ओपियम Opium

 ओपियम Opium

परिचय-

किसी व्यक्ति को कितना भी बड़ा रोग क्यों ना हो जाए लेकिन उस रोग के कारण होने वाली परेशानियों के बारे में रोगी को कुछ महसूस नही होता, वो अपने सारे काम साधारण दिनों की तरह कर लेता है तो उस समय उसके इन्ही लक्षणों को देखकर ओपियम औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है। इसके अलावा ये औषधि मलद्वार या मूत्रद्वार की कमजोरी के कारण मल का न आना, पेशाब का न आना, पेट का फूल जाना में ये औषधि चामत्कारिक असर दिखाती है। विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर ओपियम औषधि से होने वाले लाभ-

सिर से सम्बंधित लक्षण- बूढ़े लोगों को अपना सिर काफी हल्का महसूस होना, सिर का बहुत ज्यादा भारी सा लगना, सिर घूमने के कारण चक्कर आना, सिर के पीछे के हिस्से में दर्द सा होना, रोगी को अपने सिर में इतनी तेजी से दर्द महसूस होना जैसे कि सिर अभी फट पड़ेगा, याददाश्त का बिल्कुल चला जाना, कोई बोलता रहता है लेकिन रोगी को उसकी बात समझ ही नहीं आती, इस तरह के लक्षणों में अगर रोगी को ओपियम औषधि का प्रयोग नियमित रूप से कराया जाए तो ये उसके लिए काफी लाभकारी साबित होता है।

मन से सम्बंधित लक्षण- मानसिक रोगों के लक्षणों में रोगी को कुछ भी अच्छा नहीं लगता, याददाश्त का पूरी तरह से खो जाना, मन में अजीब-अजीब से भयानक ख्यालों का आना, अपनी बोली हुई बातों को खुद ही न समझ पाना, घर पर होते हुए भी उसे लगता है कि वह घर पर नहीं है, अपने आप ही चीखने-चिल्लाने लगना आदि में रोगी को ओपियम औषधि देना बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण- रोगी की आंखें आधी खुली और आधी बंद सी होना, आंखों की पुतलियों का फैल जाना, पलकों का नीचे की ओर लटक जाना, आंखों का एक ही जगह जम जाना आदि आंखों के रोगों के लक्षणों में रोगी को ओपियम औषधि का सेवन कराना काफी लाभकारी साबित होता है।

मुंह से सम्बंधित लक्षण- रोगी को अपना मुंह बिल्कुल सूखा हुआ सा लगना, रोगी की जीभ पर लकवा मार जाने के कारण जीभ का काली होना, रोगी को बार-बार प्यास लगना, किसी चीज को खाकर निगलने में और बोलने में परेशानी होना, मुंह से खून के साथ झाग का आना जैसे लक्षणों में रोगी को ओपियम औषधि देने से बहुत लाभ मिलता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण- रोगी को पेट में दर्द होने के साथ उल्टी होना और बेहोशी सी छाई रहना, उल्टी के साथ शरीर के अन्दर की गन्दगी का बाहर निकलना, रुका हुआ हार्निया, बार-बार भूख सी लगना लेकिन भोजन करने का मन न करना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को ओपियम औषधि का सेवन कराना बहुत लाभदायक रहता है।

पेट से सम्बंधित लक्षण- पेट का फूलकर सख्त हो जाना, पेट में दर्द होने के साथ ही मल का बहुत ही मुश्किल से आना जैसे पेट के रोग के लक्षणों में रोगी को ओपियम औषधि देना अच्छा रहता है।

मल से सम्बंधित लक्षण- पेट में कब्ज का बनना, मलक्रिया के लिए जाने की बिल्कुल इच्छा न होना, मल का गोल आकार में काले रंग का आना, मल एक बार मलद्वार से बाहर निकलकर अन्दर चला जाना, मलान्त्र में बहुत तेजी से दर्द का होना, मल का बहुत तेजी से बदबू के साथ आना। इन लक्षणों के आधार पर अगर रोगी को ओपियम औषधि दी जाए तो ये उसके लिए काफी लाभकारी साबित होती है।

मूत्र (पेशाब) से सम्बंधित लक्षण- पेशाब का बहुत देर से और कम मात्रा में आना, किसी तरह का डर लगने के कारण पेशाब का रुक जाना या अपने आप ही आ जाना, पेशाब की नली का कमजोर सा महसूस होना जैसे लक्षणों में रोगी को ओपियम औषधि देने से लाभ मिलता है।

