ऐगारिकस मस्केरियस (Agaricus Muscarius)


परिचय-

जिन वृद्ध (बूढ़े) व्यक्तियों के शरीर में खून संचारण की गति कम हो गई हो, शराब पीने या अधिक नशीले पदार्थो के सेवन करने से स्वास्थ्य बिगड़ गया हो तथा उसके बच्चों में भी कुछ ऐसे ही लक्षण हो तो इस प्रकार के लक्षणों में ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग लाभदायक है।

ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि ठण्डी प्रकृति वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। जो व्यक्ति यह कहते हैं कि उनके शरीर की खून की शक्ति घट गई है, इसलिए अब ठण्ड बर्दाश्त नहीं हो रही है। कई प्रकार के गलत कार्य जिनसे खून की ताकत घटती है तथा नाड़ियों की कार्य शक्ति भी घट जाती है। रोगी के सिर के बाल झरने लगते हैं, शरीर का मांस और चमड़ी ढ़ीली पड़ जाती है तथा अनेकों प्रकार के स्नायुविक लक्षण दिखाई देते हैं। इस प्रकार के लक्षण होने पर इसका प्रयोग बहुत अधिक लाभदायक होता है।

पहले से किये गये दुष्कर्म कार्य के कारण बुढ़ापे की स्थिति हो गई हो तथा आनुवांशिक कमजोरी होने के कारण उत्पन्न रोग को ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि बहुत उपयोगी है।

रोगी को बहुत ठण्ड महसूस होती है। शरीर के किसी भी स्थान की मांसपेशी या हाथ-पैरों का कंपकंपाना, रात के समय में नींद खुलते ही कपंकपी होना और नींद आते ही कंपकंपी बंद हो जाना। सिर का ऊपरी भाग कांपने लगता है, सोने पर सिर की कपंकपी बंद हो जाती है। कभी-कभी शरीर के अनेकों अगों में झनझनाहट और कम्पन होती है तथा रोगी में तान्डव रोग (नाचने का पागलपन) के सारे लक्षण हो जाते हैं। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसे ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि देना चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है तथा बहुत अधिक लाभ मिलता है।

बच्चा चलना और बोलना दोनों ही बहुत देर से सीखता है। बच्चे की हडि्डयों की कोमलता और पोषण ठीक प्रकार से न होने के कारण जल्दी खड़ा नहीं हो पाता, मन तथा मस्तिष्क के सोचने की शक्ति कम हो जाती है, बच्चे को कुछ भी सीखने में उसे बहुत देर लगती है, वह गलतियां बहुत अधिक करता है और उसे कुछ भी याद नहीं रहता। उसे डर बहुत अधिक लगता है तथा डांटने से बेहोश हो जाता है। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी बच्चे में है तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग बहुत ही उपयोगी है।

रोगी का मन तथा मस्तिष्क का कार्य करने की शक्ति नष्ट हो गई हो, रोगी को सुबह के समय में कुछ भी समझ में नहीं आता हो कि क्या करना है क्या नहीं करना है, लेकिन शाम के समय में वृद्धि सही हो जाती है। रोगी शराबी की तरह चिल्लाता और बड़बड़ाता रहता है। कभी-कभी मुंह से सीटी बजाता है, बात का जवाब नहीं देता। लगातार भविष्य के बारे में कुछ न कुछ बकता रहता है, कोई भी कार्य करने में मूर्खो की तरह लापरवाही करता हो और कभी-कभी सही बुद्धि होने का परिचय देता हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

जब रोगी डकार लेता है तो सेब के फल की गन्ध आती है, दांत अस्वाभाविक तथा बड़े महसूस हो रहे हो, पेशाब करते समय पेशाब का ठण्डा होना महसूस हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि निम्नलिखित लक्षणों के में उपयोगी हैं-

मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी गाता रहता है तथा कुछ बोलता रहता है लेकिन कुछ पूछने पर जवाब नहीं देता है। अधिक बोलता रहता है, कोई भी कार्य नहीं करता है। रोगी डरता है, चिल्लाता है तथा कुछ न कुछ बड़बड़ाता रहता है। रोगी कुछ न कुछ भविष्यवाणी करता रहता है। रोगी को जंभाई होने लगती है, रोगी को हल्की उत्तेजना होती है या नशीलापन स्वभाव का हो जाता है या रोगी अधिक चीखता-चिल्लाता रहता है तथा स्वयं को घायल करना चाहता है या मानसिक परेशानी अधिक हो गई हो जिसके कारण अधिक थकावट महसूस करता है। इस प्रकार के लक्षण जिस व्यक्ति में हो उसका उपचार ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से करना चाहिए।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को धूप से तथा चलते समय चक्कर आते हैं। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि उसका सिर लगातार गतिशील अवस्था में रहता है। सिर के पीछे की तरफ वह गिरने लगता है, सिर के पिछले भाग में कोई भारी चीज रखी हो ऐसा रोगी को महसूस होता है। रोगी को सिर में दर्द ऐसा महसूस होता है कि किसी ने उसके सिर में नाखुन या कील गाड़ दिया हो। जब रोगी लम्बे समय तक पढ़ने लिखने का कार्य करता है तो उसके सिर में दर्द होने लगता है। रोगी को ऐसा महसूस हो रहा हो कि सिर पर बर्फ रखी हो और सुइयां या कांटे के चुभने के जैसा दर्द हो रहा है। रोगी अपने सिर पर गर्म कपड़े रखने की इच्छा करता हो। सिर दर्द के साथ नाक से खून बह रहा हो या गाढ़ा कफ की तरह नाक से स्राव हो रहा हो। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी रोगी में है तो उसका उपचार करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के होठों पर डंक मारने जैसा दर्द हो रहा हो तथा इसके साथ ही जलन भी होती रहती है, जीभ का स्वाद मीठा तथा मुंह के अन्दर की ऊपरी भाग अर्थात तालू में छाले हो जाते हैं, जीभ में कील गड़ने जैसा दर्द महसूस होना, हर समय अधिक प्यास लगना, जीभ में अधिक कंपन महसूस होता है तथा जीभ का रंग सफेद हो जाता है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

गले से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अपने कान की नली में सुई चुभने जैसा दर्द महसूस होता है और गले में सिकुड़न होती है, बलगम के छोटे-छोटे ठोस थक्के जमकर निकलना, ग्रासनली (भोजननली) में रुखापन, किसी चीज को निगलने में कष्ट महसूस होना। गले के अन्दर खुरचन हो जाना जिसके कारण बोलने में परेशानी होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को डकारें आती है, तथा डकारें लेने पर पानी का स्वाद सेब जैसा लगता है। नाड़ी में कई प्रकार का दोष उत्पन्न हो जाता है। रोगी को हिचकी आती है। रोगी को भूख तेज लगती है, आमाशय तथा पेट में वायु बनने के कारण पेट फूलने लगता है। मलद्वार से वायु निकलने पर अधिक बदबू आती है, भोजन करने के लगभग तीन घंटे के बाद आमाशय में जलन, जो धीरे-धीरे दबाव में बदलता जाता है। पेट में गड़बड़ी होने के साथ यकृत प्रदेश में तेज दर्द होना। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हो तो उसका उपचार ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से किया जाए तो रोग ठीक हो जाता है।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को कोई भी अक्षर पड़ने में परेशानी होती है क्योंकि उसके हाथ हिलते रहते हैं जिसके कारण अक्षर भी हिलते रहते हैं। रोगी को सारी चीजें हिलती-डुलती नज़र आती है। आंखों को देखने की शक्ति कम हो जाती है, अधिक लम्बे समय तक कार्य करने से दृष्टि कमजोर हो जाती है, पलकों के किनारे लाल पड़ गये हो जिनमें खुजली तथा जलन होती है और पलकें आपस में चिपक गये हो। आंख का अन्दरूनी भाग अधिक लाल हो गया हो। इस प्रकार के लक्षण होने पर ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग बहुत लाभकारी है।

कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कान में जलन व खुजली होती हो और उसे ऐसा महसूस हो रहा हो कि कान ठण्डे पड़कर जम गया है, कान के पास की पेशियों में कंपन होती है तथा तरह-तरह की आवाजें सुनाई देती हैं। ऐसे रोगी का उपचार ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से करना चाहिए।

नाक से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी को नाक का कोई रोग हो गया हो तथा नाक के अन्दर या बाहर खुजली मच रही हो और खांसने के बाद छीकें आ रही हो। नाक से पानी निकल रहा हो, नाक का अन्दरूनी कोण अधिक लाल हो गया हो। नाक से गहरे रंग का रक्त स्राव (निकल) हो रहा हो और उससे बदबू आ रही हो। बूढ़े व्यक्तियों में नकसीर रोग हो गया हो तथा उन्हें नाक में तथा मुंह में दर्द हो रहा हो। ऐसे रोगियों की चिकित्सा करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से हो सकता है तथा इससे उपचार करने से रोगी को बहुत आराम मिलता है।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अपने चेहरे की पेशियों में अकड़न महसूस होती है, चेहरे पर खुजली और जलन होती है। गालों पर दर्द महसूस होता है तथा दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे किसी ने गाल पर सुइयां चुभो दिया हो। नाड़ियों में दर्द तथा रोगी को दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे-बर्फ के समान ठण्डी सुइयां चुभ रही हो और नोकदार बर्फ का स्पर्श करा दिया गया हो। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी व्यक्ति में हो तो उसका उपचार ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से करना चाहिए।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- जिगर, प्लीहा (सिएनोथस) तथा पेट में सुई चुभने जैसा दर्द होना। पेट के बायीं ओर की छोटी पसलियों के नीचे सुई चुभने अहसास होता हो अतिसार (दस्त) के साथ मलद्वार से बदबूदार वायु निकलती हो और मल से अधिक बदबू आ रही हो, इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हो तो उसका उपचार ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से करना चाहिए।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- मूत्रमार्ग में सुई चुभने जैसा दर्द महसूस होना, पेशाब करने की इच्छा अधिक हो रही हो तथा बार-बार पेशाब आ रहा हो तो रोगी का उपचार ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से करना फायदेमंद होता है। 

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- स्त्रियों को मासिकधर्म के समय में रक्त का स्राव अधिक हो रहा हो तथा मासिक धर्म नियमित समय से पहले ही शुरु हो गया हो, प्रजनन अंगों तथा कमर में खुजली और फाड़ने जैसा दर्द और दबाव महसूस हो रहा हो। प्रजनन अंग के नीचे की ओर दबाव पड़ने के साथ तेज दर्द और रजोनिवृति के बाद तेज दर्द, कामोत्तेजना तथा चूचुकों में खुजली और जलन हो रही हो। बच्चे को जन्म देने के बाद या संभोग करने के बाद प्रजनन अंग में अधिक दर्द हो रहा हो, मासिक स्राव के समय में योनि में अधिक खुजली मच रही हो। इनमें से कोई भी लक्षण स्त्रियों में हो तो ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को तेज खांसी हो रही हो, खाना खाने के बाद कष्ट अधिक हो रहा हो तथा खांसी बंद होते ही सिरदर्द शुरु हो जाता हो। रोगी को रात के समय में अधिक खांसी हो तथा बलगम छोटे-छोटे थक्के के रूप में निकल रहा हो और सांस लेने में परेशानी हो रही हो, छीकें आने पर खांसी आना बंद हो जाता हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का उपयोग करना चाहिए।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- धूम्रपान करने के बाद धड़कन की गति अनियमित रूप से चल रही हो तथा नाड़ी की गति भी अनियमित रूप से हो गई हो। हृदय के आस-पास अधिक दबाव महसूस हो रहा हो और स्तन में अधिक सिकुड़न हो गया हो और रोगी का चेहरा लाल हो गया हो, इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी को ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से करना चाहिए, इस औषधि के फलस्वरूप रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है तथा रोगी को बहुत अधिक आराम मिलता है।

