राडोडेन्ड्रन (Rhododendron)

 राडोडेन्ड्रन (Rhododendron)

परिचय-

वात और गठिया रोग में राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग उन रोग के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है जो इस प्रकार हैं- स्थिर रहने से सिर में दर्द होना, गर्म कपड़ा लपेटने से आराम मिलता है लेकिन इस प्रकार के लक्षणों के साथ ही रोगी के लक्षण नम और ठण्डे मौसम में, बिजली की कड़क से और आंधी आने से पहले वृद्धि होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी अपने दर्द की अधिकता को तुरन्त ही बता देता है जैसे आंधी और बिजली की कड़क होने से पहले। जोड़ों में सूजन हो जाती है, दर्द एक जोड़ से दूसरे जोड़ में होता रहता है और रात के समय में, स्थिर रहने से और आंधी के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग लाभदायक है। ऐसे रोगी एक टांग को दूसरे के ऊपर रखे बगैर सो नहीं सकता तथा उसका दर्द चलने फिरने से कम रहता है।

इस औषधि का प्रभाव उन व्यक्तियों पर अधिक होता है जो स्नायविक होते हैं और जो आंधी-पानी और बिजली की कड़क और बादलों की गरज से डरते हैं और ऐसे स्थिति में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रोगी को हाथ-पैरों में झुनझुनी और चीटियां रेंगने जैसी अनुभूति होती है। आराम करते समय हाथ-पैरों में कमजोरी आ जाती है।

ऐसे रोगी जिसको अपने जोड़ों में खिंचाव के समान ही दर्द होता है और उसे ऐसा महसूस होता है कि जोड़ अपने स्थान से हट गया है या उतर गया है तथा इसके साथ ही जोड़ों पर सूजन आ जाती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग लाभदायक है।

यह ऐसे दांत के दर्द को भी ठीक कर देता है जिसमें रोगी को अचानक दर्द बंद हो जाता है और फिर इसके दो या तीन घंटे के बाद फिर होने लगता है तथा इसके साथ ही मसूढ़ें सिकुड़ने लगती है। हर साल बसंत के मौसम में दांत में दर्द होता है और तेज पूरबी हवा चलने पर दर्द बंद हो जाता है। मौसम बदलने पर दर्द बंद हो जाता है तथा बरसाती मौसम में अधिक कष्ट होता है।

विभिन्न लक्षणों में राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग-

मन से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी तूफान से डरता है, विशेषकर बिजली की कड़क से डर लगता है। वह किसी भी चीज को याद नहीं रख पाता है अर्थात भुलक्कड़ हो जाता है।

सिर से सम्बन्धित लक्षण:- कनपटियों में दर्द होता है। सिर की हडि्डयों में तेज दर्द होता है। शराब के सेवन करने से, खुली हवा में, ठण्ड के समय में, भीगी आबोहवा से सिर में दर्द के लक्षणों में वृद्धि होती है। तूफान आने से पहले आंखों में दर्द होता है। पलकों का स्नायुशूल (नाड़ियों) में दर्द होता है तथा इसके साथ ही अद्धिगोलक, अक्षिगन्हर और सिर आक्रान्त रहते हैं। पढ़ते-लिखते समय आंखों में गर्मी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण:- आंखों की रोशनी कम हो जाती है तथा इसके साथ ही आंख की पेशीमूल में दर्द होता है, सिर से लेकर आंखों तक दर्द होता रहता है, तूफान आने से पहले इस प्रकार के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

कान से सम्बन्धित लक्षण :- कानों के अंदर सांय-सांय करती हुई आवाजें सुनाई देती हैं और भी कई प्रकार की आवाजें सुनाई देती हैं तथा सुनने में अधिक परेशानी होती है। जागने के कई घंटे बाद कान में कई प्रकार की आवाजें सुनाई देती है। कान के बाहरी भागों में पूरे दिन भर दर्द होता है, कान के पास गुनगुनाहट, सुरसुराहट और घंटियां बजने सी महसूस होती है, कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि कान में पानी भरा हुआ है। जोर-जोर से आवाजें कानों में सुनाई देती है। इस प्रकार के कान से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

नाक से सम्बन्धित लक्षण :- कभी एक तो कभी दूसरा नथुना बंद हो जाता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग लाभकारी है।

गर्दन से सम्बन्धित लक्षण :- गर्दन अकड़न होता है तथा सुबह के समय में बिस्तर से उटने पर गर्दन अधिक अकड़ जाती है। वातज वेदना होती है। गले में खुरचन तथा छीलन महसूस होती है और ऐसा लगता है कि गले में कफ जमा हुआ है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोप राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग अति उत्तम होता है।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- चेहरे की नाड़ियों में दर्द होता रहता है, दर्द कई प्रकार की झटके लगने के साथ होता है और दर्द का असर दांत की तन्त्रिकाओं, कनपटी से निचले जबड़ें और ठोड़ी तक होता है, दर्द वाले भाग पर गरमाई देने तथा खाना खाने से कुछ आराम मिलता है। भीगे मौसम में और तूफान आने से पहले दांत के दर्द में वृद्धि होती है। मसूढ़ों में सूजन आ जाती है, दांतों के जड़ ढीले पड़ जाते हैं। इस प्रकार के चेहरे से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग करना चाहिए।

