एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा (Ailanthus Glandulosa)


परिचय-

एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि एक ऐसी वृक्ष से बनायी जाती है जो चीन, जापान आदि देशों में होता हैं। यह वृक्ष देखने में बहुत अधिक सुन्दर होता है लेकिन जब उसमें फूल आते हैं, तब उनमें से इतनी तेज बदबू आती है कि उस वृक्ष के पास कोई नहीं जा सकता।

एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग कई प्रकार के रोग को ठीक करने के काम आता है जो इस प्रकार हैं- फार्लिकुवर, टांन्सिलाइटिस, डिफ्थीरिया, आरक्तज्वर (स्कारलेट फीवर) तथा कोई भी ऐसी बीमारी जिसमें शरीर की त्वचा का रंग एकाएक बैंगनी हो जाती है तथा चेहरा काला पड़ पड़ जाता है। शरीर में बहुत अधिक कमजोरी महसूस होने तथा इसके साथ ही नाड़ी की चलने की गति एकदम कम या तेज हो गई हो तो एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग किया जाता है।

हल्के तापमान वाले ज्वर (बुखार), गलतुण्डिकाशोथ (फोल्लीक्युला टॉंसिलिटीज.गले में सूजन), गुच्छाणु रोग (स्ट्रेप्रोकोकस इंफेक्शन), शरीर के किसी अंग से खून बहना आदि रोगों को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

वे रोग जिनमें शरीर पर दाने न निकले या दाने देर से निकले या निकलकर दब जाये, तथा इन लक्षणों के साथ ही अनिद्रा रोग हो जाए और बहुत अधिक बेचैनी होती हो, रोगी का जी मिचला रहा हो, उल्टी करने का मन कर रहा हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

त्वचा रोग से सम्बन्धित लक्षण :- त्वचा नीली या बैंगनी हो गई हो, चेहरे पर गर्मी महसूस हो रही हो, दान्तों पर मैल जम गई हो, गला सूजकर बैंगनी रंग की हो गई हो, अपने आप में कुछ न कुछ बड़बड़ाने का मन कर रहा हो तथा रोगी को अधिक सोच हो रही हो, नाड़ी कमजोर हो गई हो तथा शरीर का अधिकांश भाग ठण्डा पड़ गया हो। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी रोगी में है तो उसका उपचार करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

अतिसार से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अतिसार (दस्त) हो गया हो तथा पेचिश जैसी अवस्था हो गई हो और शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ गई हो तो ऐसी अवस्था में रोगी का उपचार करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी अधिक उदासी होने के कारण आहें भर रहा हो, भ्रम अधिक हो रहा हो, मानसिक परेशानी अधिक हो तथा इसके साथ ही सिर में दर्द हो रहा हो जिसके कारण रोगी को नींद नहीं आ रही हो, शरीर में रक्त का बहाव कम हो गया हो तथा इसके साथ ही सिर में दर्द (पेससीव कोनगेस्टीव हैडक) हो रहा हो। आंखों से आंसू निकल रहा हो तथा आंखें फैली सी लग रही हो, किसी भी प्रकार की रोशनी अच्छी नहीं लग रही हो। नाक से कुछ मात्रा में तीखा तरल पदार्थ निकल रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- सांस क्रिया करने में अधिक तेजी हो रही हो तथा सांस लेने की क्रिया अनियमित हो गई हो। रुक-रुककर होने वाली खुश्क खांसी हो गई हो। फेफड़ें में दर्द हो रहा हो तथा इसके साथ ही फेफड़े में थक्के के समान खून जम गया हो। इस प्रकार के लक्षण होने पर एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और रोग ठीक हो जाता है।

नींद से सम्बन्धित लक्षण :- नींद न आ रही हो तथा बेचैनी अधिक हो रही हो, नींद आ जाने पर जल्दी ही टूट जा रही हो तथा शरीर में फुर्ती न रही हो, ऐसी अवस्था में रोगी को एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि देना चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जायेगा तथा रोगी को बहुत अधिक आराम मिलेगा।

गले से सम्बन्धित लक्षण :- गले में जलन हो, गले पर लाली पड़ गई हो, गले के अन्दर तथा बाहर की तरफ सूजन आ गई हो। गले के अन्दरूनी भाग रुखी, खुरदरी, खुरचन जैसी हो गई हो तथा रोगी को ऐसा महसूस हो रहा हो कि दम घुट रहा है। आवाज भारी तथा फटी सी निकल रही हो। जीभ पर सूखापन हो तथा उसका रंग कत्थई हो गई हो। दांतों पर मैल जमा हुआ हो। खाना को निगलते समय गले में दर्द हो रहा हो तथा दर्द का असर कानों तक हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हो तो एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि देना चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जायेगा।

स्कार लैट ज्वर की तीन अवस्था जिसमें एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि से उपचार किया जा सकता है :-

1. स्कार लैट ज्वर किसी भी मौसम में हो सकता है, यह बुखार बहुत हल्का होता है तथा इससे शरीर पर दाने निकलते हैं, अच्छी तरह से देखभाल करने से तथा रोगी को गर्म कमरे में रखने से यह रोग अपने आप ही ठीक हो जाता है। इस बुखार के होने पर त्वचा लाल, काला तथा चमकदार हो जाता है। रोग का रूप अधिक भंयकर नहीं होता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी का उपचार एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि से कर सकते हैं।

