परिचय-
अल्फाल्फा औषधि का प्रभाव शरीर की संवेदी तंत्रिका पर विशिष्ट क्रिया के रूप में होता है तथा यह भूख और पाचन शक्ति को नियमित करता है, जिसके फलस्वरूप मानसिक व शारीरिक रोगों में बहुत अधिक सुधार हो जाता है। यह कई प्रकार के रोगों में उपयोगी है जो इस प्रकार हैं- स्नायु विकार, आमाशय के रोग, स्नायु में कमजोरी, अपच तथा अनिद्रा रोग आदि।
अल्फाल्फा औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-
स्तनपान से सम्बन्धित लक्षण :- अल्फाल्फा औषधि वसा बनाती है और ऊतकों को नष्ट होने से बचाती है। स्तनों में दूध की कमी हो जाने के रोग से पीड़ित स्त्री को यदि इसका सेवन कराया जाए तो उसकी दूध की गुणवत्ता तथा मात्रा बढ़ जाती है और दूध भी स्तन में बनने लगता है।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- मूत्र संस्थान पर भी अल्फाल्फा औषधि का विशेष प्रभाव होता है जिसके फलस्वरूप मधुमेह रोग (डाइबेटीज इंसीपाइडेज) तथा मूत्र में फास्फेट आने के रोग ठीक हो जाते हैं। रोगी को पेशाब करने की इच्छा लगातार होती है तथा पेशाब में फास्फो-एसिड इडिकैन आता है। इस प्रकार के रोग को यह औषधि ठीक कर देती है।
पुर:स्थग्रन्थि से सम्बन्धित लक्षण :- जब पुर:स्थग्रन्थि बढ़ जाती है तो उस अवस्था में मूत्राशय की उत्तेजना को अल्फाल्फा औषधि कम करती है।
जोड़ों के दर्द से सम्बन्धित लक्षण :- अल्फाल्फा औषधि जोड़ों के दर्द को ठीक करने में बहुत अधिक उपयोगी है।
मन से सम्बन्धित लक्षण :- अल्फाल्फा औषधि मन में खुशियों का संचार करती है अर्थात रोगी इसके प्रयोग करने के बाद अपने आप को स्वस्थ्य महसूस करता है। रोगी का मन प्रसन्न तथा स्वच्छ हो जाता है और वह अपने आप को तरोताजा महसूस करता है। जिन व्यक्तियों में अधिक चिन्ता, सुस्ती, उदासी और चिड़चिड़ापन होता है तथा शाम के समय में इन लक्षणों में अधिक वृद्धि होती है, उन व्यक्तियों के इन लक्षणों को ठीक करने के लिए अल्फाल्फा औषधि का उपयोग बहुत लाभकारी है।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- सिर के पिछले भाग में, आंखों के अन्दर तथा सिर के ऊपरी भाग पर भारीपन महसूस होता है, इन लक्षणों में शाम के समय में और अधिक वृद्धि होती है। सिर के बायीं ओर तेज दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए अल्फाल्फा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को रात के समय में ऐसा महसूस होता है कि कान की नलियां बंद हो गई हैं तथा सुबह के समय में खुली हुई तथा फैली हुई महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों में अल्फाल्फा औषधि का उपयोग करना चाहिए।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सुबह के समय में नींद अच्छी आती है। लेकिन बाद में नींद सही नहीं आती है, शरीर में आलस्यपन अधिक रहता है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हैं तो इस औषधि के प्रभाव से रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है तथा रोगी के शरीर में स्फूर्ति आ जाती है तथा नींद भी सही आती है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक प्यास लगती है, भूख नहीं लगती है लेकिन कभी-कभी भूख इतनी बढ़ जाती है कि रोगी असाधारण मात्रा में खाने लगता है। कभी-कभी तो रोगी को भूख इतना लगता है कि वह भोजन करने के समय की प्रतीक्षा नहीं करता है और दोपहर से पहले ही भूख लग जाती है। रोगी भोजन में अनेकों प्रकार के दोश को निकालता रहता है तथा मीठी चीजें अधिक खाने की इच्छा करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए अल्फाल्फा औषधि का उपयोग करना चाहिए।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- वायु बनने के कारण पेट फूलने लगता है, पेट में हवा इधर-उधर घूमती रहती है, भोजन करने के कई घंटे बाद बड़ी आंत में दर्द होना। रोगी जब मलत्याग करता है तो उसका मल पीले रंग का होता है तथा इसके साथ ही गुदाद्वार में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए अल्फाल्फा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
सम्बन्ध (रिलेशन) :- अल्फाल्फा औषधि के कुछ गुणों की तुलना डिपोडियम, पंक्टा, हाइड्रे, फोस्फो-एसिड़, जिंक , आवेना-सैटा औषधि से कर सकते हैं।
मात्रा (डोज) :-
अल्फाल्फा औषधि की बड़ी मात्रा (अर्क की 5 से 10 बूंदें) दिन में कई बार देने से अच्छा परिणाम मिलता है जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाते हैं। अल्फाल्फा औषधि का उपयोग तब तक करते रहना चाहिए, जब तक शरीर में शक्ति नहीं आ जाती है।
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