लिलियम टिग्रीनम (Lilium Tigrinum)

 लिलियम टिग्रीनम (Lilium Tigrinum)

परिचय-

लिलियम टिग्रीनम औषधि की शक्तिशाली क्रिया गोणिकांगों पर होती है और गर्भाशय की झिल्ली एवं डिम्बग्रन्थियों के रोग ग्रस्त होने पर इसका प्रयोग करने से रोग ठीक हो जाता है। अविवाहित महिलाओं के लिए इसका अधिकाधिक उपयोग किया जाता है, छोटे-छोटे घावों को ठीक करने के लिए तथा जोड़ों के दर्द और सूजन को ठीक करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इस औषधि का विकास शरीर के बायीं तरफ अधिक होता है। यह अधिक स्त्रियों को दी जाने वाली औषधि है।

विभिन्न लक्षणों में लिलियम टिग्रीनम औषधि का उपयोग-

मन से सम्बन्धित लक्षण :- निराशा अधिक होती है तथा मोक्षप्राप्ति की चिन्ता होती रहती है, लगातार रोते रहने का मन करता रहता है, भय लगता रहता है, ऐसा महसूस होता है कि कहीं कोई असाध्य रोगों से सम्बन्धित रोग न हो जाए, मार-पीट करने का मन करता है, अश्लील बातें सोचने की प्रवृति होती है, श्राप देने का मन करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को हर वक्त जल्दबाजी होती है, हर वक्त व्यस्त रहना पड़ता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का उपयोग लाभदायक है।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सिर भारी-भारी लगता है तथा सिर में गर्मी महसूस होती है, गर्म कमरे में बेहोशी-पन महसूस होता है, भय महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखों के सफेद भाग में दर्द होता है तथा दर्द पीछे की ओर फैलता हुआ सिर तक पहुंच जाता है तथा आंखों से आंसू बहने लगता है, दृष्टि धुंधली पड़ जाती है, निकट दृष्टि दोष उत्पन्न हो जाता है, आंखों की पेशियां कमजोर हो जाती हैं। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके लक्षण को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- आमाशय में वायु भरने के कारण आमाशय फूल जाता है, बेचैनी होती है तथा ऐसा महसूस होता है कि पेट में गोला रखा हुआ है, भूख लगती है तथा मांस खाने की इच्छा होती है, प्यास बराबर लगती है जिसके कारण रोगी अधिक पानी पीता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- पेट में वायु बनने के कारण पेट फूलने लगता है तथा पेट में दर्द होता है, पेट में कंपन होती है, मलान्त्र वा मलद्वार के ऊपर नीचे की ओर तथा पीछे की ओर दबाव महसूस होता है, खड़े होने पर दबाव अधिक मसहूस होता है, खुली हवा में टहलने पर दबाव कम महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- पेशाब करने की गति तेज हो जाती है तथा मूत्राशय में दबाव महसूस होता है, पेशाब दूध जैसा सफेद होता है तथा कम मात्रा में और गर्म होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- मलांत्र में दबाव होने के कारण मलत्याग करने की बार-बार इच्छा होती है, खड़े होने पर अधिक मलत्याग करने की इच्छा होती है, नीचे की ओर मलद्वार पर भी दबाव होता है, सुबह के समय में मलत्याग करने की अधिक इच्छा होती है, मल में पेचिश, कफ तथा खून आता है और पेट में ऐंठन होती है। इस प्रकार के लक्षण यदि स्त्रियों में है तो उन्हें मासिकधर्म के समय में अधिक परेशानी होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- ऐसा महसूस होता है कि हृदय किसी शिकंजे में जकड़ गया है, हृदय में कुछ भरा हुआ महसूस होता है और ऐसा लगता है कि वह फट जायेगा, सारे शरीर में जलन महसूस होती है तथा नाड़ी की गति अनियमित होती है तथा अधिक तेज नाड़ी धड़कती है। हृदय में दर्द होता है तथा साथ ही छाती पर बोझ रखा हुआ महसूस होता है। हृदय के आस-पास ठण्ड महसूस होती है, भीड़ तथा गर्म कमरे में दम घुटने लगता है। हृदय में दर्द होने के साथ-साथ दायें बाजू में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- मासिकधर्म नियमित समय से पहले, स्राव कम मात्रा में, काला, थककेदार, बदबूदार होता है, चलते-फिरते रहने से स्राव अधिक होता है। ऐसा दर्द होता है जैसे बच्चे को जन्म देने के समय में होता है तथा इसके साथ ही मलत्याग करने की बार-बार इच्छा होती है और ऐसा महसूस होता है जैसे शरीर के नीचे के अंग गिर पड़ेंगे, आराम करते समय स्राव बन्द हो जाता है। गर्भाशय के ऊपरी झिल्ली पर रक्त जमा होने लगता है तथा गर्भाशय अपने स्थान से हटने लगता है और अग्रनति (अन्टीवर्सन) होता है। योनि पर बाहर से सहारा देने की बार-बार इच्छा होती है, डिम्बग्रन्थियों तथा नीचे की ओर जांघों पर दर्द होता है। प्रदर रोग होने के साथ ही स्राव कत्थई रंग का और जलन युक्त होता है, योनि में चिपचिपापन होता है और संभोग की अधिक इच्छा होती है। गर्भाशय तथा उसके आस-पास का भाग फूल जाता है, दबाव महसूस होता है और मलद्वार में भी दबाव महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी स्त्री को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण :- पीठ और मेरुदण्ड पर दर्द होता है तथा साथ ही कंपन और नीचे की ओर दबाव महसूस होने के साथ ही दर्द होता है, उंगलियों में चुभन होती है, दायें बाजू और कूल्हे में दर्द होता है, टांगों में दर्द होता है तथा उन्हें स्थिर रखने में परेशानी होती है, टखनों के जोड़ में दर्द होता है और हथेलियों व तलुवों में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

नींद से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर में आलस्य बनी रहती है तथा भूख नहीं लगती है, सोते समय सपने आते हैं, सोने में परेशानी होती है तथा भय लगता रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि का प्रयोग करे।

ज्वर से सम्बन्धित लक्षण :- बुखार होने के साथ ही शरीर का ताप दोपहर के बाद अत्यधिक गर्म हो जाती है तथा शरीर में आलस्य बना रहता है, सारे शरीर में कंपन होता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए लिलियम टिग्रीनम औषधि उपयोग लाभदायक है।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

गर्म कमरे में, सान्त्वना देने से लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन) :-

ताजी हवा से लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

हेलोनि, म्यूरेक्स, सीपि, प्लैटीना कैक्टस तथा पैलैडि औषधियों के कुछ गुणों की तुलना लिलियम टिग्रीनम औषधि से कर सकते हैं।

प्रतिविष :-

हेलोनि औषधि का उपयोग लिलियम टिग्रीनम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

मात्रा (डोज) :-

लिलियम टिग्रीनम औषधि की मध्यम और उच्चतर शक्तियों का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए, कभी-कभी इसकी रोगसाधक क्रिया का विकास देर से होता है। 


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