हेलीबोरस नाइजर HELLEBORUS

 हेलीबोरस नाइजर HELLEBORUS

परिचय-

मस्तिष्क के आवरण में जलन होना, उनमें से खून बहने का डर लगना या दूषित द्रव का स्राव (बहना) हो रहा हो तो ऐसे लक्षणों में हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना चाहिए। रोगी अधिक चिल्ला रहा हो तथा चिल्लाने के साथ ही अपना सिर तकिये पर इधर-उधर पटक रहा हो, दिमाग काम करना बन्द कर देता है, गहरी नींद आती है और जितना पानी मिलता है वह पी लेता है, माथे पर से ठण्डा पसीना निकलता है, माथे पर सिकुड़न सी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का जबड़ा इस प्रकार हिलता-डुलता है जैसे वह कोई चीज चबा रहा हो, उसकी पुतिलयां फैल जाती हैं और देखने, सुनने की शक्ति कम हो जाती है। रोगी की एक जांघ और एक बांह लगातार हिलती ही रहती है परन्तु दूसरी स्थिर पड़ी रहती है जैसे उसमें लकवा मार गया हो, ऐसे रोगी को या तो पेशाब होता ही नहीं या होता भी है तो बहुत कम मात्रा में, कभी-कभी पेशाब की तली में कॉफी की तरह काले रंग का चूर्ण भी आता है। इन सभी लक्षणों पर ध्यान देने से पता चलता है कि रोगी के रोग को ठीक करने की आशा कम ही है और इस अवस्था में यदि रोगी का ठीक औषधि से उपचार नहीं हुआ तो रोगी के शरीर में अकड़न पैदा होकर तथा बेहोशी आकर उसकी मृत्यु हो जायेगी। इस प्रकार की अवस्था में यदि रोगी का उपचार हेलीबोरस नाइजर औषधि से की जाती है तो रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है। इस औषधि से उपचार करने पर सबसे पहले रोगी की पेशाब करने की मात्रा बढ़ जाती है तथा इसके बाद धीरे-धीरे सभी लक्षण ठीक होने लगते हैं। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए इसकी 1000 (बी. एण्ड टी.) पोटेंसी से 3300 (फिंक) पोटेंसी की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

मस्तिष्क की ऊपरी परत में जलन होने तथा बेहोशी की समस्या होने, मस्तिष्क में तेज दर्द होने, मस्तिष्क के अन्दर पानी भरने की सम्भावना हो या फिर जल जम जाने आदि लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने लिए हेलीबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।

छोटे बच्चों के बुखार होने की अवस्था या दस्त आने की अधिकता, इसके साथ ही मस्तिष्क से सम्बन्धित कई परेशानियां होने और मस्तिष्क में जल भरने पर हेलिबोरस नाइजर औषधि से उपचार करना लाभदायक होता है।

ज्ञानेन्द्रियों की शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण रोगी किसी भी चीज को ठीक प्रकार से देख नहीं पाता है और न ही किसी चीजों के स्वाद को ठीक प्रकार से पहचान पाता है तथा शरीर की पेशियों में कमजोरी आ जाती है और रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसके शरीर के कई भाग में लकवा मार गया है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

हाथ-पैरों को पटकने के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना चाहिए, जबकि इसी प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का रोग ऐपोसाइनम औषधि से भी ठीक हो सकता है। यदि रोगी का बायां हाथ तथा पैर हिल रहा हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया औषधि का उपयोग करना चाहिए और यदि दोनों पैरों में फड़फड़ाहट हो रही हो तो रोग को ठीक करने के लिए जिडक्म औषधि का उपयोग करना चाहिए।

हेलिबोरस नाइजर औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी है-

मन से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी किसी प्रश्न का उत्तर धीरे-धीरे देता है, उसकी सोचने की शक्ति कम हो जाती है, वह बिना इच्छा की सिसकियां भरने लगता है तथा अपने होंठ और कपड़े को नोचता रहता है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के माथे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं, माथे से ठण्डा पसीना निकलता रहता है, सिर में दर्द भी होता रहता है, रोगी अपने सिर को दिन-रात इधर-उधर पटकता रहता है, कभी-कभी तो वह कराहने लगता है तथा अचानक ही चिल्लाने लगता है, अपने सिर को तकिये के अन्दर गाड़ता रहता है, हाथ-पैर पीटता रहता है, उसके सिर के पिछले भाग में हल्का-हल्का दर्द होता रहता है तथा इसके साथ रोगी को ऐसा महसूस होता है कि सिर के पिछले भाग में पानी भरा हुआ है और सिर के उस भाग में लहरें पैदा हो रही हैं, सिर में दर्द होने के कारण कभी-कभी तो उल्टी भी हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

आंखें से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी का नेत्रगोलक ऊपर की ओर घूम जाता है, आंखों की देखने की शक्ति कम हो जाती है, नेत्रपटल फैल जाता है, आंखें फैल जाती हैं तथा अन्दर की ओर धंस जाती हैं, रात के समय में कुछ भी दिखाई नहीं देता है अर्थात रतौंधी रोग हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी के नाक गन्दे रहते हैं तथा नथुना खुश्क हो जाता है, नाक को रगड़ता रहता है, खुशबू को पहचान न पाना। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी का उपचार करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी का चेहरा पीला पड़ जाता है तथा अन्दर की ओर धंस जाता है, चेहरे से ठण्डा पसीना निकलता रहता है, चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं तथा चेहरे की बाईं ओर की नाड़ियों में दर्द होता है तथा इस दर्द के कारण वह किसी भी चीज को चबा नहीं पाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के मुंह से बदबू आती रहती है, होंठ सूखे और फटे रहते हैं, जीभ लाल और सूखी रहती हैं, जबड़ा नीचे की ओर लटक जाता है, वह अपने होंठों को बिना किसी कारण दांत से नोचता रहता है, दांत पीसता रहता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी कभी-कभी बेहोश भी हो जाता है और उसे होश में लाकर ठण्डा पानी पीने के लिए देते हैं तो वह पानी को जल्दी-जल्दी निगलते हुए पीता है। यदि किसी बच्चे को ऐसे लक्षण हो तो वह दूध को जल्दी-जल्दी पीता है तथा साथ ही भोजन खाने का मन नहीं करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण:- पेट में गड़गड़ाहट होने लगती है, आंतों के अन्दर पानी भर जाता है, पेट में सूजन आ जाती है, पेट को छूने से दर्द महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी जब मलत्याग करता है तो मल पतला, पेचिश जैसा होता है तथा पेट में गड़गड़ाहट सी आवाज होने लगती है, ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

पेशाब से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी के मूत्राशय पर दबाव पड़ता है, तथा उसका पेशाब गहरे रंग का कॉफी के चूरे जैसा तलछट होता है, और उसे पेशाब करने की बार-बार इच्छा होती है। यदि छोटा बच्चा इन लक्षणों से पीड़ित होता है तो वह कभी-कभी पेशाब भी नहीं कर पाता जिसके कारण उसका मूत्राशय फूल जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी बार-बार सिसकियां भरता रहता है तथा उसे सांस लेने में परेशानी होने लगती है। छाती में सिकुड़न होने लगती है, हांफता रहता है तथा छाती में पानी जमा हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

शरीर के बाहरी अंग से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी के एक बांह और एक टांग में अपने आप गति होती रहती है, कई अंग भारी और दर्दनाक हो जाते हैं, रोगी हर समय अंगड़ाइयां लेता रहता है, अंगूठा हथेली की ओर खिंच जाता है तथा हाथ-पैरों की उंगलियों के बीचों-बीचों छाले पड़ जाते हैं। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का उपयोग करना चाहिए।

नींद से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी नींद से अचानक उठकर चिल्लाने लगता है और गहरी नींद लेता है, मस्तिष्क पर नियन्त्रण नहीं रख पाता और रोगी को पूरी तरह होश में नहीं लाया जा सकता हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

चर्म से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी की त्वचा पीली पड़ जाती है, किसी किसी भाग की त्वचा पर सूजन भी आ जाती है तथा कहीं-कहीं पर खुजली भी मचने लगती है, त्वचा पर नीले धब्बे पड़ जाते हैं, त्वचा पर अचानक सूजन आ जाती है तथा उस भाग में पानी भर जाता है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के बाल तथा नाखून भी झड़ने लगते हैं। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेलिबोरस नाइजर औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

ठण्डी हवा से, परिश्रम करने से, दांत से निकलते समय, शाम से लेकर सुबह तक, नगें रहने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन. ह्रास) :-

खुली हवा में, मजबूती से ध्यान केन्द्रित करने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

प्रतिविष :-

सिनको तथा कैम्फर औषधियों का उपयोग हेलिबोरस नाइजर औषधि के हानिकारक प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है।

अनुपूरक:-

जिंक।

क्रियानाशक:-

चायना, कैम्फ।

मात्रा :-

हेलिबोरस नाइजर औषधि की मूलार्क से लेकर तीसरी शक्ति तक का प्रयोग करना चाहिए। 


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