एमिग्डेलस पर्सिका (AMYGDALUS PERSICA)

 एमिग्डेलस पर्सिका (AMYGDALUS PERSICA)

परिचय-

उल्टी आने की विभिन्न अवस्थाओं में एमिग्डेलस पर्सिका औषधि का प्रयोग किया जाता है जिसके फलस्वरूप उल्टी से सम्बन्धित कई प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं। ऐसे रोगी को सुबह के समय उल्टी होती है तथा उसके आंखों में चुभन, मल का रुक जाना तथा रक्तमेह हो जाता है। यदि किसी रोगी के पेशाब में खून आ रहा हो तो ऐसे औषधि के रोग को ठीक करने के लिए एमिग्डेलस पर्सिका औषधि का उपयोग करना चाहिए।

बच्चों के मलद्वार में जलन होना (गेस्ट्रीक इरेशन-मलत्याग करने में परेशानी होना, खाना खाते ही दस्त लग जाना, जीभ का स्वाद बिगड़ जाना तथा जीभ से बदबू आना, मलद्वार के अन्दरूनी भाग में जलन होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी की जीभ फैली हुई नोकदार हो जाती है तथा उसके किनारे लाल रहते हैं। रोगी को उल्टी तथा मिचली की समस्या हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एमिग्डेलस पर्सिका औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

गलतुण्डिकाओं में दर्द होना, गले का अन्दरूनी भाग गहरा पड़ जाना तथा किसी भी चीज को निगलने में कठनाई होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को उल्टी और खांसी हो जाती है तथा इसके साथ दर्द भी होता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एमिग्डेलस पर्सिका औषधि से तुलना एमिग्डेल अमारा औषधि से कर सकते है।

मात्रा (डोज) :- 

एमिग्डेलस पर्सिका औषधि का ताजा काढ़ा या मूलार्क का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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