एजाडिरैक्टा इण्डिका - AZADIRACHTA INDICA

 एजाडिरैक्टा इण्डिका AZADIRACHTA INDICA

परिचय-

एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का प्रयोग कई प्रकार के रोगो को ठीक करने के लिए किया जाता है जो इस प्रकार हैं- पीनस (ओजिना), खुजली (ऐसी खुजली जिसमें से पानी की तरह पीब निकलता है) तथा विम्बिका (पेम्हिगस) रोग। एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी हर समय निराश रहता है, याददाश्त कमजोर हो जाती है, किसी भी शब्दों को लिखते समय मात्राओं की गलती करता है, किसी भी व्यक्ति के नामों को याद नहीं रख पाता है, वह एक दिन की बातों को दूसरे दिन याद नहीं रख पाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को चक्कर आते रहते हैं तथा सुबह दस बजे अधिक चक्कर आता है, जब वह बैठकर उठने की कोशिश करता है तो उसे अधिक चक्कर आता है, सिर में दर्द होता रहता है, जब रोगी खुली हवा में झुकने का कार्य करता है तो उसके सिर में और भी तेज दर्द होने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग लाभकारी है।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होता रहता है, तथा इसके साथ ही उसके आंखें लाल हो जाती है तथा उसमें जलन होने लगती है, सिर भारी-भारी महसूस होता है, दायें नेत्रगोलाक में दबाव महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि उपयोग करना चाहिए।

कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कानों में भिनभिनाहट महसूस होती है अर्थात रोगी को ऐसा लगता है कि उसके कानों में गुदगुदी हो रही है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कान से पानी जैसा पदार्थ निकलने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को प्यास बहुत कम लगती है, मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है, मुंह चिपचिपा हो जाता है, जीभ जलनशील तथा दर्द युक्त हो जाती है, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जीभ गर्म पानी से जल गया हो, लार अधिक निकलता है तथा लार का स्वाद नमकीन होता है, खाने को निगलने में कठिनाई होती है, पानी तथा मांस को निगलने में और भी अधिक कठिनाई होती है, अत्यधिक प्यास लगती है, रोगी को कभी-कभी प्यास बिल्कुल नहीं लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

गले से सम्बन्धित लक्षण :- गले में जलन होने पर एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करने से गले का जलन ठीक हो जाता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बेचैनी होती है, पेट में वायु बनने लगती है और जब यह वायु मलद्वार से बाहर निकलता है तो अधिक बदबू आती है, पाचनतंत्र में होने वाला दर्द होता है, नाभि के आस-पास के भाग में चुभन जैसा दर्द होता है जो रोगी को आगे की ओर झुकने लिए बाध्य कर देता है तथा इसके साथ-साथ ही हृदय में जलन होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि उपयोग करना उचित होता है।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बहुत कम मात्रा में मलत्याग होता है तथा कब्ज की शिकायत हो जाती है, रोगी जब मलत्याग करता है, मल कठोर तथा सख्त होता है और इसके साथ ही रोगी के आंतों में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के प्रजननांगों में भारी उत्तेजना होती है, पेशाब बहुत कम आता है, पेशाब का रंग गाढ़ा होता है तथा जलन पैदा करने वाला होता है और उससे बदबू आती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।

श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी जब दोपहर के समय में स्नान कर लेता है तो उसे अधिक खांसी होने लगती है, बलगम सफेद गाढ़ा रंग का होता है, रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर के कई भागों में सुन्नपन महसूस होती है, तलुओं तथा हथेलियों में जलन होता है, शरीर के कई अंगों के जोड़ों में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बहुत कम नींद आती है तथा वह सोते समय बिस्तर पर करवट लेता रहता है, रोगी को रात के समय में सपने आते रहते हैं तथा सपने में ऐसा लगता है कि वह लड़ रहा है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के त्वचा पर खुजली होती है, उसके इस रोग का उपचार करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।

ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बुखार हो जाता है तथा इसके साथ ही रोगी को सर्दी या जुकाम भी होता है, रोगी को बुखार चार बजे शाम से शुरु होता है और आठ बजे तक रहता है, शरीर के कई भागों में जलन तथा गर्मी होने लगती है, रोगी को पसीना बहुत अधिक आता है, रोगी के गर्दन, माथे तथा शरीर के अन्य भागों से पसीना अधिक आता है तथा शरीर के निचले भागों से पसीना नहीं निकलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

मात्रा :- 

एजाडिरैक्टा इण्डिका औषधि की 6, 30, 200 शक्तियां का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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