परिचय-
ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि की मूत्रस्राव पर तथा द्रुतगामी क्रिया पर प्रभाव पड़ता है। यह औषधि शरीर में कमजोरी लाती है तथा हृदय की गति को कम करके सूजन उत्पन्न करती है।
मेरुदण्ड के स्नायुमण्डल के माध्यम से ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि अपनी मूल क्रिया गुर्दे पर करती है और इस औषधि का सीधा प्रभाव हृदय की क्रिया पर पड़ता है जिसके कारण हृदय की क्रिया गड़बड़ा जाती है।
ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को भ्रम महसूस होता है तथा उसे सर्दी तथा जुकाम भी हो जाता है, नाक से अधिक मात्रा में पानी जैसा तरल पदार्थ निकलता रहता है, माथे और नाक की जड़ में दर्द होता है, सुबह के समय में जब रोगी उठता है तो उसके सिर में दर्द होने लगता है तथा इसके साथ ही उसकी आंखों के आगे काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। रोगी का गला खुरदुरा हो जाता है तथा जब वह खंखारता है तो गले से अधिक मात्रा में चिपचिपा पदार्थ (बलगम) बाहर निकलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि का उपयोग करने से रोग ठीक हो जाता है।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बार-बार पेशाब आता है तथा मूत्रपथ में बारीक सी सुई चुभने जैसा दर्द होता है तथा इसके साथ मूत्रपथ में जलन और पेशाब से बदबू आती है। मूत्राशय में जलन होने के साथ-साथ पीब जैसा पदार्थ बाहर निकलता है। पथरी रोग। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के छाती में घुटन सी महसूस होने लगती है, नाड़ी रुक-रुककर चलती है, हृदय में दर्द होता है, बायां कंधा कमजोर हो जाता है और इन लक्षणों का सम्बन्ध मूत्राशय के रोगों से जुड़ा रहता है, जब रोगी ''वास लेता है तो उस समय उसे अधिक घुटन महसूस होती है। छाती में पानी भर जाता है तथा इसके साथ ही रोगी को छाती में भारीपन महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पीठ में, कंधों के आस-पास और हाथ-पैरों के जोड़ों में दर्द, बायें कंधे के उभार से लेकर कंठास्थि तक दर्द होता है जो नीचे बाजू तक फैल जाता है और नाड़ी कमजोर हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि का उपयोग करना चाहिए।
सम्बन्ध :-
आलथिया, फाइलेलिस अल्केकेंगी, डिजिटैलिस, सर्सापैरिल्ला तथा सापइजीलिया औषधि की तुलना ऑफिसिनैलिस औषधि से कर सकते हैं।
प्रतिविष :-
ऐकोना, एपिस औषधियां के हानिकारक प्रभाव को ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि का प्रयोग किया जाता है।
मात्रा :-
ऐस्पैरेगस ऑफिसिनैलिस औषधि की छठी शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
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