2. स्कार लैट ज्वर की दूसरी अवस्था में रोगी को बुखार तो नहीं होता है लेकिन बहुत अधिक परेशानी होती है। रोगी के गले के अन्दर तथा बाहर की ओर सूजन आ जाती है। गले के अन्दर रूखापन, खुरचन, खुरदरी, खुरचन और घुटन जैसी अनुभूति होती है। रोगी की आवाज भारी तथा फटी निकलती है। रोगी के जीभ में सुखापन हो जाता है तथा जीभ का रंग कत्थई रंग का हो जाता है, उसके दांतों पर मैल जम जाती है, खाना खाते समय तथा निगलते समय रोगी को गले में दर्द होता है तथा दर्द का असर कान तक होता है। इस प्रकार के स्कार लैट ज्वर से पीड़ित रोगी के रोग को उपचार करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

3. स्कार लैट ज्वर की तीसरी अवस्था में रोगी के गले के अन्दर तेज दर्द होता है तथा सूजन आ जाती है, रोग होने के कारण रोगी के शरीर का खून दूषित हो जाता है। रोगी व्यक्ति के टांसिल में सूजन आ जाती है, त्वचा फूल जाती है, त्वचा से बदबू आती है और शरीर पर दाने बहुत कम या न के बराबर होता है। यदि इस बुखार का जल्दी ही उपचार न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग का उपचार करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है तथा रोगी को बहुत अधिक आराम मिलता है।

मजिल्स (छोटी चेचक) डिफ्थीरिया रोग के वे लक्षण जिसके होने पर एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग किया जा सकता है :-

छोटी चेचक की अवस्था जब बहुत अधिक बिगड़ जाती है, दाने निकलकर दब जाते हैं या निकलते नहीं या नीले-नीले रंग के हो जाते हैं तो इस अवस्था के रोगी को एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।

गले के रोग के अनुसार एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि से रोगों को ठीक करने में अन्य औषधियों से तुलना :- 

एपिस औषधि से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :-गले की बीमारी में बहुत दर्द नहीं होता, न ही अधिक असुविधा होती है। गले के दांयी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई देते हैं जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, जबकि यदि रोगी को इन लक्षणों के साथ-साथ यदि प्यास कम लग रही हो तथा टांसिलों में दर्द न हो, पेशाब करने में दर्द हो रहा हो या पेशाब बहुत कम मात्रा में आता हो, गले में घुटन सी महसूस हो रही हो तथा तेज बुखार हो तो रोग को ठीक करने के लिए एपिस औषधि का प्रयोग कर सकते है। 

लाइकोपोडियम औषधि से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :- गले की बीमारी में बहुत दर्द नहीं हो रहा हो, न ही अधिक असुविधा हो, गले के दांयी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई दे रही हो जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तथा इसके साथ-साथ रोगी के गले के दांयी तरफ का दर्द का प्रभाव बांयी तरफ हो जाए तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, जबकि यदि रोगी को इन लक्षणों के साथ-साथ गर्म पानी पीने की इच्छा हो तो या ठण्डा पानी पीने की इच्छा न हो तो रोगी के रोग को लाइकोपोडिय औषधि से ठीक कर सकते हैं।

कारबोलिक एसिड से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :- गले की बीमारी हो लेकिन अधिक असुविधा नहीं होती हो। गले के दांयी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई दे रहे हो जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, जबकि यदि रोगी को इन लक्षणों के साथ-साथ टांसिलों में दर्द नहीं हो रहा हो तथा कुछ बुखार हो गया हो तथा गले के क्षेत्र में लाली फैल गई हो तो रोग का उपचार कारबोलिक औषधि से कर सकते हैं।

लैकेसिस औषधि से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :- गले की बीमारी हो, लेकिन इसके साथ न ही अधिक असुविधा होती हो, गले के दांयी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई दे रहे हो जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, लेकिन जब इन लक्षणों के होने के बावजूद यदि रोगी के टांसिलों के बांयी तरफ दर्द हो और ठण्डा पानी पीने की इच्छा हो, सोने के बाद लक्षण और बढ़ जाए, गले में दर्द हो रहा हो तथा कुछ निगलते समय बहुत अधिक परेशानी हो तो ऐसे रोग को ठीक करने के लिए लैकेसिस औषधि का उपयोग कर सकते है।

फाइटोलेक्का से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :- गले की बीमारी हो, लेकिन इसके साथ न ही अधिक असुविधा होती हो, गले के दायी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई दे रहे हो जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, लेकिन यदि इन लक्षणों के अलावा यदि रोगी के गले के अन्दर थूक या कुछ भी निगलते समय कानों में टीस की तरह दर्द महसूस हो रहा हो तथा गर्म पानी पीने से रोग और बढ़ता हो और कुछ न खाने के बावजूद गले से कान तक दर्द महसूस हो रहा हो तो ऐसी अवस्था में रोग को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।

नाइट्रिक एसिड से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :-

गले की बीमारी हो, लेकिन इसके साथ न ही अधिक असुविधा होती हो, गले के दांयी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई दे रहे हो जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, लेकिन इन लक्षणों के होने के साथ यदि रोगी के मुंह से अधिक लार निकलती हो तो रोग को ठीक करने के लिए नाइट्रिक एसिड का प्रयोग कर सकते हैं।

क्रोटेलस से एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की तुलना :- गले की बीमारी हो, लेकिन इसके साथ न ही अधिक असुविधा होती हो, गले के दांयी तरफ के टांसिलों में भूरे रंग के जख्म दिखाई दे रहे हो जिनमें से गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता हो तो रोग को ठीक करने के लिए एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का प्रयोग करते हैं, लेकिन इसके अलावा यदि रोगी के गले के टांसिल में और गले के टांसिल और गले के अन्दर गैंग्रीन नामक रोग हो गया हो जिसके कारण वह स्थान सड़ रहा हो और रोगी को प्यास अधिक लगती हो तो रोगी के रोग को ठीक करने के लिए क्रोटेलस औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।

मात्रा (डोज) :-

एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि की एक से छठी शक्ति का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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