फास्फोरिकम एसिडम (Phosphoricum Acidum)
परिचय-
फास्फोरिकम एसिडम औषधि स्नायविक तनाव, पेशियों की कमजोरी, शारीरिक कमजोरी, वायु के कारण आंतों में परेशानी होना और हडि्डयों से सम्बन्धित रोगों को ठीक करने के लिए उपयोगी है। यह औषधि ऐसे रोगियों के रोगों को ठीक करने के लिए उपयोगी है जो पहले बहुत तन्दुरुस्त (स्वास्थ्य) हो लेकिन बाद में स्वप्नदोष, हस्तमैथुन, स्त्री प्रसंग, अनुचित बुरे कार्य करने के कारण अपने वीर्य को नष्ट करते हैं जिसके कारण उनका शरीर ठण्डा पड़ जाता है और कमजोरी अधिक हो जाती हैं। ऐसे रोगियों को मानसिक कमजोरी अधिक हो जाती है, किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगता है, शारीरिक और मानसिक थकावट अधिक होती है, घबराहट होती है, अकेले चुप-चाप रहना पसन्द करते हैं, नामर्दी, धातु क्षीणता, हाथ-पैर कांपना, धड़कना, याददास्त कमजोर होना, थोड़ी मेहनत से थक जाना, जवानी में बूढ़े जैसे दिखना आदि लक्षणों से पीड़ित होते हैं।
फास्फोरिकम एसिडम औषधि उन स्त्री तथा पुरुषों के लिए उपयोगी है जो जल्दी ही बढ़ते हैं और जो अत्यधिक मानसिक व शारीरिक परिश्रम करने के कारण थक जाते हैं।
विभिन्न लक्षणों में फास्फोरिकम एसिडम औषधि का उपयोग-
मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है और स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है और रोगी निर्जीव सा लगता है। रोगी का मन किसी भी कार्य में नहीं लगता है और किसी भी शब्द की पहचान करने में परेशानी होती है। किसी भी विषय के बारे में समझने में परेशानी होती है, अधिक शोक होता है और मानसिक आघात होता है जिसके कारण कई प्रकार के रोग हो जाते हैं। अधिक रोना-धोना और बड़बड़ाना, इस प्रकार के लक्षण होने के साथ ही रोगी को ठण्ड भी लगती है और अधिक निराशा होती है। इस प्रकार के मन से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- सिर में दर्द होने के साथ ही भारीपन महसूस होता है और रोगी भम्र में पड़ा रहता है। रोगी के सिर में दर्द होता है और ऐसा महसूस होता है कि दोनों कनपटियां एक साथ पीसी जा रही हों, सिर को झटकने या शोर मचने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। सिर में ऐसा दर्द होता है जैसे कि सिर को कुचला जा रहा हो। सिर के पिछले भाग में दर्द होने के साथ ही दबाव महसूस होता है। रोगी के बाल समय से पहले ही पकने लगते हैं और झड़ने लगते हैं। संभोग क्रिया करने के बाद आंखों पर अधिक दबाव महसूस होता है और हल्का-हल्का सिर में दर्द होता है। दोपहर के समय में खड़े रहने पर या टहलने पर चक्कर आते हैं। इस प्रकार के सिर से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखों के चारों ओर काले दाग पड़ जाते हैं, पलकों में जलन होती है, पुतलियां फैल जाती हैं और ऐसा लगता है कि आंखों में शीशे के टुकड़े चले गए हैं जिसके कारण दर्द हो रहा है, सूर्य के किरणों को देखने का मन नहीं करता है और जब सूर्य के किरणें को देखते हैं तो किरणें इन्द्रधनुष के रंग में दिखाई देते हैं और आंखें बहुत बड़ी महसूस होती है। हस्तमैथुन करने वालों को धुंधलापन दिखाई देता है और आंखों से सम्बन्धित कई प्रकार के रोग हो जाते हैं, दृष्टि-तन्त्रिकाऐं निष्क्रय महसूस होती हैं। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि दोनों नेत्रगोलकों को एक साथ और सिर में अन्दर की ओर दबाया जा रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कानों में गर्जने जैसी आवाजें सुनाई देती हैं और सुनने में परेशानी होती है, शोरगुल माहौल में रहना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
