बैलसमम पेरूवियेनम (पेरूवियन बालसम फ्रॉम माइरॉक्सिलॉन पैररे)(बैल-पेरू) - Baal Peru

 बैलसमम पेरूवियेनम (पेरूवियन बालसम फ्रॉम माइरॉक्सिलॉन पैररे)(बैल-पेरू)

परिचय-

बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का प्रयोग रोगी में उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रकार के स्राव को रोकने के लिए अधिक लाभकारी है। बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का प्रयोग अधिकतर ऐसे स्राव में विशेष रूप से लाभकारी होता है जिसमें स्राव से सड़न जैसी बदबू आती है और रोगी को बराबर प्रलेपक ज्वर (हैक्टीक फीवर) बना रहता है। रोगों में बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का प्रयोग 3 प्रकार से किया जाता है- 1. सेवन करना 2. लेप के रूप में और 3 स्टीम ऑटोमाइजर नामक यंत्र द्वारा धुंआ करके रोगी को सांस से ग्रहण कराना। शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों के आधार पर बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का उपयोग :

1. नाक से संबन्धित लक्षण :

नाक से अधिक मात्रा में गाढ़े कफ की तरह स्राव होना, नाक में खुजली होना, नाक में छोटी-छोटी फुंसियां या घाव होना। अधिक पुराना नजला जिससे दुर्गन्ध आती हो। रोगी में उत्पन्न होने वाले ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए बैलसमम पेरूवियेनम औषधि के प्रयोग करने से रोग समाप्त होता है।

2. सांस रोग (निमोनिया, थाइसिस और बांक्डाइटि) से संबन्धित लक्षण :

रोगी के फेफड़े से अधिक बदबूदार पीले या हरे रंग की गाढ़ी पीव या मक्खन की तरह सफेद बलगम निकलना। रोगी को बुखार होने के साथ बड़बड़ाने की इच्छा करना और रात को पसीना अधिक आना। ऐसे लक्षणों में रोगी को बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का सेवन कराना लाभकारी होता है।

3. खांसी से संबन्धित लक्षण :

रोगी को खांसी के साथ बलगम आता है और कभी-कभी खांसते समय बलगम के साथ खायी हुई पदार्थ की उल्टियां हो जाती है। रोगी के अन्दर से श्लेष्मा सरल और घड़-घड़ आवाजें निकलती रहती है। इन लक्षणों में बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का सेवन कराने से रोग ठीक होता है।

3. मूत्र रोग से संबन्धित लक्षण :

रोगी को कम मात्रा में पेशाब आता है तथा पेशाब के साथ सफेद रंग का पदार्थ निकलना या मूत्राशय का प्रतिश्याय आदि पेशाब से संबन्धित लक्षण दिखाई देने पर रोगी को बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का सेवन कराने से रोग जल्द ठीक होता है।

4. आमाशय से संबन्धित लक्षण :

पुरानी पेचिश अर्थात मल के साथ खून का आना तथा मल से तेज बदबूदार पीव और अधिक मात्रा में आंव आने पर रोगी को बैलसमम पेरूवियेनम औषधि सेवन करानी चाहिए। इससे आमाशय रोगग्रस्त होने पर उत्पन्न होने वाले अन्य लक्षण दूर होकर रोग ठीक होते हैं।

5. त्वचा रोग से संबन्धित लक्षण :

शरीर पर किसी भी कारण से बनने वाले घाव या पुराने सर्दी जुकाम से संबन्धित लक्षण उत्पन्न होने पर बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। किसी भी प्रकार के चर्म रोग, एक्जिमा के कारण त्वचा पर घाव बनना और उस घाव से बदबूदार गाढ़ा मवाद निकलना आदि लक्षण उत्पन्न होने पर बैलसमम पेरूवियेनम का प्रयोग लाभकारी होता है। त्वचा पर सूखी या तर खुजली होने पर बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का प्रयोग किया जाता है।

6. स्तन रोग से संबन्धित लक्षण :

यदि किसी स्त्री के स्तन की घुण्डी में घाव हो गया हो तो बैलसमम पेरूवियेनम औषधि के 15 बूंद देने से घाव ठीक होता है।

तुलना :

बैलसमम पेरूवियेनम की तुलना बालसमम टोलूटैनम और ओलियम कैरियोफीलम औषधि से की जाती है।

मात्रा :

बैलसमम पेरूवियेनम के 2x या 3 शक्ति का प्रयोग किया जाता है। परन्तु प्रलेपक ज्वर होने पर बैलसमम पेरूवियेनम के 6ग देना चाहिए।

अन्य रोगों में बैलसमम पेरूवियेनम का उपयोग :

सामान्य रूप से उत्पन्न होने वाले रोग जैसे- मण्दरोही घावों, खुजली, स्तनों के निपल फटने पर, त्वचा का फटने आदि रोगों में बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का प्रयोग करने से यह त्वचा की शक्ति को बढ़ाकर रोग को ठीक करती है। यह कर्णाकुर को बढ़ाती है और बदबू को खत्म करती है।

सांस से संबन्धित रोगों में पिचकारी द्वारा 1 प्रतिशत सुरासार या ईथर के घोल का प्रयोग किया जा सकता है। पुरानी सांस नली की सूजन में बैलसमम पेरूवियेनम औषधि का उपयोग करने से सूजन ठीक होती है और कफ को खत्म करती है। इस रोग में बैलसमम पेरूवियेनम औषधि की मात्रा 5 से 15 बूंदे गोंद के पानी या अण्डे की सफेदी में मिलाकर देने से लाभ मिलता है।


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें