गरमाई के कारण आराम मिलता है, जीभ का स्वाद कड़वा हो जाता है। मुंह के अन्दर का लार जलन युक्त हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
गले से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के गले में सूजन आ जाती है तथा उसमें जलन होने लगती है, खाने को निगलने में परेशानी होती है। डिप्थीरिया की झिल्ली, खुश्क और झुर्रीदार दिखाई देती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- अत्यधिक प्यास लगती है, पानी बार-बार पीना पड़ता है, एक समय में बहुत थोड़ा पानी पीना पड़ता है, लेकिन प्यास नहीं बुझती है, खाने की गंध सहन नहीं हो पाती है। जब रोगी खाना खा लेता है या पानी पी लेता है तो उसके उबकाई, उल्टी तथा जी मिचलाने लगता है और इसके साथ ही आमाशय में जलनकारी दर्द होता है। खट्टी चीजें खाने के बाद और कॉफी पीने की अत्यधिक इच्छा। हृदय में जलन होने लगती है, खट्टे और कड़वे पदार्थ ऊपर को आते हैं, फलस्वरूप लगता है जैसे गला छिल गया हो तथा रोगी को लम्बी अवधि तक डकारें आती रहती हैं। रोगी को खून और पित्त की उल्टियां होती हैं तथा हरे रंग का कफ निकलता है, या कत्थई और काले रंग का, जिसमें खून मिला रहता है। रोगी के आमाशय में दबाव महसूस होता है, कभी-कभी रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका आमाशय फट जायेगा। जब रोगी हल्का सा खाना खा लेता है तथा उसके पेट में दर्द होने लगता है, सिरका पीने तथा खट्टी चीजें और आइसक्रीम खाने, बरफ का पानी पीने एवं तम्बाकू का सेवन करने से श्वास की परेशानी अधिक होती है। रोगी के पेट में दर्द होने के साथ भारीपन महसूस हो जाता है तथा इसके साथ ही डर भी लगता है, सांस लेने में परेशानी भी होती है, कभी-कभी तो बेहोशी भी आ जाती है, रोगी को ठण्ड लगने लगती है तथा थकान भी महसूस होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी कुछ भी निगलता है तो उसे दर्द महसूस होता है और रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसके गले में कुछ फंसा हुआ है और गले से कोई भी चीज नीचे नहीं उतरती है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी जब शाक-सब्जियां तथा तरबूज-खरबूज तथा अन्य पानी वाले फलों का सेवन करने से उसके रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रोगी को दूध पीने की इच्छा अधिक होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पेट में कुतरने जैसा दर्द होता है, जलन के साथ दर्द भी होता है और गर्मी से रोगी को कुछ आराम मिलता है। यकृत और प्लीहा बढ़ जाता है तथा दर्द अधिक होता है। जलोदर रोग हो जाने के साथ पेट में सूजन हो जाता है। पेट में सूजन के साथ दर्द होता है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी जब खांसता है तो उसे ऐसा लगता है कि उसके पेट के अन्दर उपस्थित किसी घाव में दर्द हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
मलांत्र से सम्बन्धित लक्षण :- मलद्वार में दर्द होने लगता है तथा इसके साथ ही मलद्वार में सूजन के साथ दर्द होने लगे तथा ऐंठन युक्त दर्द हो। पेचिश रोग। मलांत्र तथा मलद्वार में जलन के साथ दर्द होना तथा दबाव महसूस होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि उपयोग किया जाता है।
मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के मल से बदबू आती है तथा मल काला रंग का होता है, रोगी जब मलत्याग करता है तो मल बहुत कम होता है, रोगी को पागलपन जैसी स्थिति होती है, ठण्डी चीजें खाने-पीने के कारण पेट ठण्डा हो जाने से, अधिक शराब पीने से, सड़ा-गला मांस खाने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रोगी की पेचिश काली होती है, खून अत्यधिक बदबूदार हो जाता है, हैजा रोग होने के साथ ही पागलपन की स्थिति पैदा होना और न बुझने वाली प्यास लगना। शरीर बर्फ जैसा ठण्डा महसूस होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
बवासीर से सम्बन्धित लक्षण :- बवासीर का रोग होने के साथ-साथ मस्सों में आग की तरह जलन होने लगती हैं, जिनमें गरमाई देने से आराम आता है, मलद्वार के पास की त्वचा छिल जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने से आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग लाभदायक है।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :-
* रोगी को पेशाब कम मात्रा में होता है तथा इसके साथ ही उसे जलन भी होती है, मूत्राशय में लकवा की तरह का प्रभाव देखने को मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
* पेशाब में अन्न की तरह पदार्थ निकलने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
* पेशाब करने के बाद पेट में कमजोरी महसूस होती हो तो इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
* गुर्दे में सूजन होने के साथ ही मुधमेह रोग हो गया हो तो रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :-
