मैंगानम असेटिकम (Manganum aceticum)
परिचय-
मैंगानम असेटिकम औषधि शरीर के लाल खून के कणों को नष्ट कर शरीर में खून की कमी उत्पन्न करती है। यह पीलिया रोग तथा अण्डाशयों में सूजन उत्पन्न करती है, यकृत भी इसके कारण बढ़ जाता है (डिजेनरेट) तथा लकवा जैसी समस्या उत्पन्न करती है और कोशिकओं में सूजन उत्पन्न करती है। अत: इस औषधि का प्रयोग कुछ विशेष लक्षणों पर ही करना चाहिए तब इस औषधि का लाभ होगा और रोग ठीक होगा। हडि्डयों तथा हडि्डयों के जोड़ों में जलन होना, रात के समय में हडि्डयों में खोदने जैसा दर्द होना, दमा रोग तथा दमा से पीड़ित व्यक्ति किसी रुई के तकिए पर सो नहीं सकता हो, घाव से पीड़ित रोगी तथा हरित्पाण्डु रोग से पीड़ित रोगी में यदि लकवा रोग के कुछ लक्षण देखने को मिलते हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
गठिया तथा जीर्ण रोग होने के साथ ही हडि्डयों में सूजन होना, गला खराब होना, छाती में अधिक कफ जमना, शरीर के कई भागों में दर्द होना तथा टखना कमजोर हो जाना, शरीर के दर्द वाले भागों को छूने से दर्द बढ़ जाना, क्षय रोगी की प्रारिम्भक अवस्था। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
ऐसा रोगी जिसको जीर्ण रोग हो गया हो तथा उसमें कुछ ऐसे लक्षण हो जैसे- अनैच्छिक हंसना (बिना किसी बात के हंसना) और अनैच्छिक रोना (बिना किसी बात के रोना) तथा पीछे की ओर चलना, शरीर के कई अंग रोग ग्रस्त होना, रोगी की चाल भी लड़खड़ा रही हो, शरीर में अधिक कमजोरी होना तथा टी. बी. के कुछ लक्षण। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
यदि रोगी को अधिक कमजोरी आ गई हो तथा टी.बी. रोग होने की आशंका हो, पेट में दर्द हो रहा हो, पेट चैक करने पर पता चलता हो कि पेट पर छोटी-छोटी चने की तरह गिल्टियां है, दिन प्रतिदिन शरीर का स्वास्थ्य गिरता चला जाता हो, शरीर में खून बनता ही नहीं हो, भूख नहीं लगती हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
मैंगानम असेटिकम औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी है-
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है तथा उसे भय लगता है जब वह लेटता है तो रोग के लक्षण कुछ कम हो जाते हैं, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि सिर बड़ा और भारी हो गया है तथा इसके साथ ही शरीर में खून की कमी हो जाती है, शरीर में दर्द का असर ऊपर से नीचे की ओर होता है, आंखों के आस-पास का भाग सिकुड़ जाता है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी बहुत अधिक गंभीर स्वभाव का हो जाता है। ऐसे लक्षणों में मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग लाभदायक है।
मुंह से सम्बन्धित लक्षण:- मुंह के अन्दर के तलुवों में गुटिकायें हो जाती हैं, दांत में दर्द होता है तथा ठण्डे पदार्थों के सेवन करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी हर समय खंखारता रहता है, आवाज हल्की हो जाती है। ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि उपयोग करे।
नाक से सम्बन्धित लक्षण:- नाक के अन्दरूनी भागों में सूखापन हो जाता है तथा सांस लेने में रुकावट होती है, जुकाम होने के साथ ही नाक से खून के कण मिला हुआ कफ जैसा पदार्थ बहता है। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण रोगी को है तथा इसके साथ ही ठण्ड के मौसम में रोग के लक्षणों में वृद्धि हो रही हो तो रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
कान से सम्बन्धित लक्षण :- कान बंद हो गया हो तथा नाक को साफ करते समय कड़कड़ाहट सी आवाज आती हो, शरीर के कई अंगों में होने वाले दर्द का असर कानों तक फैल जाता है, ठण्ड के मौसम में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, रोगी को सीटी बजने जैसी आवाज सुनाई देती रहती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसे मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
पाचननली से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के जीभ पर दर्द होता है और जीभ में जलन होती है, उस पर घाव हो जाता है, इन लक्षणों के साथ ही पेट फूलने लगता है, यकृत से सम्बन्धित जीर्ण रोग भी हो जाता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग लाभकारी है।
