ऐमिल नाइट्रोसम (Amyl nitrosum)

 ऐमिल नाइट्रोसम (Amyl nitrosum)

परिचय-

दिल से सम्बन्धित कई प्रकार के रोगों को ठीक करने में ऐमिल नाइट्रोसम औषधि बहुत उपयोगी है विशेष करके तब जब वैजो मोटर (वह शक्ति जो नसों में खून को बहाती है) की शक्ति शिथिल (ठण्डी) हो जाती है और चेहरा गर्म और सुर्ख हो जाता है, रोगी के चेहरे और सिर पर खून का दौरा अत्यधिक हो जाता है, जरा सी भी उत्तेजना से चेहरे पर सुर्खी आ जाती है, सिर के अन्दर गर्मी, जलन और भारीपन महसूस होता है, सिर और कान के अन्दर एक प्रकार का ऐसा धक्का और जलन महसूस होता है कि मानो वह फट जाएंगे, साथ ही साथ हलक (गले के अन्दर का भाग) और दिल में खिंचाव महसूस होता है। कनपटियों में जलन इस कदर तेज होती है कि बाहर से दिखाई पड़ती है, रोगी अपने आंखों को ऐसे फैला लेता है मानो आंख निकलकर बाहर आ जायेगी। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग लाभकारी है। इस औषधि को जैसे ही रोगी को सुंघाया जाता है वैसे ही इसका प्रभाव बड़ी तेजी के साथ धमनिकाओं तथा कोशिकाओं में होती है जिसके फलस्वरूप वे फैलती है और चेहरा गर्म हो जाता है तथा शरीर में गर्मी आ जाती है, सिर भी गर्म हो जाता है। धमनियां ठीक प्रकार से कार्य करने लगती है और रोग के लक्षण ठीक हो जाते हैं।

हृदय की बढ़ी हुई धड़कन तथा स्त्रियों को मासिकधर्म बंद होने के समय में होने वाली परेशानियों को ठीक करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग लाभकारी है।

हिचकी आना, जम्भाई आना तथा बेहोशी की अवस्था को दूर करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग बहुत लाभकारी है।

विभिन्न लक्षणों में ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग-

सिर से सम्बन्धित लक्षण :-

* सिर में भारीपन महसूस होने लगता है, रोगी ताजी हवा में रहना चाहता है, रोगी के सिर और चेहरे की ओर खून का दौरा बढ़ जाता है, शरीर की गर्मी और लाली के साथ ऐसा महसूस होता है, शरीर की त्वचा के कई भाग से खून स्राव होता है।

* स्त्रियों को रजोनिवृत्ति के समय में अधिक पसीना निकलता है, कान के भाग में अधिक गर्मी महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 


गले से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को गले में सिकुड़न महसूस होती है, रोगी को घुटन सी महसूस होने लगती है, हृदय की धड़कन तेज हो जाती है तथा शरीर के खून का बहाव सिर से चेहरे की ओर अधिक हो जाता है। इस प्रकार के लक्षण को ठीक करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग करना चाहिए।

छाती से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सांस लेने में अधिक परेशानी होती है कभी-कभी तो रोगी को दमा जैसी परेशानी भी होने लगती है, रोगी के छाती में भारीपन और घुटन महसूस होती है, दम घोट देने वाली खांसी होती है, हृदय अस्वस्थ्य रूप से कार्य करता है, हृदय के आस-पास के भाग में दर्द तथा सिकुड़न महसूस होता है, हल्का सा कार्य करने पर छाती में दबाव महसूस होने लगता है, इस प्रकार के रोग को ठीक करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग करना फायदेमंद होता है।

स्त्री से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी स्त्री के पेट में ऐसा दर्द होता है जैसे कि बच्चे को जन्म देने के समय में दर्द होता है, और योनि से रक्त स्राव (कुछ मात्रा में खून बहना) होने लगता है तथा इसके साथ रोगी के चेहरे पर गर्मी महसूस होने लगती है। स्त्रियों को मासिकधर्म बंद होने के बाद सिर में दर्द होता है तथा सिर अधिक गर्म हो जाता है और हृदय की धड़कन तेज हो जाती है, ऐसी रोगी का उपचार करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

ज्वर (बुखार) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का शरीर अधिक गर्म हो जाता है तथा इसके तुरन्त बाद कभी-कभी शरीर ठण्डा और चिपचिपा हो जाता है और अधिक पसीना आने लगता है, सारे शरीर में जलन होने लगता है, इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी का उपचार ऐमिल नाइट्रोसम औषधि से करना चाहिए।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को कई घंटों तक लगातार अंगड़ाइयां आती रहती हैं जिसमें हाथ-पैर फैलाने पड़ते हैं, हाथों की शिरायें फूल जाती हैं, हाथ की उंगलियों के पोरों का अधिक धड़कना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

प्रसव (बच्चे को जन्म देना) से सम्बंधित लक्षण :- बच्चे को जन्म देने के तुरन्त बाद ही शरीर में ऐंठन शुरू हो जाना तथा योनि से अधिक मात्रा में खून का बहना, ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि उपयोग करना चाहिए।

विभिन्न प्रकार के रोगों से सम्बन्धित लक्षण :- ऐमिल नाइट्रोसम औषधि कई प्रकार के रोगों को ठीक करने में बहुत अधिक उपयोगी है जो इस प्रकार है-स्नायुविक के कारण उत्पन्न सिर में दर्द (न्युरालजिक हैडेक), लू (सनस्ट्रोक), स्त्रियों के रजोधर्म की खराबी (मेंस्ट्रुअल इरेग्युलरिटीज), हिस्टीरिया की तकलीफें, मिर्गी और ब्राइट्स रोग आदि।

उपशमनार्थ :- उन सभी लक्षणों से पीड़ित रोगी की अवस्था में ऐमिल नाइट्रोसम औषधि को सुंघने से तुरन्त आराम आता है जिनमें रक्त वाहिकायें ऐंठन के साथ सिकुड़ जाती हैं, जैसा कि हृदय में दर्द होने की स्थिति, मिर्गी के दौरे पड़ने की स्थिति, आधे सिर में दर्द, अधिक ठण्ड लगना, पीलिया आदि अवस्था। दमा के दौरें तथा वास में रुकावट को दूर करने के लिए ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का उपयोग बहुत अधिक लाभकारी है। ऐमिल नाइट्रोसम औषधि का होम्योपैथिक व्यवहार में किसी रूमाल पर इसकी दो से 5 बूंदें टपका दी जाती हैं तथा उस रूमाल को रोगी नथुनों पर रखकर सुंघाई जाती है जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

ग्लोनाइन, लैकेसिस, ऐकोन, बेल, कैक्ट, कोक औषधि से ऐमिल नाइट्रोसम औषधि की तुलना कर सकते हैं।

ऐमिल नाइट्रोसम औषधि को सूंघने से असर बहुत जल्द होता है, बहोश करने की औषधियों के बुरे फल से जब मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, तब ऐसी अवस्था में यह बहुत उपयोगी है और मनुष्य को इसके प्रभाव से अधिक लाभ मिलता है।

प्रतिविष :- 

कैक्टस, स्ट्रिकनी, एरगट औषधियों का प्रयोग ऐमिल नाइट्रोसम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

मानसिक कारणों तथा शारीरिक परिश्रम अधिक करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

मात्रा (डोज) :- 

ऐमिल नाइट्रोसम औषधि की तीसरी शक्ति का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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