छाती से सम्बन्धित लक्षण :- छाती पर तेज दर्द होता है, फेफड़ों के ऊपरी झिल्ली में भी दर्द होता है जिसका असर सामने बायें छाती में नीचे की ओर दौड़ती हुई मालूम पड़ती है। छाती के अगले भाग में नीचे की ओर दौड़ता हुआ दर्द होता है जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है तथा सांस लेने में रुकावट होती है। तेज चलने के कारण प्लीहा में सूचीवेधी की अनुभूति होती है। छोटी पसलियों के नीचे ऐंठन होने के साथ ही दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- पीठ में दर्द होता है तथा इस प्रकार के दर्द से पीड़ित रोगी जब बैठता है तो और भी तेज दर्द होता है, जब रोगी चलने-फिरने का कार्य करता है तो उसे दर्द से कुछ आराम मिलता है लेकिन झुकने पर दर्द और भी बढ़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- अण्डकोष का बायां भाग अधिक सूजा हुआ रहता है तथा उसमें दर्द होता रहता है और वह ऊपर की ओर खिंचा हुआ महसूस होता है। अण्डकोष में सूजन हो जाती है तथा ग्रन्थियां कुचली हुई महसूस होती हैं। प्रमेह रोग होने के बाद अण्डकोष में सूजन होने के साथ ही कठोरता आ जाती है। अण्डकोष के निचले भाग पर झुर्रियां पड़ जाती है और खुजली मचने लगती है तथा उस स्थान पर पसीना भी आता रहता है। बच्चों के अण्डकोष में जलन होती है। अण्डकोष में पानी भरना। अण्डकोष में खिंचाव होने के साथ ही दर्द होता है जिसका असर पेट की ओर होता है और नीचे जांघों तक होता है। अण्डकोष में सूजन आ जाती है, दर्द होता है और अण्डकोष को छूने से दर्द असहनीय हो जाता है और ऊपर की ओर दर्द खींचता हुआ दर्द होता है। हाथ-पैरों में खिंचाव और फटने जैसा दर्द होता है, विशेषकर अण्डकोष की भीतरी श्लैष्मिक कला में जलन होने के कारण हाथों तथा कोहनियों से उंगलियों तक और पैरों के घुटने से नीचे तक खींचने और फटने की तरह दर्द होता है, बरसात के मौसम में दर्द और भी तेज होता है। इस प्रकार के पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकधर्म के समय में बुखार आ जाता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का उपयोग फायदेमंद है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर की कई हडि्डयों में सूजन आ जाती है। पैर के अंगूठे के जोड़ों पर दर्द होने के साथ ही जलन होती है। शरीर के कई अंगों में दर्द होता है तथा दर्द ऐसा लगता है जैसे की कोई चीज से अंगों को फाड़ा जा रहा है, दर्द विशेषकर दाहिनी ओर होता है तथा आराम करते समय और तूफान आने से पहले रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। कंधों, बांहों तथा कलाइयों में दर्द होता है और आराम करने के समय में दर्द में वृद्धि होती है। हडि्डयों में दर्द। मौसम में परिवर्तन होने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। पैरों को आड़ा-तिरछा रखे बिना नींद नहीं आती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण:- आंखों की नसें कमजोर हो जाती है, धुंधलापन नज़र आने लगता है। रोगी को आंधी आने से पहले और आंधी के समय में इस प्रकार के लक्षणों में वृद्धि होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि उपयोग लाभदायक है।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- फल खाने से अतिसार हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- पेशाब अधिक मात्रा में होता है और पेशाब क्षारीय दूध के समान पीला होता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि उपयोग का लाभकारी है।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- तूफान आने से पहले रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। सूखे मौसम में, रात के समय में, सुबह के समय में सारे लक्षण पुन: लौट आते हैं।

शमन (एमेलिओरेशन):- सिर को गर्म कपड़े से ढके रहने से, खुश्क गर्मी और परिश्रम करने से, टांगों को सिकोड़ कर लेटने से, तूफान बंद होने पर, गरमाई और भोजन खाने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन):-

* अण्डकोष में पानी भर जाना और गुर्दे में पानी भरना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए अम्पेलौप्सिस औषधि का उपयोग करते हैं। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए राडोडेन्ड्रन औषधि का भी प्रयोग कर सकते हैं। अत: अम्पेलौप्सिस औषधि के कुछ गुणों की तुलना राडोडेन्ड्रन औषधि से कर सकते हैं।

* ब्राय, कोन, फेरम-फा, जेल्स, हिपर, लायको, मर्क, सल्फ, थूजा, डल्फा, रस-टा तथा नेट्र-स औषधि की तुलना राडोडेन्ड्रन औषधि से कर सकते हैं।

* ब्राय, कैम्फ, क्लमें और रस-टा की क्रिया नाशक है।


मात्रा (डोज) :-

राडोडेन्ड्रन औषधि की पहली से लेकर छठी शक्ति तक का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। 


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