मेन्था पाइपरीटा (Mentha piperita)

 मेन्था पाइपरीटा (Mentha piperita)

परिचय-

मेन्था पाइपरीटा औषधियों का प्रयोग शीतग्राही स्नायुओं को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है। इस औषधि का सेवन करते ही सामान्य तापमान में चलती हुई हवा की लहर भी ठण्डी महसूस होती है। इस औषधि की प्रमुख क्रिया श्वसन अंगों और त्वचा पर होती है। पांचनतंत्रों से सम्बन्धित दर्द होने पर इस औषधि का लाभदायक प्रभाव होता है जिसके फलस्वरूप पांचनतंत्रों का कार्य सही हो जाता है और दर्द ठीक हो जाता है। मेन्था पाइपरीटा औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी है-

पेट से सम्बन्धित लक्षण:- पेट फूल रहा हो, जिसके कारण रोगी को नीन्द नहीं आती हो या छोटे बच्चे के पेट में दर्द हो रहा हो या पित्त में दर्द हो रहा हो तथा इसके साथ ही पेट में वायु बन रहा हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेन्था पाइपरीटा औषधि का उपयोग लाभदायक है।

श्वसन संस्थान से सम्बन्धित लक्षण:- आवाज बैठ गई हो, नाक की नोक को छूने पर दर्द महसूस हो रहा हो, गला शुष्क तथा दर्दनाक हो और ऐसा महसूस हो रहा हो कि गले के आर-पार कोई पिन चुभ गई हो। सूखी खांसी हो गई हो तथा स्वरयंत्र में हवा जाने पर ठण्ड महसूस हो रही हो। श्वास लेने वाले अंगों को छूने से दर्द हो रहा हो। इस प्रकार श्वास से सम्बन्धित लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेन्था पाइपरीटा औषधि का उपयोग करना चाहिए।

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण:- रोगी की त्वचा पर खरोंच लगने से खरोंच वाला भाग घाव बन गया हो। लिखते समय बांहों और हाथों में खुजलाहट होती है। स्त्री रोगी के योनि में खुजली हो रही हो। छाजन रोग हो गया हो। इस प्रकार चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेन्था पाइपरीटा औषधि का सेवन करना चाहिए।

सम्बन्ध (रिलेशन):-

माथे और कई प्रकार के हडि्डयों के दर्द को ठीक करने के लिए रुमेक्स, लैके, मेन्था प्यूलेजियम तथा यूरोपियन पेनी रायल औषधि का प्रयोग करते हैं लेकिन ऐसे ही लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए मेन्था पाइपरीटा औषधि का उपयोग कर सकते हैं। अत: इन औषधियों के इस गुण की तुलना मेन्था पाइपरीटा औषधि से कर सकते हैं।

रोगी को कम पेशाब आता हो तथा इसके साथ ही बार-बार पेशाब करने की इच्छा हो रही हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए मेन्थ विरिडिस तथा स्पियरमिंट औषधियों का प्रयोग करते हैं लेकिन ऐसे ही कुछ लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को मेन्था पाइपरीटा औषधि के द्वारा भी ठीक कर सकते हैं। अत: इन औषधियों के इस गुण की तुलना मेन्था पाइपरीटा औषधि से किया जा सकता है।

मात्रा (डोज) :-

मेन्था पाइपरीटा औषधि की मूलार्क की 1 से 20 बूंदों से लेकर तीसवीं शक्ति तक का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। योनि में खुजली होने पर इसका स्थानिक प्रयोग करना चाहिए।


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