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- जीर्ण रोग हो जाता है तथा इसके साथ ही आवाज बैठ जाती है, स्वरयंत्र में सूखापन उत्पन्न हो जाता है, स्वरयंत्र में सिकुड़न होने लगती है, स्वरयंत्र में लकवा जैसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है, खांसी हो जाती है तथा शाम के समय में अधिक होती है और लेटने पर कम, नमीदार मौसम में और भी तेज खांसी होती है, कफ जमा हुआ निकलता है, स्वरयंत्र में सुई की चुभन के समान दर्द होता है, जिसका असर कान तक फैल जाता है, छाती में गर्मी महसूस होती है, शरीर में रक्त की कमी हो जाती है, ठण्ड लगने से श्वासनली में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकधर्म के समय में स्राव से सम्बन्धित गड़बड़ियां उत्पन्न हो जाती है, अनार्तव (ऐमेनोरिया), मासिकस्राव नियमित समय से बहुत पहले और कम मात्रा में होना, विशेषकर उन स्त्रियों में जिन में खून की कमी हो, मासिकधर्म के समय में रात को अधिक गर्मी महसूस हो रही हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्री रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के पेशियों में अकड़न होना, पिण्डलियों में ऐंठन होना, टांग की पेशियों में अकड़न होना, हडि्डयों तथा हडि्डयों के जोड़ों में जलन होना तथा इसके साथ ही रात के समय में हडि्डयों में खोदने जैसा दर्द होना, शरीर के सभी अंगों को छूने पर दर्द का बढ़ना, बिना गिरे पीछे की ओर नहीं चल पाना, सामने की ओर गिरना, सामने की ओर झुककर चलना, टांगों का सुन्न हो जाना, विल्सन रोग (विलसंस डीजिज) अर्थात पपड़ीदार चर्म रोग के साथ सूजन होना, अंगों में कंपन होना, एड़ियों में दर्द होना, हडि्डयों को छूने पर दर्द का बढ़ना, पैरों के जोड़ों में दर्द होना, हडि्डयों में जलन होना, हडि्डयों के आस-पास ज्वलनशील धब्बे पड़ना, हडि्डयों के आस-पास वाली चमड़ी में पीब बनना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी आलसी स्वभाव का हो तथा नींद अधिक आती हो, सपने अधिक आते हो, शाम के समय में बड़ी जल्दी ही नींद आने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण:- हडि्डयों के चारों ओर की चमड़ी में पीब बनना, लाल तथा उभरे हुए धब्बे हो जाना, खुजली मचना तथा खुजलाने पर कुछ आराम मिलना, कोहनी के मोड़ व अन्य मोड़ों पर गहरी दरारें पड़ना, रूसी उत्पन्न होना, घावों के चारों ओर जलन होना, जीर्ण छाजन रोग होने के साथ ही मासिकधर्म से सम्बन्धित स्त्रियों को समस्या होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
खांसी से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी को सूखी खांसी आती हो, लेकिन कफ कुछ भी नहीं निकलता हो, लेटने से खांसी बंद हो जाती हो आदि लक्षणों में मैंगानम असेटिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
ठण्डे मौसम में भीगने से तथा मौसम में परिवर्तन होने पर रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन):-खांसी होने पर यदि रोगी को लिटाया जाए तो उसके रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
* फोड़े व अन्य स्टैफिलोकॉक्कस रोग को ठीक करने के लिए कोलॉयडल मैंगानीज औषधि का उपयोग किया जाता है। लेकिन रोगी के कुछ ऐसे लक्षणों को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का भी उपयोग किया जाता है। अत: कोलॉयडल मैंगानीज औषधि के कुछ गुणों की तुलना मैंगानम असेटिकम औषधि से कर सकते हैं।
* शरीर की हडि्डयों में दर्द होना तथा टखने में दर्द होने पर रोग को ठीक करने के लिए मैंगान-म्यूरि औषधि का उपयोग किया जाता है, लेकिन ऐसे ही रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग किया जाता है। अत: मैंगान-म्यूरि औषधि के कुछ गुणों की तुलना मैंगानम असेटिकम औषधि से कर सकते हैं।
* जांघ के अन्दरूनी भाग में जलन होना, पेट में दर्द होना, अतिसार होना तथा मासिकधर्म के समय में अधिक कष्ट होना, इन रोगों के होने के साथ ही रोगी को अधिक थकावट महसूस हो रही हो, नींद आती हो, अधिक गंभीर स्वभाव का हो, कम से कम शब्दों में बोलने वाला हो, मांसपेशियों में ऐंठन हो रही हो, टांग की पेशियां अकड़ी हुई हो, बिना बात का हंसने वाला हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैगान-ऑक्सिडे औषधि का उपयोग करते हैं लेकिन ऐसे ही कुछ रोगों को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग करते हैं। अत: मैंगान-ऑक्सिडे औषधि के कुछ गुणों की तुलना मैंगानम असेटिकम औषधि से कर सकते हैं।
* यकृत में घाव होना, पित्त का अधिक बनना, इस प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए मैंगान-सल्फ्यू औषधि का उपयोग करते हैं तथा यकृत को शक्तिशाली बनाने के लिए मैंगान-सल्फ्यू औषधि का उपयोग लाभदायक है, ऐसे ही लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मैंगानम असेटिकम औषधि का उपयोग करना चाहिए। अत: मैंगान-सल्फ्यू औषधि के कुछ गुणों की तुलना मैंगानम असेटिकम औषधि से कर सकते हैं।
प्रतिविष :-
काफिया, मर्क्यू औषधि का उपयोग मैंगानम असेटिकम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
मात्रा (डोज) :-
मैंगानम असेटिकम औषधि की 3 से 30 शक्ति तक का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
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