नाक से सम्बन्धित लक्षण :- नकसीर रोग होना अर्थात नाक से खून बहना तथा इसके साथ ही रोगी अपने नाक को खोदता रहता है और नाक के अन्दर खुजली मचती रहती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के होंठ सूख जाते हैं और फटे रहते हैं, मसूढ़ों से खून निकलता रहता है और मसूढ़ें दांतों से अलग हो जाते हैं, जीभ सूजी हुई रहती है तथा जीभ पर सूखापन होने के साथ ही चिपचिपी परत जीभ पर जम जाती है तथा झागदार कफ भी निकलता रहता है। दांत ठण्डे महसूस होते हैं, रात को अपने आप दांत से जीभ कट जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- चेहरा मटमैला और फीका दिखाई पड़ता है और ऐसा तनाव महसूस होता है कि चेहरे पर कुछ लेप पुता हुआ है। चेहरे के एक ओर ठण्ड महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को रसीले पदार्थों का सेवन करने की इच्छा होती है, खट्टी डकारें आती है, जी मिचलाने लगता है, खट्टी चीजें खाने के बाद इस प्रकार लक्षणों में वृद्धि होती है। आमाशय में दबाव महसूस होता है और भोजन करने के बाद ठीक प्रकार से नींद नहीं आती है, ठण्डा दूध पीने का मन करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के आंतों में फैलाव होता है और खमीकरण। प्लीहा बढ़ जाती है और नाभि प्रदेश में हल्का-हल्का दर्द होता है और पेट में जोरों की गड़गड़ाहट होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
मल से सम्बन्धित लक्षण :- दस्त रोग से पीड़ित रोगी का मल सफेद पानी की तरह होता है तथा इसके साथ ही पेट में दर्द भी होता है तथा साथ ही मलत्याग करते समय मलद्वार से वायु भी निकलती है। रोगी को कमजोरी अधिक हो जाती है। अधिक कमजोर बच्चों को इस प्रकार का दस्त हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बार-बार पेशाब आता है तथा इसके साथ ही पेशाब में दूध जैसा सफेद पदार्थ भी आता है। मधुमेह रोग हो जाता है। पेशाब करने के बाद जलन होती है। रात के समय में बार-बार पेशाब आता है। पेशाब में अधिक मात्रा में फॉस्फेट पदार्थ आता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
पुरुष से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को रात के समय में मलत्याग करते समय वीर्यपात हो जाता है। वीर्यपात होते ही रोगी को जलन भी होती है। संभोग करने की शक्ति घट जाती है, अण्डकोष को छूने पर दर्द होता है तथा अण्डकोष सूजा रहता है, आलिंगन करने के समय में लिंग ठण्डा (शिथिल) पड़ जाता है। मलत्याग करने के समय में भी लिंग शिथिल पड़ा रहता है। अण्डकोष में अकौता रोग हो जाता है। लिंग की त्वचा पर सूजन आ जाती है तथा लिंग की सुपारी पर भी सूजन आ जाती है, लिंग पर घाव हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकस्राव नियमित समय से बहुत पहले और अधिक मात्रा में होता है और इसके साथ ही यकृत में दर्द भी होता है। रोगी स्त्री के योनि के आस-पास खुजली होती है और इसके बाद मासिकस्राव होता है और स्राव पीले रंग का होता है। रोगी स्त्री के स्तन में दूध नहीं बनता है और स्तनपान कराने के कारण शरीर का स्वास्थ नष्ट होने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को मानसिक तनाव अधिक होता है और गले में खराश उत्पन्न हो जाती है। छाती में सुरसुराहट होने के कारण सूखी खांसी होती है और नमकीन बलगम निकलता है। सांस लेने मे परेशानी होती है। बोलने से छाती में कमजोरी महसूस होती है। उरोस्थि के पीछे दबाव महसूस होता है और जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- तेजी से बढ़ने वाले बच्चों, अनुचित कार्य करने वाले या हस्तमैथुन करने के कारण उत्पन्न रोग और इसके साथ ही हृदय की धड़कन अनियमित रूप से गति करती है। नाड़ी अनियमित रूप से चलती है या रुक-रुककर चलती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।
पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- स्कंध फलकों के बीच में बरमें द्वारा छेद किए जाने जैसा दर्द होता है और कमर व हाथ-पैरों में पिटाई किए जाने जैसा दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर में अधिक कमजोरी महसूस होती है और शरीर के हडि्डयों के जोड़ों पर दर्द होता है और अस्थि-आवरकों में फाड़ता हुआ दर्द होता है। ऊपरी बांहों के ऊपर और कलाइयों में ऐंठन होती हैं। शरीर में अधिक कमजोरी महसूस होती है। रात के समय में शरीर के कई अंगों में अधिक दर्द होता है और हडि्डयों में ऐसा दर्द होता है जैसे खुरचा जा रहा हो। चलने पर अपने-आप ठोकर लग जाती है और गलत कदम पड़ते रहते हैं। उंगलियों के बीच व हडि्डयों के मोड़ों पर खुजली होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- फुंसियां, मुंहासे तथा खूनी फोड़ा हो जाता है। ऐसा घाव हो जाता है जिनसे अधिक बदबूदार पीब निकलती रहती है। ऐसा घाव हो जाता है जिसमें जलन होती रहती है। शरीर के अनेकों त्वचा पर ऐसा महसूस होता है कि कुछ चल रहा हैं। बुखार होने के साथ ही त्वचा पर फोड़े तथा फुंसियां भी हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का सेवन करना चाहिए।