स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण- स्त्री को किसी तरह का डर लग जाने के कारण मासिकधर्म का रुक जाना, बच्चे को जन्म देने का दर्द रुक जाने के कारण बेहोशी और, गर्भवती स्त्री को बेहोशी छा जाना, गर्भवती स्त्री को बहुत ज्यादा नींद का आना, गर्भाशय में बहुत तेजी से प्रसव वेदनाओं के साथ ही मल का काफी तेजी से आना जैसे स्त्री रोगों के लक्षणों में रोगी स्त्री को ओपियम औषधि का सेवन नियमित रूप से कराना काफी उपयोगी साबित होता है।

सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी को नींद आते ही सांस का रुक जाना, दुबारा सांस चालू करने के लिए रोगी को जोर-जोर से हिलाना पड़ता है, गले में खराश सी होना, सोते समय बहुत तेजी से खर्राटों का लेना, सांस लेने और सांस छोड़ने की क्रिया बहुत दर्दकारक, रुक-रुककर, गहरी सी होना, छाती का गर्म होने के साथ ही दिल के पास जलन सी महसूस होना, खांसी होने के साथ सांस लेने में परेशानी, चेहरे का नीला पड़ जाना, खांसी में बलगम के साथ खून का आना आदि लक्षणों में रोगी को ओपियम औषधि दिया जाना बहुत ही उपयोगी होता है।

नींद से सम्बंधित लक्षण- रोगी को बहुत तेज नींद आती है, ऐसी कि जिसमें रोगी को खुद ही पता नहीं होता कि वह कहां सो रहा है, नींद आने के बाद सांस का रुक जाना, नींद में खुली आंखों के साथ चीखने-चिल्लाने लगना, रोगी को बहुत तेजी से नींद तो आती है लेकिन उसको सोने में बहुत परेशानी होती है, नींद आने पर रोगी को जंंगली जानवरों के भयानक से सपने दिखाई देने लगते हैं, रोगी को ठण्ड लगने के साथ ही शरीर में कंपकंपी पैदा हो जाती है, फिर उसका शरीर गर्म हो जाता है, नींद आने लगती है, बहुत ज्यादा पसीना आता है, शरीर गर्म हो जाने के साथ ही रोगी को प्यास भी काफी लगती है, इन सारे लक्षणों के किसी भी व्यक्ति में नज़र आने पर अगर उसे ओपियम औषधि नियमित रूप से दी जाए तो रोगी के ये सारे लक्षण कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाते हैं।

बुखार से सम्बंधित लक्षण- रोगी को बुखार आने के लक्षणों में उसकी नाड़ी बहुत धीरे-धीरे चलती है, रोगी के पूरे शरीर में गर्मी फैल जाती है, रोगी के पूरे शरीर से गर्म सा पसीना निकलने लगता है, बुखार के साथ ही रोगी जब सांस लेता है तो अजीब-अजीब सी आवाजें आती हैं, रोगी को बहुत तेज प्यास लगती है और नींद भी आती है, रोगी को हल्का सा बुखार आने के साथ ही गहरी नींद भी आती है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी की पीठ धनुष की तरह टेढ़ी हो जाना, गर्दन की नसों का फूल जाना, वेदनाहीन पक्षाघात, शरीर के अंगों का फड़कना, अंगों का सुन्न हो जाना, शरीर में झटके लगना ऐसे कि जैसे संकोचक पेशियों की क्रिया बढ़ गई हो, ज्यादा रोशनी से बेहोशी सी छा जाना, प्रत्यंगों का ठण्डा महसूस होना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को ओपियम औषधि देने से लाभ होता है।

त्वचा से सम्बंधित लक्षण- रोगी के शरीर पर गर्म सा पसीना निकलने के कारण उसकी त्वचा का बिल्कुल गीला हो जाना, अगर रोगी को सोते समय कुछ ओढ़ा दिया जाए तो वह हाथ-पैर मारकर उसे हटाना चाहता है, शरीर की जनेन्द्रियों को छोड़कर उसके पूरे शरीर पर गर्म सा पसीना निकलता है, इन सारे लक्षणों के रोगी मे पाए जाने पर अगर उसे ओपियम औषधि का सेवन कराया जाए तो काफी असरकारक साबित होता है।

वृद्धि-

गर्मी से, नींद में या उसके बाद में रोग बढ़ जाता है।

शमन-

ठण्डी चीजों से, लगातार घूमते रहने से रोग कम हो जाता है।

प्रतिविष-

तेज कॉफी बार-बार पीने से ओपियम औषधि के हानिकारक प्रभाव नष्ट हो जाते हैं।

पूरक-

एल्यु, बैरा-का, हायो, फास और प्लम्ब।

तुलना-

ओपियम औषधि की तुलना एपि, बेला, जेल्सी, नक्स-मास्के, मौर्फीनम, कोडीन, एश्कौलजिया से की जा सकती है।

मात्रा-

रोगी को ओपियम औषधि की 3X से 30 शक्ति तक या 200 शक्ति तक देनी चाहिए।


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