बैसीलीनम - BACILINUM

 बैसीलीनम BACILINUM 

परिचय-

बैसीलीनम औषधि का प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों को ठीक करने में किया जाता है परन्तु इस औषधि का प्रयोग विशेष रूप से यक्ष्मा (टी.बी.) रोग से संबन्धित लक्षणों को दूर करने में अधिक लाभकारी माना गया है। बैसीलीनम औषधि यक्ष्मा (टी.बी.) रोग को ठीक करने में अत्यधिक लाभकारी है। इसके प्रभाव से शरीर में बनने वाले अधिक बलगम की मात्रा कम होती है। इस औषधि के प्रयोग से फेफड़ों में वायु अधिक मात्रा में पहुंचने लगती है जिससे खून में बनने वाले दूषित द्रव्य बाहर निकल जाती है और फेफड़ों की वायुकोष्ठ खुल जाती हैं जिसके कारण फेफड़ों में वायु अधिक मात्रा में जाने लगती है और धीरे-धीरे यक्ष्मा (टी.बी.) से संबन्धित लक्षण समाप्त होकर रोग ठीक हो जाता है। बैसीलीनम औषधि का विशेष प्रभाव रोगों में तब पड़ता है जब रोगी के शरीर में पीब जैसा पतला कफ अधिक मात्रा में बनने लगता है और रोगी व्यक्ति के शरीर में पीब अधिक मात्रा बनने से रोगी को सांस लेने में भी कठिनाई होती है और पीब सांस नली में भर जाती है जो बलगम के रूप में निकल ती रह ती है। ऐसे लक्षणों से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बैसीलीनम औषधि का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप शरीर में पीब का बनना बंद होकर शरीर से पीब बाहर निकलता है। रोगी को सांस लेने में उत्पन्न परेशानी को दूर करता है साथ ही यक्ष्मा (टी.बी.) रोग को भी समाप्त करता है। बैसीलीनम का प्रयोग यक्ष्मा (टी.बी.) के अतिरिक्त अन्य पुराने रोगों में भी लाभकरी माना गया है।

बैसीलीनम औषधि का प्रयोग उन वृद्ध व्यक्तियों के फेफड़ों की बीमारियों में लाभकारी है जिन व्यक्तियों को पुराने नजला-जुकाम की शिकायत बराबर बनी रहती है। इसके अतिरिक्त जिस व्यक्ति के फेफड़ों में खून का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, रात को अचानक घुटने के दौरे पड़ते हैं और खांसते समय परेशानी होती है। ऐसे में बैसीलीनम औषधि के प्रयोग से रोग जल्द दूर होता है। दान्तों पर मैल जम जाने पर बैसीलीनम औषधि का प्रयोग से दान्तों पर जमी मैल साफ होती है। जिस व्यक्ति को बार-बार सर्दी-जुकाम होती रहती है, उसके लिए भी यह औषधि लाभकारी होती है।

शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर बैसीलीनम औषधि का उपयोग :-

1. सिर से संबन्धित लक्षण :

बैसीलीनम औषधि का प्रयोग सिर दर्द के विभिन्न लक्षणों में किया जाता है, जैसे- रोगी व्यक्ति में अधिक चिड़चिड़ापन तथा उत्साहहीनता आ जाना। तेज सिर दर्द जो सिर की गहराई से उत्पन्न होता हुआ महसूस होता है और रोगी को अपने सिर पर रस्सी बांधने जैसा अनुभव होता रहता है। रोगी की त्वचा पर दाद और पलकों का छाजन अर्थात खुजली होना आदि सिर रोग से संबन्धित लक्षणों में बैसीलीनम का प्रयोग किया जाता है।

2. पेट से संबन्धित लक्षण :

