हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस Hydrastis canadensis

 हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस

परिचय-

जब रोगी स्त्री, शरीर की श्लैष्मिक झिल्लियों के रोगों से पीड़ित होती है तो उसके गर्भाशय, वायु-नली तथा पेट की श्लैष्मिक-झिल्ली से भी डोरी जैसी श्लैष्मा (कफ) बाहर निकलती है। रोगी पुराने कब्ज के रोग से भी पीड़ित होता है-ऐसा कब्ज जिसका कोई विशेष लक्षण नहीं होता है। इस प्रकार के लक्षणों में हाड्रेस्टिस कैनाडिन्सस औषधि का उपयोग करना चाहिए। एक्लेक्टिक-चिकित्सक हाड्रेस्टिस कैनाडिन्सस औषधि का उपयोग श्लैष्मिक-झिल्लियों के घाव को ठीक करने के लिए उत्तम औषधि मानते हैं तथा उनकी यह भी मान्यता है कि इसमें शक्ति उत्पन्न करने की क्षमता होती है। होमियोपैथी चिकित्सा में भी इस प्रकार के रोग का उपचार करने के लिए इस औषधि का उपयोग करते है।

हाड्रेस्टिस कैनाडिन्सस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

मलद्वार से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी रोगी के मलद्वार में बहुत अधिक दर्द हो, उसे उदासीपन महसूस हो रही हो और साथ ही कमजोरी भी महसूस हो रही हो तथा कभी-कभी तो रोगी को ऐसा भी महसूस होता है कि उसका पेट अन्दर की ओर धंसा जा रहा है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- पेट में दर्द तथा इस दर्द के कारण पेट के ऊपर का भाग ढीला महसूस होता है। शरीर में कमजोरी और खालीपन का अहसास होता है तथा कभी-कभी तो रोगी को ऐसा भी महसूस होता है कि जैसे उसका पेट अन्दर की ओर धंसा जा रहा है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने लिए हाड्रेस्टिस कैनाडिन्सस औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।

कब्ज से सम्बन्धित लक्षण :- पुराने कब्ज के रोग को ठीक करने के लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग लाभदायक है। इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 200 पोटेंसी की मात्रा का उपयोग लाभदायक है। कब्ज होने के साथ में कुछ रोगियों में कुछ इस प्रकार के लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं जो इस प्रकार हैं- मल भेड़ की मेंगनी जैसा होता है, मल भूरा गांठदार, कठोर लम्बा लेण्ड सा हल्के रंग का होता है।

ब्रोंकाइटिस से सम्बन्धित लक्षण :- कभी-कभी पुराने ब्रोंकाइटिस रोग को ठीक करने के लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग लाभदायक होता है।

श्वेत-प्रदर से सम्बन्धित लक्षण :- यदि \'श्वेत-प्रदर रोग में डोरी जैसी कफ के सामान पीव निकल रही हो तो इसके लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग लाभदायक है।

कमजोरी से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर में अधिक कमजोरी आ गई हो तथा कफ के समान पीव निकल रहा हो तथा इस कफ में डोरी जैसा पदार्थ भी हो तो हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग लाभकारी है।

पाचन संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर का खून दूषित हो गया हो जिसके कारण शरीर में अनेक प्रकार के रोग हो गये हों और साथ ही पाचन संस्थान भी रोग ग्रस्त हो गया हो तो हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

शराब से सम्बन्धित लक्षण :- अधिक शराब पीने के कारण स्वास्थ्य गिर गया हो तो हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोगी के स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है।

नाभि से सम्बन्धित लक्षण :- यदि किसी रोगी के नाभि के भाग में खिंचाव महसूस हो रहा हो तथा खालीपन का अहसास हो रहा हो तो हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि के उपयोग से ये लक्षण ठीक हो जाते हैं।

माता तथा धाय से सम्बन्धित लक्षण :- दूध पिलाने वाली माता तथा धाय का मुंह पक गया हो तो उसके इस रोग का उपचार करने के लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

पोटाश या पारा से सम्बन्धित लक्षण :- पोटाश तथा पारा के सेवन करने से मुंह पक गया हो या चरपरा स्वाद, जीभ सूखी जैसे झुलस गई हो तो हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि से उपचार करने पर रोगी ठीक हो जाता है।

भूख कम लगना से सम्बन्धित लक्षण :- आंतों की क्रिया ठीक न रहने के कारण भूख का कम लगना तथा पाचन क्रिया खराब होने पर हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि से उपचार करना उचित होता है।

यकृत से सम्बन्धित लक्षण :- यकृत की क्रिया ठीक प्रकार से न होने पर हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि से उपचार करने से रोग ग्रस्त यकृत की क्रिया में सुधार हो जाती है।

जीभ से सम्बन्धित लक्षण :- जीभ बढ़ गई हो तथा फूल गई हो और उस पर दांतों के निशान पड़े हो तो हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि से उपचार करना चाहिए।

जुकाम से सम्बन्धित लक्षण :- किसी रोगी को जुकाम हो गया हो तथा इसके साथ ही पीलिया का रोग भी हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- नाक से गाढ़ा चिकना पीला और तार सा खिंचने वाला कफ जैसा श्लेमा निकलता रहता है तथा जब रोगी घर से बाहर निकलता है तो उसके रोग के लक्षण और भी बढ़ने लगते हैं, तो ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

गर्भाशयमुख से सम्बन्धित लक्षण :- गर्भाशय के मुंह तथा योनि पर हल्की खरोंच आ गई हो, उस स्थान पर मवाद बन रहा हो तथा उसके साथ खरोंच उत्पन्न करने वाला तरल पदार्थ बह रहा हो तो ऐसे लक्षणों में हाड्रेस्टिस कैनाडन्सिस औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है। 

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

गर्भावस्था में शराब का सेवन करने, अत्यधिक औषधियों का सेवन करने से, दस्त आने के बाद तथा खुली हवा में टहलने से रोगी के रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन. ह्रास) :-

सूखे मौसम में तथा कपड़े या चादर ओढ़ने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें