ब्लाटा ओरिएण्टैलिस (इण्डियन काकरोच) (ब्लैटा-ओरि) BLATTA ORIENTALI (INDIAN COCKROACH)

 ब्लाटा ओरिएण्टैलिस (इण्डियन काकरोच) (ब्लैटा-ओरि) BLATTA ORIENTALI (INDIAN COCKROACH) 

परिचय-

ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों में किया जाता है परन्तु यह औषधि दमा, सांस संबन्धी परेशानी तथा खांसी में विशेष रूप से लाभकारी होती है। ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग करने से यह रोग में तेजी से प्रतिक्रिया कर रोग को ठीक करता है। ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग दमा रोग व सांस नली की सूजन में करने से दमा व सूजन दूर होती है। सांस नली की सूजन और फेफड़ों की टी.बी. को ठीक करने के लिए तथा खांसी आने व सांस लेने में परेशानी होने पर ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग करने से रोग दूर होते हैं। मोटे व्यक्ति में होने वाले रोग में ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि के प्रयोग से लाभ अधिक तेजी से होता है। खांसी के साथ पीव जैसा श्लेष्मा की अत्यधिक मात्रा निकलने पर ब्लाटा ओरिएण्टैलिस का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

सांस नली की जलन तथा सांस रुकने के साथ ही खांसी का आना। क्षय (टी.बी.) रोग तथा अधिक मवाद बनने पर ब्लाटा ओरिएण्टैलिस का प्रयोग कर रोग को ठीक किया जा सकता है।

शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का उपयोग :

सांस संस्थान से संबन्धी लक्षण :

ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग दमा रोग में अधिक लाभकारी है। दमा रोग अधिक बढ़ जाने या शुरुआती अवस्था में ही ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि की निम्न शक्ति का प्रयोग करने से अत्यंत लाभ होता है। परन्तु अधिक पुराने दमा रोग में उच्च शक्ति वाली ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग किया जाता है। यह औषधि सांस नली में होने वाले सूजन, खांसी, सांस लेने में परेशानी आदि में लाभकारी होता है। पीब जैसा बलगम आने पर और दम घुटने की आशंका बने रहने से सांस रोगों के लक्षणों में भी ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

वृद्धि :

रात के समय, बरसात के मौसम में तथा लेटने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन :

ब्लाटा ओरियण्टेलिस औषधि के प्रयोग से धीरे-धीरे कफ निकलकर रोग शांत होता है।

मात्रा :

ब्लाटा ओरिएण्टैलिस औषधि के मूलार्क या 3x, 6x या 2 से 200 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। रोग के दौरान निम्न शक्तियां। बेहोशी जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर तथा खांसी के लिए उच्च शक्तियों का प्रयोग किया जाता है और रोग ठीक होने पर औषधि का प्रयोग बंद कर दिया जाता है।


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