त्वचा रोग से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर की त्वचा में खुजली, जलन, लाली और सूजन आ गई हो। त्वचा पर जो फुंसिया हो वो अधिक कठोर हो गई हो तथा उसमें अधिक तेज दर्द हो रहा हो। त्वचा के दाने पर अधिक खुजली तथा दर्द हो रहा हो। शरीर के कई अंगों पर गुलाबी रंग के दाने हो गए हो। त्वचा पर सूजन तथा सूजी हुई अंग अधिक ठण्डी पड़ गई हो। शरीर के कई भागों पर लाल-लाल, धब्बेदार दाने हो गये हो तथा इसके साथ इन भागों में अधिक खुजली मच रही हो। इनमें से कोई भी लक्षण यदि किसी रोगी में है तो उसको ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक जंभाइयां आ रही हो, पूरे शरीर पर अधिक जलन तथा खुजली मच रही हो, सोते-सोते एकदम से चौंक जाना, पड़पड़ाना और बार-बार नींद का खुल जाना। अधिक सपने आना। दिन में नींद न आना, जंभाई लेने के बाद बिना किसी कारण से हंसी आती रहती हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हैं तो उसके रोगी को ठीक करने में ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का उपयोग लाभकारी है।

बुखार से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को ठण्डी हवा अच्छी लगती हो, शाम के समय में शरीर अधिक गर्म हो जाता हो तथा शरीर से अधिक पसीना निकलता हो तथा शरीर के कुछ भागों में जलन हो रही हो तो ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पीठ में तथा मेरुदण्ड के पास अधिक दर्द हो रहा हो, कमर पर दर्द, खुली हवा में रहने पर दर्द में और भी तेजी हो जाता हो, पीठ में अकड़न हो गया हो तथा गर्दन की पेशियों में अकड़न हो गया हो, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

शरीर का बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अपने पूरे शरीर में अकड़न महसूस हो रही हो, कूल्हे पर अधिक दर्द हो रहा हो, हड्डी के जोड़ों में अधिक दर्द तथा हाथ-पैरों को हिलाने-डुलाने से आराम मिलता हो, कमर की हडि्डयां अधिक कमजोर हो गई हो, रोगी चलने में लड़खड़ाने लगता हो, पैरों की अंगुलियों तथा पैरों में खुजली मच रही हो और रोगी को ऐसा महसूस हो रहा हो कि पैरों पर बर्फ जम गई है। पैरों के नीचे तलुवों में हल्का दर्द, टांग की लम्बी हड्डी में दर्द हो रहा हो। शरीर के कई अंगों में लकवा रोग का प्रभाव तथा इसके साथ बाजुओं में असहनीय दर्द की अवस्था। टांग के ऊपर एक टांग रखकर बैठने से टांगें सुन्न हो जाती हो, बायीं भुजा में लकवा रोग का प्रभाव तथा इसके साथ इसमें दर्द तथा धड़कन की गति बढ़ गई हो। रोगी के पिण्डलियों में तेज दर्द तथा खिंचाव हो रहा हो। इनमें से जो कोई भी लक्षण रोगी में हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

ठण्डी खुली हवा में, खाना खाने के बाद, संभोग क्रिया करने के बाद, ठण्डे मौसम में रोगी के रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन. ह्रास) :-

पीठ पर दबाव पड़ने से रोगी को हंसी आ जाती है तथा धीरे-धीरे हिलने व चलने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

प्रतिविष :-

काफिया, कैम्फर तथा एबिंसथियम।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

* शराबियों की बेहोशी की समस्या को ठीक करने में कैना-इन्डा, हायोस, ऐक्टिया, कैलि-फास, लैक, नक्स-वोम, ओमि और स्ट्रैमो औषधि से ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि की तुलना की जा सकती है।

* एक्टि, कल्के-का, लैक तथा स्ट्रैम औषधि के कुछ गुणों की तुलना ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि से कर सकते हैं।


मात्रा (डोज) :- ऐगारिक्स मस्केरियस औषधि की 3, 30, 200 शक्ति का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।


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