वैलेरियाना Valeriana
परिचय-
वैलेरियाना औषधि हिस्टीरिया और स्नायवीय रोगी की चिकित्सा में बहुत ही उपयोगी साबित होती है। विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर वैलेरियाना औषधि से होने वाले लाभ-
मन से सम्बंधित लक्षण- रोगी का स्वभाव अचानक बदल जाना जैसे कि वह अभी हंस रहा है तो कुछ ही पल में रोने लगेगा। रोगी अपने आपको इतना हल्का महसूस करता है जैसे कि वो हवा में उड़ रहा हो। रात को सोते समय रोगी को अजीब-अजीब से वहम होना जैसे कि कोई उसे घूर रहा है, कोई कमरे में चल रहा है। रोगी का बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाना किसी से सही तरह से बात न करना, रोगी के पूरे शरीर का कांपना आदि लक्षणों में रोगी को वैलेरियाना औषधि देने से लाभ मिलता है।
गले से सम्बंधित लक्षण- रोगी को अपने गले में ऐसा महसूस होता है जैसे कि गले में कोई धागा सा अटका हुआ है, रोगी का जी मिचलाना, रोगी को अपनी भोजन की नली सिकुड़ी हुई सी लगती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को वैलेरियाना औषधि का सेवन कराना लाभकारी होता है।
आमाशय से सम्बंधित लक्षण- रोगी चाहे जितना भी भोजन कर ले फिर भी उसे भूख लगती रहती है और इसी के साथ ही उसका जी मिचलाता रहता है। रोगी को पूरे दिन गंदी सी डकारें आती रहती हैं। बच्चा जब मां का दूध पीता है तो उसके बाद वह उस दूध को तुरन्त ही उल्टी के रूप में निकाल देता है, रोगी जब सुबह के समय घूमने जाता है तो उसको अपने मुंह का स्वाद चिकना-चिकना सा लगता है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी को वैलेरियाना औषधि देना उपयोगी साबित होता है।
पेट से सम्बंधित लक्षण- रोगी के पेट का फूल जाना, रोगी को पानी जैसे पतले दस्त आना इसके साथ ही जमे हुए दूध के थक्के तथा बच्चों का बहुत तेजी से चिल्लाना। पेट में गैस भर जाने के कारण पेट का ऐंठ जाना। भोजन करने के बाद रात को बिस्तर में आंतों में दर्द सा होना आदि लक्षणों के उत्पन्न होने पर रोगी को वैलेरियाना औषधि का प्रयोग कराना लाभदायक रहता है।
स्त्री रोग से सम्बंधित लक्षण- स्त्री का मासिकस्राव समय बीत जाने के काफी दिनों बाद आना और बहुत ही कम मात्रा में आना जैसे लक्षणों में रोगी को वैलेरियाना औषधि देनी चाहिए।
सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी जब सो जाता है तो उसके बाद उसको अपना दम सा घुटता हुआ महसूस होता है। रोगी को अचानक बहुत तेज दमा का दौरा उठना, मध्यच्छद की आक्षेपिक गतियां आदि लक्षणों के रोगी में नज़र आने पर रोगी को वैलेरियाना औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
शरीर के बाहरी अंग से सम्बंधित लक्षण- रोगी के शरीर के अंगों में गठिया का दर्द उठना और झटके से लगना, गृध्रसी (सायटिका) का दर्द जो रोगी के खड़े होने पर या पैर जमीन पर रखने से बढ़ जाता है तथा घूमने से कम हो जाता है, रोगी अगर बैठा रहता है तो उसकी पैर की एड़ी में दर्द होने लगता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को वैलेरियाना औषधि देना उचित रहता है।
नींद से सम्बंधित लक्षण- रोगी को रात में नींद न आना और इसी के साथ ही बहुत तेज खुजली और पेशियों में कंपन सा होना जो जागने पर ज्यादा होता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को वैलेरियाना औषधि देने से रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।
बुखार से सम्बंधित लक्षण- रोगी को काफी समय से होने वाला बुखार। रोगी को अक्सर चेहरे पर पसीना आने के साथ ही बुखार आता है। रोगी को अपना पूरा शरीर बर्फ की तरह ठण्डा सा महसूस होता है आदि लक्षणों में रोगी को वैलेरियाना औषधि देने से आराम मिलता है।
प्रतिविष-
कैमोमिला औषधि का उपयोग वैलेरिना औषधि के दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।
वृद्धि-
सुबह या शाम के समय बैठे या खड़े रहने से रोगी का रोग बढ़ जाता है।
शमन-
रोगी अगर चलता-फिरता रहता है तो उसका रोग कम हो जाता है।
तुलना-
वैलेरियाना औषधि की तुलना ऐसाफ, ऐसार, क्रोक, इग्ने, लैक-कैन, स्पाइजी, सलूफ, कास्टि, लिड़म, मैड्रे और फाइटो के साथ की जा सकती है।
मात्रा-
रोगी को वैलेरियाना औषधि का मूलार्क देने से रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।
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