जेल्सीमियम (येल्लो जैस्माइन) Gelsemium (Yellow Jasmine)

 जेल्सीमियम (येल्लो जैस्माइन) Gelsemium (Yellow Jasmine)

परिचय-

जेल्सीमियम औषधि का सबसे अच्छा असर स्नायुमण्डल (नर्वस सिस्टम) पर पड़ता है। विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर जेल्सीमियम औषधि का उपयोग-

मन से सम्बंधित लक्षण-

रोगी का मन चाहता है कि हर समय अकेला बैठा रहे, किसी चीज से डर न लगना, सोते समय बड़बड़ाते रहना, किसी काम को करने का मन न करना, हर चीज से डरते रहना, बच्चे का सोते-सोते एकदम चौंक पड़ना जैसे कि कोई भयानक सपना देख लिया हो, हर समय लेटे ही रहना जैसे लक्षण अगर किसी व्यक्ति में नज़र आते हैं तो उसे तुरन्त ही जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराना शुरू कर देना चाहिए।

सिर से सम्बंधित लक्षण-

सिर का भारी लगना जैसे कि किसी ने सिर पर वजन रख दिया हो, सिर के घूमने के कारण चक्कर आना, सिर में धीरे-धीरे बढ़ने वाला दर्द, पलकों का भारी होना, कनपटी का दर्द जो कान और नाक के नथुनों तथा ठोड़ी में भी फैल जाता है, सिर में दर्द होने के साथ-साथ गर्दन और कंधे की पेशियों में भी दर्द होना, सिरदर्द होने से कुछ समय पहले आंखों के आगे अंधेरा सा छा जाना, पेशाब का ज्यादा मात्रा में आने से आराम आना, नींद में बोलते रहना आदि सिर के रोगों के लक्षणों के आधार पर रोगी को जेल्सीमियम औषधि का सेवन नियमित रूप से कराने से आराम आता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण-

आंखों से कुछ भी साफ दिखाई न देना, हर चीज दो-दो दिखाई देना, पलकों के भारी होने के कारण उन्हे खोलने में परेशानी होना, आंखों की एक पलक का सिकुड़ जाना और दूसरी पलक का फैल जाना, आंखों से कम दिखाई देना, गैस होने के कारण आंखों की रोशनी कम हो जाना, सीरमी प्रदाह, अन्नसारिक पलकों की सूजन जैसे लक्षण किसी रोगी में नज़र आने पर उसे जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।

नाक से सम्बंधित लक्षण-

लगातार छींके आते रहना, तेज ठण्ड लगने के साथ-साथ हल्का-हल्का सिर का दर्द और बुखार होना, नाक की दीवारों का सूख जाना, नाक की हडि्डयों में सूजन आना जैसे लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराने से आराम आता है।

मुंह से सम्बंधित लक्षण-

मुंह का स्वाद बहुत ज्यादा खराब होना, सांस में से गन्दी बदबू आना, जीभ पर मोटी सी पीले रंग की परत सी जमना, जीभ का सुन्न हो जाना, मुंह का लकवा मार जाना आदि लक्षणों में जेल्सीमियम औषधि का सेवन काफी लाभकारी रहता है।

चेहरे से सम्बंधित लक्षण-

चेहरे पर स्नायु का दर्द होना, चेहरे का रंग बिल्कुल फीका सा पड़ जाना, सिर का घूमना, आंखों की रोशनी का कम होना, मुंह के आसपास की पेशियों का खिंच सा जाना, मुंह के अन्दर नीचे वाले जबड़े का लटक जाना, ठोड़ी का कांपने लगना आदि लक्षणों के किसी व्यक्ति में होने पर उसे जेल्सीमियम औषधि खिलाने से लाभ मिलता है।

गले से सम्बंधित लक्षण-

किसी भी चीज को खाते-पीते समय निगलने में बहुत ज्यादा परेशानी होना, गर्म भोजन का तो निगलना ही बिल्कुल मुश्किल होना, मुंह के अन्दर तालू का बहुत मुलायम हो जाना, नासाग्रसनी में खुजली सी मचना, गले, छाती, कान और कान के नीचे के भाग में दर्द सा होना, गले में सूजन आना, गले में ऐसा लगना जैसे कि कुछ जल रहा हो, कानों के अन्दर बहुत तेज होने वाला दर्द, आवाज का बन्द हो जाना जैसे गले के रोगों के लक्षणो में जेल्सीमियम औषधि का सेवन लाभप्रद रहता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण-

शाम के समय बार-बार हिचकी आते रहना, पेट के अन्दर कमजोरी और खालीपन सा महसूस होता है या इस तरह की घुटन होती है जैसे कि उसमें किसी ने कोई वजन वाली चीज रख दी हो, इन लक्षणों के किसी रोगी में होने पर उसे तुरन्त ही जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

मल से सम्बंधित लक्षण-

किसी व्यक्ति को कोई बुरी खबर सुनने या डरने के कारण अचानक दस्त हो जाना, मल का बिना दर्द के, क्रीम के रंग जैसा, चाय की पत्तियों जैसा आना, मलान्त्र और संकोचनी पेशी का आंशिक लकवा होना जैसे लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि देने से लाभ होता है।

पेशाब से सम्बंधित लक्षण-

पेशाब का बार-बार आना, पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब का रूक-रूककर बूंदों के रूप में आना, पेशाब का बन्द हो जाना, पेशाब की नलियों में लकवा सा मार जाना, रोगी को ठण्ड के साथ कंपकंपी सी लगना जैसे लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि का प्रयोग कराने से लाभ मिलता है।

