पीयूषिका ग्रन्थि (Pituitary Gland)

 पीयूषिका ग्रन्थि (Pituitary Gland)

परिचय-

जननांगों के परिवर्द्धन और विकास पर इस ग्रन्थि का सर्वाधिक नियन्त्रण रहता है, पीयूषिका ग्रन्थि औषधि मांसपेशियों की सक्रियता को उत्तेजित करती है और गर्भाशय की निष्क्रियता को दूर करती है। यह औषधि रक्तस्राव को रोकती है और रक्त के थक्कों का अवशोषण करने में मदद करती है। पीयूषिका ग्रन्थि औषधि का प्रयोग कई प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता है जैसे-गुर्दे की अधिक सूजन, पुरस्थग्रन्थि में जलन होना, चक्कर आना, भ्रम पैदा होना तथा माथे की गहराई तक दर्द होना। प्रसव की द्वितीया अवस्था में गर्भाशय के मुंह की निष्क्रियता बढ़ाने में इस औषधि की तीसवीं शक्ति का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलता है।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

पीयूषिका ग्रन्थि औषधि की क्रिया जरायु पर अधिक होती है तथा प्रसव के समय में इससे बहुत अधिक लाभ मिलता है अथवा प्रसव होने के बाद रक्तस्राव को रोकने के लिए इस औषधि का उपयोग लाभदायक होता है। प्रसव की पीड़ा को उत्तेजित करने के लिए निकासकाल के समय सी.सी.एम. की मात्रा इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। इसकी 15 बूंदों को एक पूरी इंजेक्शन की मात्रा माना जाता है। हृदय के पेशियों में सूजन होना, धमनी में तनाव होना, गुर्दे में जलन होना। इस प्रकार के रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि का उपयोग किया जाता है।

मात्रा (डोज) :-

पीयूषिका ग्रन्थि औषधि की मूलार्क की तीसवीं शक्ति तक का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोग में इस औषधि की 10 बूंदें भोजन करने के बाद लेना चाहिए। 


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