बादियागफ्रेश (वाटर स्पॉज) BADIAGA (Fresh-water-sponge)

 बादियागफ्रेश (वाटर स्पॉज) BADIAGA (Fresh-water-sponge) 

परिचय-

बादियाग औषधि कैल्शियम, एल्यूमीनियम और साइलीसिया को मिलाकर तैयार की जाती है। इन तीनों औषधियों को मिलाने से बनने वाली बादियाग औषधि अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने में बहुत ही लाभकारी है। बादियाग औषधि का प्रयोग मुख्य रूप से सर्दी से होने वाले रोग तथा शरीर के किसी भी अंग में गांठ उत्पन्न होने पर किया जाता है। बादियाग औषधि शरीर में बनने वाली विष (दूषित द्रव्य) को दूर करने में अधिक लाभकारी है। यह औषधि खून में अपनी प्रतिक्रिया कर कण्ठमाला रोग का लक्षण प्रकट करती है। यह औषधि पेशियों और उनके ऊपरी परत में होने वाले दर्द को दूर करती है। रोगी को हिलने-डुलने और कपड़े पहनने से रोगग्रस्त अंगों पर रगड़ होने से दर्द होना तथा रोगी में सर्दी सहन करने की क्षमता कम होना आदि में बादियाग औषधि लाभकारी है। ग्रिन्थयों की सूजन। पूरे शरीर में लकवा मार जाने जैसी स्थिति। गलगण्ड, आतशक (गर्मी का रोग), गिल्टी, लाल खसरा आदि में बादियाग औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। इस औषधि का प्रयोग गर्मी के मौसम में अच्छा रहता है और बरसात व सर्दी के मौसम में इसके सेवन से इस औषधि में मौजूद लक्षण रोगी में उत्पन्न हो सकते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों के लक्षणों के आधार पर बादियाग औषधि का उपयोग :-

खांसी से संबन्धित लक्षण :

खांसी रोग से ग्रस्त रोगी को सर्दी लगने से नाक से तरल पानी की तरह बलगम का निकलना, अधिक छींके आना, छाती में दमा की तरह खिंचाव महसूस होना है तथा सांस लेने और छोड़ने में कठिनाई होना आदि लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को बादियाग औषधि का सेवन कराने से रोग ठीक होता है। बादियाग औषधि हूपिंग खांसी के साथ सुई चुभने जैसा दर्द उत्पन्न होने पर रोगी को यह औषधि देने से दर्द आदि में आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त कुकर खांसी में भी बादियाग औषधि लाभकारी होती है। कुकर खांसी ऐसी खांसी है, जिसमें कफ निकालने के लिए पूरा जोर लगाना पड़ता है और कफ की गुठलियां बाहर आती हैं। इस खांसी में रोगी खांसते-खांसते बेदम हो जाता है और मवाद की तरह कफ की गुठलियां बाहर आती हैं। ऐसे में रोगी को बादियाग औषधि सेवन देनी चाहिए। इसके उपयोग से खांसी ठीक होती है।

सिर से सम्बंधित लक्षण :

सिर रोग ग्रस्त होने के साथ रोगी में उत्पन्न होने वाले लक्षण जैसे- रोगी को अचानक महसूस होना कि सिर बहुत बढ़ गया है और सिर के अन्दर कोई चीज भरी हुई है। रोगी के सिर और कनपटियों में दर्द होता है जो धीरे-धीरे आंखों तक फैल जाता है और वह दर्द दोपहर के बाद और अधिक बढ़ जाता है, आंखों के नीचे नीला घेरा बनने लगता है, सिर में सिकुड़ापन और खोपड़ी में तेज दर्द होने लगता है, सिर में खुश्की होती है। इस तरह के लक्षणों में कोई भी लक्षण से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बादियाग औषधि का प्रयोग किया जाता है।

सिर में जड़ता और चक्कर आने जैसा अनुभव होना। सर्दी-जुकाम के साथ छींकें अधिक आना तथा नाक से पानी जैसा पतला बलगम निकलने के साथ दमा जैसा सांस और दम घोट देने वाली खांसी में भी यह औषधि लाभकारी है। इन्फ्लुएंजा रोग, हल्की सी आवाज भी बहुत तेज महसूस होना आदि सिर से सम्बंधित ऐसे लक्षणों में बादियाग औषधि का प्रयोग किया जाता है।

आंखों से संबधित लक्षण :

आंखों के रोगग्रस्त होने पर उत्पन्न होने वाले लक्षण, जैसे- बांई आंख की ऊपरी पलक में खिंचाव होना, आंखों के गोले में दर्द होना। दोपहर के बाद आंखों के गोले में रुक-रुककर होने वाला तेज दर्द। आंखों के इन रोगों में कभी-कभी कम या अधिक सिर दर्द होना तथा साथ ही आंखों के गोलक में दर्द बना रहना ऐसे आंखों के रोगों के लक्षणों में बादियाग औषधि का प्रयोग करने से रोग ठीक होता है।