* रोगी स्त्री को मासिकधर्म शुरू होने के समय में खून का स्राव अधिक मात्रा में होने लगता है तथा मासिकधर्म नियत समय से बहुत पहले ही शुरु हो जाता है।
* स्त्री के डिम्ब प्रदेश में जलन होने लगती है।
* स्त्री को प्रदर रोग होने के साथ ही तेज जलन हो रही हो तथा स्राव से अधिक बदबू आ रही हो और स्राव अधिक पतला हो, ऐसा महसूस हो रहा हो कि जैसे योनि से लाल गर्म तारे स्पर्श हो रही हो, जब रोगी स्त्री हल्का सा भी परिश्रम का कार्य करती है तो उसके लक्षणों में और भी अधिक वृद्धि होने लगती है, थकान अधिक महसूस होती है, गर्म कमरे में आराम मिलता है।
* रोगी स्त्री को मासिकधर्म के समय में अधिक स्राव होता है तथा उसकी गोणिका भाग में सुई की तरह चुभन महसूस होती है और यह चुभन इतनी तेज होती है कि रोगी स्त्री को सहन भी नहीं होती है।
इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी भी स्त्री को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
श्वास-संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का दम घुटने लगता है तथा उसे डर लगता है, दमा रोग में रोगी को आधी रात के समय में अधिक परेशानी होने लगती है, छाती में जलन, सांस लेने में रुकावट के साथ नजला होना, आधी रात के बाद बढ़ने वाली खांसी, खांसी पीठ के बल लेटने से और ज्यादा होने लगती है, बलगम कम मात्रा में निकलता है तथा झागदार होता है। दायें फेफड़ें के ऊपर दो-तिहाई भाग में बरछी लगने जैसा तेज दर्द होता है। सांस लेते समय रोगी सांय-सांय करता है। रोगी के कंधों में दर्द होने के साथ सारे शरीर में जलन होने लगती है। सूखी खांसी, गंधक के धुएं के द्वारा उत्पन्न हुई या पेय पदार्थो के सेवन करने के बाद उत्पन्न हुई खांसी हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
हृदय से सम्बन्धित लक्षण :-
* रोगी के हृदय में दर्द होने लगता है, सांस लेने में परेशानी होती है, कभी-कभी तो रोगी बेहोश भी हो जाता है।
* धूम्रपान करने से तथा तम्बकू चबाने के कारण उत्पन्न हृदय में दबाव तथा दर्द।
* हृदय में दर्द तथा इसके साथ ही गर्दन के भाग में दर्द तथा सिर के पिछले भाग में दर्द।
इस प्रकार के हृदय से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर में कमजोरी आ जाती है, बेचैनी होने लगती है, पिण्डलियों में ऐंठन होना, शरीर के कई भागों में जलन होने के साथ ही दर्द होना, एड़ियों में घाव होना, शरीर के कई अंगों में लकवा का प्रभाव होना आदि इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर के कई अंगों में खुजली, जलन, सूजन, छोटे-छोटे दानें, खुश्क, खुरदरे, पपड़ीदार दानें, ठण्ड और खुरचने से अधिक परेशानी होने के कारण घाव होना, जिनसे बदबूदार स्राव होता रहता है, शरीर के अन्दरूनी भाग में दूषित मल जमा हो जाता है। छपाकी रोग होने के साथ रोगी को जलन तथा बेचैनी महसूस होती है। शरीर में बर्फ जैसा दर्द महसूस होता है आदि इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का लाभदायक प्रभाव पड़ता है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सही से नींद नहीं आती है, बेचैनी होती है, मन उदास रहता है, सिर के नीचे मोटा तकिया लगाकर उसे ऊंचा उठाकर रखना पड़ता है। रोगी को नींद के समय में दम घुटने जैसी दौरे पड़ते हैं। रोगी सिर के ऊपर हाथ रखकर सोता है, उसे चिन्ता अधिक होने लगती है, डर लगता है तथा नींद से सम्बन्धित कई परेशानियां होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को तेज बुखार हो जाता है, ये बुखार एक नियमित समय पर होता है तथा बुखार होने के साथ ही शरीर में अधिक कमजोरी आ जाती है। शरीर से अधिक मात्रा में ठण्डा पसीना निकलता है। रोगी को अधिक उदासी होती है, आधी रात के बाद अधिक परेशानी होती है, बेचैनी होती है, लगभग रात के तीन बजे अधिक गर्मी लगने लगती है, दांतों में मैल जम जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
जब रोगी भीगे मौसम में रहता है या आधी रात के बाद, ठण्ड के कारण, ठण्डी चीजें खाने पीने से, समुद्र के किनारे पर रहने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
जब रोगी गरमाई वाले जगह पर रहता है या सिर को ऊंचा रखकर लेटता है, गर्म पदार्थ पीता है तो उसके रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
पूरक सम्बन्ध- कार्बो-बेज, ऐलियम सिपा, फास तथा पाइरों औषधि।
तम्बाकू खाने, शराब पीने, समुद्र में नहाने, मृत शरीर का चीर फाड़ करने से घाव और कार्बडक्क के विष में और जहरीले कीड़ें मकोड़े के डंक मारने की तरह जलन होने पर आर्सेनिकम एल्बम औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।
मात्रा :-
आर्सेनिकम एल्बम औषधि की तीसरी से तीसवीं शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। उच्चतम शक्तियों के प्रयोग से कभी-कभी सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं, इसकी मात्रायें दोहराई जा सकती हैं।
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