स्ट्रोमोनियम Stramonium

 स्ट्रोमोनियम Stramonium 

परिचय-

स्ट्रोमोनियम औषधि का सबसे अच्छा असर दिमाग के ऊपर पड़ता है इसीलिए किसी भी तरह के मानसिक रोगों में ये औषधि बहुत ही उपयोगी साबित होती है। किसी तरह की बेहोशी को दूर करने में ये औषधि बहुत ही जल्दी असर दिखाती है। विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर स्ट्रोमोनियम औषधि से होने वाले लाभ-

मन से सम्बंधित लक्षण- मानसिक रोगों के लक्षणों में रोगी अपने आप ही हंसने लगता है, हर समय गुनगुनाता रहता है, अपने आप से ही बाते करता रहता है, रोगी ऐसी बातें करता है जिनका कोई सिर-पैर नहीं होता, बात-बात में कसमें खाने लगता है, रोगी की याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है वह थोड़ी देर पहले की बातों को भी भूल जाता है, रोगी को ऐसा लगता है कि उसके सामने भूत घूम रहे हैं, अजीब-अजीब सी आवाजें आ रही है, खुशी के मौके पर ही दुखी सी सूरत बनाकर घूमता रहता है, हर समय गंदी-गंदी बातें बोलता रहता है, अपने आप के बारें में रोगी को ऐसा लगता है जैसे कि वह कोई महान हस्ती है, रोगी को अगर अकेले और अंधेरे में छोड़ दिया जाता है तो वह डरने लगता है, रोगी को अगर कोई ज्यादा चमकती हुई चीज दिखाई जाती है तो वो बेहोशी की हालत में पहुंच जाता है, रोगी बहुत तेज-तेज चिल्लाने लगता है इसके साथ ही उसका मन करता है कि कहीं भाग जाऊं आदि लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि देने से लाभ मिलता है।

सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर में दर्द होना जिसके कारण रोगी को सोते-सोते तकिए से कई बार सिर को उठाना पड़ता है, रोजाना सुबह के 9 बजे के करीब रोगी के माथें और भौंहों के ऊपर दर्द होना जो दोपहर होने तक तेज हो जाता है, सिर में बहुत तेजी से गड़ने जैसा दर्द तथा उससे पहले नज़रों के सामने धुंधलापन छा जाना, सिर में खून का बहाव बहुत ज्यादा होने के कारण रोगी का चलते समय लड़खड़ाना और इसके साथ ही सामने की ओर बाईं तरफ गिरने का झुकाव, रोगी को सुनने सम्बंधि वहम होना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण- रोगी की आंखों का बाहर की ओर निकलता हुआ सा महसूस होना, पुतलियों का बहुत ज्यादा फैल जाना, रोगी की आंखों की रोशनी चला जाना, रोगी रोशनी में बैठे होने पर भी कहता है कि कमरे में लाईट जला दो, रोगी को सारी छोटी-छोटी चीजों का बड़ा सा दिखाई देना, रोगी को अपने शरीर के सारे अंग बहुत ज्यादा सूजे हुए महसूस होते है, तिरछा दिखाई देना, रोगी को सारी चीजें काली सी नज़र आती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि का प्रयोग कराना उपयोगी साबित होता है।

चेहरे से सम्बंधित लक्षण- रोगी का चेहरा गर्म, सुर्ख और फूला हुआ सा महसूस होना लेकिन हाथ-पैरों का ठण्डा ही रहना, रोगी का चेहरा घबराया और डरा हुआ सा लगता है, रोगी के गाल सुर्ख हो जाते है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि देने से रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण- रोगी को बार-बार प्यास लगना, रोगी कुछ भी खाता है तो उसको उस चीज का स्वाद बहुत बुरा लगता है जैसे कि उसने भूसा खा लिया हो, रोगी को बलगम और हरे पित्त की उल्टी होना जैसे लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि देना बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती है।

मूत्र (पेशाब) से सम्बंधित लक्षण- पेशाब का बहुत कम मात्रा में आना, पेशाब का बूंद-बूंद करके टपकते रहना, पेशाब का बंद हो जाना, पेशाब का गंदे से रंग का आना जैसे लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि का सेवन कराना लाभदायक रहता है।

पुरुष रोगों से सम्बंधित लक्षण- रोगी के शरीर में बहुत तेज यौन उत्तेजना होना और इसी के साथ ही रोगी का अश्लील बातें करना और गंदी-गंदी मुद्राएं बनाना, रोगी अपने हाथ को हर समय जननेन्द्रियों पर रखे रहना चाहता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि का सेवन कराना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।

स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण- स्त्री का मासिकस्राव आने के बाद और दूसरा मासिकस्राव आने से पहले के बीच के समय में गर्भाशय से खून का आना इसके साथ ही स्त्री का बड़बड़ाना, गाना गाना, प्रार्थना करना, गर्भवती स्त्री को प्रसव के दौरान यौन उत्तेजना बहुत तेज होना, इसके साथ ही मानसिक लक्षणों का होना और बहुत ज्यादा पसीना आना, स्त्री को प्रसव के बाद बेहोशी आना जैसे लक्षणों में स्ट्रोमोनियम औषधि देने से लाभ मिलता है।

नींद से सम्बंधित लक्षण- रोगी का सोते-सोते अचानक डरकर जाग उठना और चिल्लाने लगना, रोगी सोते समय बहुत जोर-जोर से खर्रांटे भरता है, रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसे बहुत नींद आ रही है लेकिन सोने पर उसे नींद नही आती। इस तरह के लक्षणों में अगर रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि दी जाए तो रोगी कुछ ही दिनों में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है।

मुंह से सम्बंधित लक्षण- रोगी को अपना मुंह बहुत ज्यादा सूखा सा महसूस होना, रोगी के मुंह से हर समय लार टपकती रहती है, रोगी का पानी को देखते ही जी खराब हो जाना, रोगी का तुतलाना अर्थात बोलते समय आवाज का साफ ना निकलना, रोगी के द्वारा अपने मुंह को अजीब सी आकृति में बनाना, रोगी पर बेहोशी छा जाने के कारण वो कुछ भी चीज खाता है उसको निगलना मुश्किल हो जाता है, मुंह की किसी चीज को चबाते रहने जैसा चलना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि का सेवन कराना उचित रहता है।

बुखार से सम्बंधित लक्षण- रोगी को बहुत तेज बुखार आना, जिसमें उसे बहुत ज्यादा पसीना आता है और इसी कारण से रोगी हर समय बेचैन सा रहता है उसे कहीं पर भी आराम नही मिलता। इन लक्षणों में रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि देने से रोगी कुछ ही समय में स्वस्थ हो जाता है। 

वृद्धि-

अंधेरे कमरे में, अकेले रहने पर, ज्यादा तेज चमकती हुई चीज की तरफ देखने से, नींद के बाद निगलने पर, डर से, स्राव रुक जाने के बाद, ज्यादा नशा करने से, ज्यादा भोग-विलासी बनने से, सोकर उठने के बाद रोग बढ़ जाता है।

शमन-

गर्माई से, ज्यादा दोस्तों के साथ रहने से और तेज रोशनी से रोग कम हो जाता है।

प्रतिविष-

बेलाडोना, टाबैक, नक्स-वोमिका औषधि का उपयोग स्ट्रोमोनियम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

तुलना-

स्ट्रोमोनियम औषधि की तुलना हायोसायमस और बेलाडौना से की जा सकती है।

मात्रा-

रोगी को स्ट्रोमोनियम औषधि की 30 शक्ति या कम शक्तियां देने से रोगी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


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