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक नींद आती है। रोगी को संभोग करने के सपने आते हैं और वीर्यपात हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को ठण्ड लगती है तथा इसके साथ ही बुखार भी हो जाता है, रात के समय में और सुबह के समय में पसीना अधिक आता है तथा इसके साथ ही रोगी का दिमाग भी ठीक प्रकार से काम नहीं करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
बेहोशी से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर में आलस्य हो जाता है तथा मन उदास रहता है, नींद आती रहती है। टाइफाइड या टाइफस रोग होने के साथ ही रोगी बेहोशी में बड़बड़ाता रहता है जोकि समझ में नहीं आता। रोगी एक तरफ बेहोश पड़ा रहता है और उसके चारों तरफ जो कुछ होता है, वह कुछ भी उसे समझ में नहीं आता है, लेकिन जागने पर वह पूरे होश के साथ बात करता है। धीरे-धीरे प्रश्न का उत्तर देता है और फिर से बेहोश हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
शीत से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सारे शरीर में कंपन होती है और अंगुलियां बर्फ की तरह ठण्डी हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
ताप से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक गर्मी लगती है और वह बेहोश पड़ा रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
पसीना से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को पसीना बहुत ज्यादा आता है और शरीर में कमजोरी महसूस होती है तथा प्यास केवल पसीने की अवस्था में रहती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
परिश्रम करने से, किसी से बातें करने पर, जैवीद्रव्यों के नष्ट होने से तथा अत्यधिक संभोग करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। रोग के लक्षणों में ऐसी प्रत्येक वस्तु से वृद्धि होती है जो रक्तसंचार में बाधा उत्पन्न करती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
हाथ-पैर चलाने से, नम मौसम में, शरीर को गरम रखने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
* स्नायविक अवसाद उत्पन्न होने के कारण उत्पन्न अतिसार (दस्त)। मस्तिक में सूजन होने की शुरुआती लक्षण। काली खांसी और इसके साथ दमा रोग। इस प्रकार के रोग के लक्षणों को नष्ट करने के लिए ईनोथेरा विएनिस औषधि का उपयोग करते हैं लेकिन इसी प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का प्रयोग करते है। अत: ईनोथेरा विएनिस औषधि के कुछ गुणों की तुलना फास्फोरिकम एसिडम औषधि से कर सकते हैं।
* दस्त हो जाता है और पानी की तरह का मल होता है, जीभ सूखा रहता है, पेट में दर्द होता है, आंखें अन्दर की ओर धंस जाती है और इसके आगे नीले घेरे पड़ जाते हैं, नींद ठीक प्रकार की नहीं आती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए नेक्ट्रैण्डा अमारा औषधि का उपयोग करते हैं लेकिन ऐसे ही लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए फास्फोरिकम एसिडम औषधि का उपयोग करते हैं। अत: नेक्ट्रैण्डा अमारा के कुछ गुणों की तुलना फास्फोरिकम एसिडम औषधि से कर सकते हैं।
* नक्स, पिक्रि-ए, लैक्टि-ए, चायना तथा फास्फों औषधियों के कुछ गुणों की तुलना फास्फोरिकम एसिडम औषधि से कर सकते हैं।
* शरीर में कमजोरी लाने वाली पसीना आता है और पतले दस्त में चायना के पहले या बाद फास्फोरिकम एसिडम औषधि का उपयोग लाभदायक होता है।
प्रतिविष :-
काफिया औषधि का उपयोग फास्फोरिकम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
मात्रा (डोज) :-
फास्फोरिकम एसिडम औषधि की पहली शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
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