पिलोकार्पस माइक्रोफीलस (Pilocarpus Microphyllus)

 पिलोकार्पस माइक्रोफीलस (Pilocarpus Microphyllus)

परिचय-

पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि ग्रन्थियों के कार्य को उत्तेजित करने वाली एक शक्तिशाली और पसीना लाने वाली सर्वश्रेष्ठ औषधि है। क्षय रोग से पीड़ित रोगियों को रात के समय में पसीना निकलने पर इस औषधि के उपयोग करने से रोग ठीक हो जाता है। यह औषधि अधिक पसीना लाने वाली, पेशी संकीर्णन, लालास्राव तथा मिचली चौंध। नेत्रोत्सेधी गलगण्ड के साथ हित्क्रया और धमनियों में कंपन होना, नाड़ियों से सम्बन्धित रोग, शरीर में कंपन होना, श्वासनलियों में उत्तेजना पैदा होना। इस प्रकार के रोग को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का उपयोग करना चाहिए। शरीर में अधिक ताप होना, पसीना आना, कर्णमूल ग्रन्थि में जलन होना। इस प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है। इस औषधि की एक खुराक की मात्रा लेने के बाद कुछ एक मिनटों में ही चेहरा, कान और गला बुरी तरह लाल हो उठते हैं और सारे शरीर पर पसीने की बून्दें फूट पड़ती हैं तथा इसके साथ ही मुंह में पानी भरने लगता है और लगातार लार का स्राव होने लगता है। इसके उपयोग से आंख, नाक, श्वासनलियों तथा आंतों से भी स्राव होने लगता है।

विभिन्न लक्षणों में पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का उपयोग-

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- किसी भी कारण से आंखों पर दबाव होना। रोमक पेशी में उत्तेजना होना, थोड़ा सा काम करने पर आंखों का जल्दी ही थक जाना, आंखों से काम लेते समय जलन होना तथा इसके साथ ही आंखों में गर्माहट महसूस होना। सिर में दर्द होता है तथा इसके साथ ही आंखों के नेत्रगोलक में चींसे मचने लगती है। कुछ दूरी पर रखी हुई चीजें धुंधली दिखाई देती हैं, कुछ समय के बाद ही आंखों की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है, बिजली या किसी प्रकार की अन्य कृत्रिम रोशनी से आंखों में उत्तेजना होना। किसी भी चीज को देखने के बाद बहुत देर तक चक्षुस्नायुपट पर उस वस्तु का प्रतिबिम्ब बना रहता है। पुतलियां सिकुड़ी हुई रहती है तथा प्रकाश-प्रतिक्रिया नहीं होती है। निकट दृष्टि दोष उत्पन्न हो जाता है तथा रोगी किसी भी वस्तु पर एकटक देखता ही रहता है अर्थात उसे अनिमेष दृष्टि दोष उत्पन्न हो जाता है। आंखों से बहुत ज्यादा काम लेने के बाद चक्कर आने लगता है तथा जी मिचलाने लगता है। आंखों के सामने सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। आंखों में चीस मचने के साथ ही दर्द होता है। पलकें फड़कती हैं। शुष्क रंजितपट में सूजन हो जाती है। पढ़ते समय आंखों में समंजन क्रिया नहीं हो पाती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

कान से सम्बन्धित लक्षण :- कानों से कम सुनाई देता है तथा अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देती है। कान में से सीरमी रिसाव होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- जीभ का लार चिपचिपा होता है तथा लार अण्डे की सफेद जर्दी के समान लगता है। मुंह में रूखापन हो जाता है। मुंह से लार निकलने के साथ ही शरीर से अधिक मात्रा में पसीना आता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के आमाशय में दर्द होने के साथ ही दबाव महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी जब कोई चलती हुई वस्तु की ओर देखता है तो उसका जी मिचलाने लगता है और उल्टियां होने लगती है। ऐसे रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि उपयोग लाभदायक है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को दस्त आने के साथ ही पेट में दर्द होता है तथा दिन के समय में चेहरा गर्म महसूस होता है और अधिक पसीना आता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को पेशाब बहुत कम मात्रा में आता है, जांघ के हडि्डयों के ऊपर दर्द होता है तथा मूत्रवेग अधिक होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- हृदय की नाड़ी अनियमित गति से तथा द्विस्पन्दी गति से चलती है। छाती में दबाव महसूस होता है। नीलरोग हो जाता है, निपात तथा हृदय के नाड़ियों पर विकार उत्पन्न हो जाता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का उपयोग लाभदायक है। 

श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- श्वासनलियों की श्लैष्मिक झिल्लियों में जलन होती है। रोगी हर वक्त खांसता रहता है और सांस लेने में परेशानी होती है। फुस्फुस धमनियों में सूजन हो जाती है। फेन के समान थूक निकलता है। अधिक मात्रा में पतला और सीरमी बलगम आता है। रोगी की श्वास गति धीमी और आहें भरने जैसी हो जाती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि उपयोग लाभकारी है।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के सभी भागों से अधिक पसीना आता है। त्वचा शुष्क हो जाती है, सूखा अकौता रोग हो जाता है। ठण्ड लगने के साथ ही पसीना आता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि का उपयोग लाभदायक है।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

* एमीले-नाइ, एट्रोपी-फाइसिष्ट, लाइको तथा रूटा औषधियों के कुछ गुणों की तुलना पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि से कर सकते हैं। 

* पिलोकार्पिन-म्यूर औषधि की 2x विचूर्ण का उपयोग उन रोगियों के रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है जिनकों कान से सम्बन्धित रोग हो जाता है, चक्कर आते हैं, तेजी से बढ़ता हुआ टी.बी. (क्षयरोग) होता है तथा इसके साथ ही अधिक मात्रा में रक्तस्राव होता है और शरीर से अधिक मात्रा में पसीना आता है। ऐसे ही लक्षणों को पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि भी ठीक कर सकता है। अत: पिलोकार्पिन-म्यूर औषधि के कुछ गुणों की तुलना पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि से कर सकते हैं। एट्रोपीन पिलोकार्पिन औषधि की प्रतिविष है, पिलोकार्पिन औषधि के 1/6 ग्रेन के लिए एट्रीपीन का सौवां ग्रेन।


मात्रा (डोज) :-

पिलोकार्पस माइक्रोफीलस औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। इसके ग्रेन के आठवें से लेकर चौथाई भाग तक इंजेक्शन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। 


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