स्त्री से सम्बंधित लक्षण-

गर्भाशय का बहुत ज्यादा कठोर हो जाना, योनि में खिंचाव सा महसूस होना, बच्चे को जन्म देने के समय योनि के मुंह पर दर्द होना, मासिकधर्म का दर्द के साथ आना, स्राव का कम आना, नियमित रूप से ना आना, दर्द का पीठ और कूल्हो तक फैल जाना, मासिकस्राव के दौरान आवाज का बन्द हो जाना, गले में जलन हो जाना, गर्भाशय को धोता हुआ सा महसूस होना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

पुरुष से सम्बंधित लक्षण-

लिंग के उत्तेजित हुए बिना ही वीर्य का निकल जाना, जनेनन्द्रियों का ठण्डा और ढीला-ढाला हो जाना, अण्डकोषों में लगातार पसीने आते रहना, सुजाक रोग का शुरूआती दौर, स्राव का कम मात्रा में आना, हल्का-हल्का सा दर्द होना, लिंग के मुंह पर जलन सी मचना आदि लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराने से आराम मिलता है।

सांस से सम्बंधित लक्षण-

सांस का धीरे-धीरे से चलना, मन का उदास सा होना, छाती में घुटन सी महसूस होना, सूखी खांसी, आवाज का बन्द हो जाना, सांस का तेजी से चलना, नया \'वासनिकाशोथ, गले का उद्वेश्ट, आदि सांस के रोगों के लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि देने से लाभ मिलता है।

दिल से सम्बंधित लक्षण-

नाड़ी का धीरे-धीरे से चलना, रोगी को ऐसा महसूस होना जैसे कि दिल की धड़कन का चलते रहना जरूरी है नही तो दिल काम करना बन्द कर देगा, बुढ़ापे में नाड़ी का कमजोर हो जाना, शान्त बैठे रहने पर नाड़ी का धीरे चलना लेकिन गति करने पर बहुत तेज हो जाना जैसे लक्षणो में रोगी को जेल्सीमियम औषधि देने से लाभ मिलता है।

पीठ से सम्बंधित लक्षण-

पीठ में हल्का-हल्का सा होने वाला दर्द, स्नायु जाल का पूरी तरह से ढीला हो जाना, पेशियों का ऐसा महसूस होना जैसे कि उन्हे किसी ने बुरी तरह से दबा दिया हो, थोड़ा सी शारीरिक मेहनत करते ही बुरी तरह थक जाना, सिर को गतिशील रखने वाली गर्दन की पेशी में दर्द रखना, कमर में हल्का-हल्का सा दर्द जो ऊपर की ओर फैल जाता है, पीठ, नितंबो और जनेनन्द्रियों की पेशियों में होने वाला दर्द जो बहुत अन्दर की ओर होता है जैसे लक्षणो के किसी व्यक्ति मे नज़र आने पर उसे जेल्सीमियम औषधि देने से लाभ मिलता है।

नींद से सम्बंधित लक्षण-

रोगी को लेटने के बाद काफी समय तक नींद ना आना, सोते समय कुछ ना कुछ बोलते ही रहना, पूरे दिन जम्भाईयां सी आते रहना, शरीर का थका-थका सा रहना, किसी तरह का नशा करने के कारण नींद का ना आना जैसे लक्षणों के आधार पर जेल्सीमियम औषधि का सेवन काफी लाभकारी रहता है।

बुखार से सम्बंधित लक्षण-

रोगी को बहुत तेज ठण्ड लगने के कारण शरीर का बुरी तरह से कांपना, ठण्ड का पीठ पर ऊपर-नीचे की ओर दौड़ना, नाड़ी का धीरे-धीरे से चलना, सिर में तेज दर्द और उदासी, प्यास का ना लगना, कंपकंपी और शीतहीन मलेरिया के साथ पेशियों में बहुत तेज दर्द का होना, मूक-शीतज्वर, आदि लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि का सेवन कराने से आराम मिलता है।

बाहरीय अंग से सम्बंधित लक्षण-

पेशियों को काबू में करने की शक्ति का कम हो जाना, अगले बाजू की पेशियों का ऐंठ जाना, बहुत ज्यादा ठण्ड लगने के साथ शरीर के सारे अंगों का कमजोर हो जाना, जरा सा व्यायाम करते ही शरीर का बुरी तरह से थक जाना, स्नायु का ढीला पड़ जाना जैसे लक्षणों में रोगी को जेल्सीमियम औषधि का प्रयोग कराने से लाभ मिलता है।

चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण-

त्वचा पर खसरे की तरह के दाने निकलना, प्रतिशायी (जुकाम) के लक्षण उत्पन्न होना, ये औषधि अन्दर छुपे हुए दाने को बाहर निकालने में मदद करती है, चेहरे का गुस्से में लाल हो जाना, खून की कमी होने के कारण होने वाला बुखार के साथ जड़िमा, विसर्प जैसे लक्षणो के आधार पर रोगी को जेल्सीमियम औषधि देने से लाभ होता है।

वृद्धि-

बुरी खबर सुनने से, तम्बाकू का सेवन करने से, नम मौसम में, किसी तरह का खुद का नुकसान होने से, कड़कती हुई बिजली और आंधी आने से पहले, खुद की बीमारी के बारे में सोचते रहने से रोग बढ़ जाता है।

शमन-

ठण्डी खुली हवा में रोग कम हो जाता है।

मात्रा-

जेल्सीमियम औषधि का मूलार्क या 30वीं शक्ति तक रोगी को देना चाहिए।


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