बालों से संबन्धित लक्षण :

जिसके बाल अधिक झड़ते हो, खल्वाट रोग (गंजापन), सिर में खुजली रहती है। सिर की त्वचा छूने से दर्द होता है। माथे पर भी फुंसियां जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए बादियाग औषधि का उपयोग करना अधिक लाभकारी होता है।

गांठ से संबन्धित लक्षण :

गांठ वाले स्थान पर सूजन होने के साथ गाल, गर्दन व गर्दन के पिछले भाग में, बगल में, कान की जड़ और जबड़े की गांठ आदि में सूजन उत्पन्न होना आदि ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए बादियाग औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

बादियाग औषधि का प्रयोग प्रमेह, गर्मी, प्लेग आदि किसी भी कारण से उत्पन्न होने वाले बाघी रोग में पत्थर की तरह सख्त होने वाली गांठों को तोड़ने के लिए किया जाता है। गांठों के रोग में बादियाग औषधि का सेवन करने के साथ इसके रस को रुई पर लगाकर गांठ पर लगाने से अधिक लाभ मिलता है।

बाघी रोग से संबन्धित लक्षण :

बाघी रोग में जांघ के जोड़ों में गांठ बन जाती है और फिर गांठ सख्त हो जाती है, जिसके कारण उस स्थान पर सूजन आ जाती है। ऐसे में बादियाग औषधि का सेवन करने और इसके रस का मदर टिंचर (मूलार्क) गांठ के ऊपर लगाने से रोग में जल्दी लाभ मिलता है।

कंठमाला से संबन्धित लक्षण :

बादियाग औषधि का उपयोग कंठमाला में अधिक लाभकारी होता है, विशेषकर जब गले की ग्रन्थियां अधिक कठोर हो गई हो और उनमें मवाद पैदा होकर गांठ पकने व फूटने लगा हो। ऐसे में बादियाग का उपयोग करने से कंठमाला नष्ट होता है। बादियाग औषधि के उपयोग से कंठमाला की बढ़ी हुई अवस्था, कंठमाला होने पर आंखों में जलन होना, दांई आंखों में स्नायविक पीड़ा रहना आदि में भी लाभ मिलता है।

बुखार से संबन्धित लक्षण :

बादियाग औषधि का उपयोग दूषित वायु के कारण होने वाले बुखार में भी लाभकारी होता है। इसके अतिरिक्त अधिक छींके आने व नाक से श्लेष्मा निकलने पर भी इस औषधि का सेवन लाभकारी होता है।

अन्य रोग :

गर्भाशय से खून का आना और रात को स्राव अधिक बढ़ जाना व सिर बढ़ा महसूस होना आदि में बादियाग औषधि का प्रयोग लाभकारी है। बादियाग औषधि का प्रयोग बवासीर, मस्से, दाहिने आंख के स्नायुओं में दर्द होना, हूपिंग खांसी में अधिक खांसने से बलगम निकलना, घोड़े के खुर की चोट आदि बीमारियों में लाभदायक है।

सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण :

खांसी दोपहर के बाद बढ़ जाती है और गर्म कमरे में जाने पर खांसी कम हो जाती है। इस रोग में खांसने पर बलगम रोगी के मुंह या नाक से निकलकर अपने-आप दूर जा गिरता है। सांस रोग के ऐसे लक्षणों में बादियाग औषधि का उपयोग लाभकारी होता है।

रोगी में उत्पन्न काली खांसी जिसमें पीले रंग का गाढ़ा बलगम मुंह और नाक से निकलता रहता है। परागत ज्वर के साथ दमा में रोगी को सांस लेने में परेशानी होना, छाती की सूजन, गर्दन की सूजन और पीठ की सूजन के साथ फेफड़ों की झिल्ली की सूजन आदि लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को ठीक करने के लिए बादियाग औषधि का सेवन कराना चाहिए।

आमाशय से संबन्धित लक्षण :

रोगी का मुंह गर्म रहता है, प्यास अधिक लगती है, पेट में चुभने जैसा तेज दर्द होता है जो पेट से शुरू होकर धीरे-धीरे कशेरुका और कन्धों तक फैल जाता है। आमाशय रोगग्रस्त होने पर रोगी में ऐसे लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को ठीक करने के लिए बादियाग औषधि का सेवन कराना चाहिए।

स्त्री रोग से संबन्धित लक्षण :

स्त्रियों में मासिक धर्म के साथ जब खून आने लगता है तो उसे रक्तप्रदर कहते हैं। रक्तप्रदर होने पर स्त्री को रात के समय अपना सिर धीरे-धीरे बढ़ता हुआ अनुभव होता है। ऐसे में स्त्रियों को बादियाग औषधि देने से रक्तप्रदर के साथ उत्पन्न होने वाले अन्य लक्षण भी दूर होते हैं। बादियाग औषधि के प्रयोग से स्तन कैंसर भी ठीक होता है।

