प्लैटिनम (Platinum)

 प्लैटिनम (Platinum) 

परिचय-

प्लैटिनम औषधि स्त्रियों के रोगों को ठीक करने के लिए बहुत उपयोगी है। मानसिक लक्षण पर विशेष ध्यान रखकर प्लैटिनम औषधि का निर्वाचन करना चाहिए। नक्स-वोमिका औषधि जिस कब्ज को दूर नहीं कर पाती है उस कब्ज के रोग को प्लैटिनम औषधि दूर कर सकती है। स्त्री रोगी घमण्डी स्वभाव की होती है और वह किसी की परवाह नहीं करती, सबको हर बात में अपने से छोटा समझती है, वह अपने को हर बात में सब से बड़ा समझती है। वह अपने को बड़े घराने की समझती है, अपने दोस्त और रिश्तेदारों को नीच वंश की समझती और दूसरे से घृणा करती है। स्त्री को इस कदर घमण्ड होता है कि अपने शरीर को भी औरों के शरीर से बड़ा ख्याल करती है। इस प्रकार की हिस्टीरिया रोग से ग्रस्त स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। कुछ रोगी स्त्री एक पल तो खुश होती है तो थोड़े ही देर के बाद उदास हो जाती है और रोने लगती है, चिड़चिड़ा मिजाज, जिद्दी और बहुत देर तक मुंह फुलाये रहती है, छोटी और बेकार की बातों से नाराज हो जाती है। डर, गुस्सा, अहंकार, गुप्त दुष्कर्म करने से उत्पन्न रोग या किसी प्रकार के मानसिक उपद्रव होने पर प्लैटिनम औषधि का उपयोग करना चाहिए। रोगी को जीने की इच्छा नहीं होती है लेकिन मृत्यु से भी डर भी लगता है। शारीरिक परेशानियों के अदृश्य हो जाने पर मानसिक रोग पैदा होते हैं और शारीरिक लक्षण उत्पन्न होने पर मानसिक लक्षण लुप्त हो जाते हैं। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

विभिन्न लक्षणों में प्लैटिनम औषधि का उपयोग-

दर्द से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी स्त्री के शरीर में दर्द जिस प्रकार धीरे-धीरे बढ़ता है उसी प्रकार धीरे-धीरे घटता भी है। दर्द के साथ ही वह स्थान सुन्न पड़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

सिर दर्द से सम्बन्धित लक्षण :- गर्भाशय से सम्बन्धित रोग से पीड़ित रोगी तथा हिस्टीरिया रोग से ग्रस्त स्त्री को गुस्सा अधिक आता तथा दिमाग या सिर पर, चोटी में दर्द होता है। दिमाग सुन्न पड़ जाता है। दर्द धीरे-धीरे बढ़ता है और धीरे-धीरे घटता है। कनपटी में कीड़े की तरह रेंगती हुई कोई चीज महसूस होती है जोकि नीचे के जबड़े तक फैल जाती है और उस स्थान पर ठण्ड महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

n आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पलकें रह रहकर फड़कती हैं और चीजें असली अवस्था से छोटी दिखाई पड़ती हैं, चीजें बड़ी दिखाई पड़ती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के चेहरे के दाहिनी तरफ कुछ रेंगता सा मालूम पड़ता है, वह स्थान सुन्न पड़ जाता है और ठण्डा महसूस होता है, चेहरे के बांयी तरफ से गाल की हड्डी में दर्द होता है और सुन्न पड़ जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

स्त्रियों में संभोग से सम्बन्धित लक्षण :- अधिकतर कुवारी लड़कियों को संभोग करने की इच्छा अधिक होती है, योनि में तेज खुजली होती है तथा ऐसा लगता है जैसे योनि के अन्दर कोई कीड़ा रेंग रहा हो। गुप्तस्थान इस कदर नाजुक हो जाता है कि कपड़ा तक छू जाने से परेशानियां होने लगती है, योनिद्वार को छूकर देखते समय उसे बेहोशी आ जाती है। इसलिए ऐसी रोगी अपने योनिद्वार की जांच चिकित्सक को नहीं करने देती है। गुप्तस्थान नाजुक होने के कारण पति के साथ संभोग करना असम्भव हो जाता है, संभोग करने के समय में उसे बेहोशी आ जाती है। वह स्त्रियां जिन्हें काम करने की प्रवृति बहुत अधिक होती है, उनका बांझपन प्लैटिना से दूर होता है। ऐसी स्त्रियों के रोग को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का उपयोग करना चाहिए।

मासिकधर्म (डमदेमे) से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकधर्म नियमित समय से बहुत पहले ही आ जाता है और बहुत दिनों तक रहता है, खून ज्यादा आता है तथा बदबूदार रंग स्याही जैसा जमा हुआ होता है, गर्भाशय में दर्द होता है और गर्भाशय लटका हुआ महसूस होता है, गर्भाशय में तेज खुजली होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

कब्ज से सम्बन्धित लक्षण :- सफर करने वालों को कब्ज होना, अन्तड़ियों की जड़ता से कब्ज होना, बार-बार मलत्याग होना, मलद्वार में नर्म चिकनी मिट्टी की तरह का मल चिपका रहना, गर्भावस्था के समय में कब्ज की शिकायत रहना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लैटिनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

इग्ने, कैलि-फास, पल्स, सिपि, स्टैनम, वैलेरि, आरम तथा क्रोकस औषधियों के कुछ गुणों की तुलना प्लैटिनम औषधि से कर सकते हैं।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

सोने से पहले, शाम के समय, कमरे के अन्दर, आराम करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन-ह्रास) :-

खुली हवा में कार्य करने से रोग के लक्षण नष्ट होते हैं।

मात्रा (डोज) :-

प्लैटिनम औषधि की छठी से तीसवीं शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। 


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