पेट रोगग्रस्त होने पर उत्पन्न होने वाले विभिन्न लक्षण जैसे- पेट में दर्द रहना, ऊरू ग्रंथियां फूली हुई, आन्तों की टी.बी. होना, भोजन करने से पहले पतला दस्त आना, पेट में अधिक कब्ज बनना और कब्ज के कारण दुर्गन्धित हवा निकलना आदि पेट से संबन्धित लक्षण रोगी में उत्पन्न होने पर रोगी को ठीक करने के लिए बैसीलीनम औषधि का प्रयोग किया जाता है।

3. सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण :

सांस रोग से ग्रस्त व्यक्ति को घुटन होना तथा नजले के कारण सांस लेने में परेशानी होना, तर दमा रोग तथा सांस नली में बुलबुले उठने जैसी आवाज निकलना के साथ श्लेष्मा-पूय बलगम निकलना आदि लक्षणों से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बैसीलीनम औषधि देनी चाहिए।

सांस नली की सूजन से पीड़ित रोगियों में श्लेष्म-पूय बलगम बहुदण्डाणुक (पोली बैसलरी) होता है। यह रोगाणुओं की अनेक जातियों का सम्मिश्रण होता है और इससे व्यवहार में लाने का स्पष्ट संकेत रहता (कार्टियर)। यह औषधि आमतौर पर फेफड़ों में अतिरक्तसंकुलता (कोनगेशन) को दूर करती है और इस तरह यह औषधि यक्ष्मारोग को दूर करने में अधिक प्रभावशाली होता है।

5. त्वचा से सम्बंधित लक्षण :

बैसीलीनम औषधि का प्रयोग त्वचा से संबन्धित विभिन्न लक्षणों जैसे- त्वचा का एक विशेष प्रकार का रोग जिसमें त्वचा पर बारीक कीलें निकलती हैं और जिस पर कभी खुरण्ड नहीं जमते। त्वचा पर निकलने वाली यह कीलें बार-बार निकलती रहती हैं। रोगी व्यक्ति के गर्दन की ग्रन्थियां बढ़ी हुई तथा पलकों में छाजन रहती है। ऐसे त्वचा रोग के लक्षणों में रोगी को ठीक करने के लिए बैसीलिनम औषधि का प्रयोग किया जाता है।

वृद्धि :

रात को तथा सुबह के समय तथा ठण्डी हवा में घूमने से रोग बढ़ता है।

संबन्ध :

बैसीलीनम औषधि का संबन्ध एण्टिमोनियम आयोडे, लैके, आर्सेनिकम आयोडे, मायोसोटिस, लेविको आदि से माना जाता है। इन औषधियों का प्रयोग रोगी में अधिक दुर्बलता होने पर जल्दी लाभ के लिए रोगी व्यक्ति को 5-10 बूंदें दी जाती हैं।

पूरक :

कल्के-फा और काली-का औषधि बैसीलीनम औषधि का पूरक है।

तुलना :

बैसीलीनम औषधि की तुलना टुबरकुलीनम औषधि से की जाती है। बैसीलीनम और टुबरकुलीनम दोनों ही औषधियों को यक्ष्मा रोग को दूर करने में अधिक लाभकारी माना गया है। इन दोनों औषधि का विशेषकर लाभ तब मिलता है जब फेफड़ों में यक्ष्मा रोग विकसित होने के छोटे-मोटे लक्षण उत्पन्न होने के आशंका हो। बैसीलीनम का प्रयोग ग्रन्थियों, सन्धियों, त्वचा और ह़ड्डियों की टी.बी. की शुरुआती अवस्था में करने से रोग दूर करने में यह अधिक लाभकारी होता है। बैसीलीनम टैस्टियम विशेषत: शरीर के निचले अंगों पर प्रतिक्रिया कर रोगों को दूर करती है।

मात्रा :

बैसीलीनम औषधि को 30 शक्ति से नीचे की शक्ति नहीं देनी चाहिए और नहीं यह औषधि बार-बार रोगी को देना चाहिए। इस औषधि को सप्ताह में एक बार लेना चाहिए। यह औषधि रोग में बहुत जल्दी लाभ पहुंचाती है। इस औषधि के एक डोज से ही रोग खत्म हो जाते हैं।


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