कान से संबन्धित लक्षण :

कान रोगग्रस्त होने पर उत्पन्न होने वाले विभिन्न लक्षणों जैसे-कान के निचली ग्रन्थियां का बढ़ जाना, कान की ग्रन्थियों में सूजन आना, सभी ग्रन्थियों का बढ़कर अण्डाकार हो जाना तथा इन ग्रन्थियों में से कुछ ग्रन्थियां का कठोर हो जाना और कुछ पककर फूट जाना जैसे लक्षण उत्पन्न होने के कारण कान से पीब बाहर आने लगता है। इस रोग में तेज चुभन वाली पीड़ा होती है जो दाईं ओर से शुरू होकर कंठास्थि तक पहुंच जाती है। इस रोग के होने पर कंधों के पीछे की ओर मोड़ने तथा छाती तानने या शरीर के किसी भी ओर हल्का मोड़ने पर दर्द तेज हो जाता है। रोगी में इस तरह के लक्षणों में से कोई भी लक्षण उत्पन्न होने पर बादियाग औषधि का सेवन कराना चाहिए। यह औषधि सभी लक्षणों को दूर कर रोग को ठीक करती है।

हृदय से संबन्धित लक्षण :

हृदय रोग में रोगी के हृदय के आस-पास विकार का अनुभव होने के साथ ही हृदय के पास तेज दर्द होता है तथा रोगी के पूरे शरीर में सुई चुभने जैसा दर्द होता रहता है। इस तरह के हृदय रोग में बादियाग औषधि का उपयोग करना अत्यधिक लाभकारी होता है।

गर्दन से संबन्धित लक्षण :

गर्दन कठोर होने या गर्दन अकड़ जाने पर बादियाग औषधि का उपयोग लाभकारी होता है। गर्दन में दर्द होने पर विशेषकर गर्दन के पिछले भाग में चुभन जैसा दर्द होने पर जो आगे की ओर झुकने या पीछे की ओर मुड़ने से अधिक तेज हो जाता है। ऐसे गर्दन के दर्द में बादियाग औषधि का सेवन करने से अकड़न और दर्द आदि में जल्दी आराम मिलता है।

त्वचा से संबन्धित लक्षण :

इस रोग में रोगी के त्वचा को छूने पर रोगी को दर्द होता है, रोगी के त्वचा पर दरारें पड़ जाती है और त्वचा पर दाग व चकत्ते आदि उत्पन्न हो जाते हैं। त्वचा पर ऐसे लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को बादियाग औषधि देनी चाहिए।

मांसपेशियों का दर्द :

यदि रोगी की मांसपेशियां और उसको ढकने वाली त्वचा में दर्द का अनुभव होता है तथा मांसपेशियों को छूने से भी दर्द का अनुभव होता है। मांसपेशियों का यह दर्द इतना असाधारण होता है कि पहना हुआ कपड़ा भी रोगग्रस्त अंगों को छू जाने से दर्द होने लगता है तथा ऐसा दर्द अनुभव होता है जैसे किसी ने उस अंगों को पीट या कुचल दिया हो। इस तरह के मांसपेशियों में उत्पन्न होने वाले संवेदनशील दर्द में बादियाग औषधि का उपयोग करने से रोग जल्द ठीक होता है।

शरीर के विभिन्न अंगों :

गर्दन और कन्धों में सुई चुभने जैसा दर्द होने पर बादियाग औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस औषधि का उपयोग कमर, नितम्बों और उसके निचले हिस्से में दर्द आदि उत्पन्न होने पर, गर्दन में अकड़न पैदा होने पर किये जाते हैं। कभी-कभी पेशियों और त्वचा पर ऐसे दर्द महसूस होता है, मानो किसी ने शरीर को कूट दिया है। शरीर में इस तरह दर्द उत्पन्न होने पर बादियाग औषधि का उपयोग करने से दर्द में जल्दी आराम मिलता है।

उपदंश रोग :

गर्मी से उत्पन्न होने वाले रोग तथा एड़ियों के फटने और खूनी बवासिर में भी बादियाग औषधि का उपयोग लाभकारी होता है।

वृद्धि :

ठण्डी हवा या ठण्डे मौसम में रहने से रोग बढ़ जाता है।

शमन :

गर्मी या गर्म कमरे में रहने से रोग में आराम मिलता है।

तुलना :

बादियाग औषधि की तुलना बैराइटा कार्ब, स्पांजिया, फाइटो, काली हाइड्रोजन, साइली , बैरा-का, लैपि-ए, मर्क, स्पाई, सल्फ, आयोड, मर्क तथा कोनियम से किया जाता है।

पूरक : 

बादियाग औषधि का पूरक सल्फर, मर्क्यू और आयोड है।

मात्रा : 

बादियाग 3x या बादियाग 6 शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।


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