लेसीथिन (lecithin)
परिचय-
लेसीथिन औषधि जैवीप्रक्रियाओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण औषधि है, रोगी को स्वस्थ्यवर्धक बनाने के लिए इस औषधि का उपयोग किया जाता है, खून पर इस औषधि का लाभदायक प्रभाव पड़ता है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करता है, शारीरिक कमजोरी तथा स्नायु कमजोरी को दूर करने के लिए यह महत्वपूर्ण लाभदायक औषधि है, अनिद्रा को दूर करने के लिए यह बहुत ही उपयोगी औषधि है। यह शरीर में लाल रक्तकणों की संख्या को बढ़ाती तथा स्तन में दूध को बढ़ाती है, दूध में पौष्टिकता को भी बढ़ाती है। शरीर में फास्फेटी की मात्रा को घटाने के लिए लेसीथिन औषधि का उपयोग लाभदायक है, यह मानसिक बीमारी को दूर करती है तथा इसके प्रभाव से नपुंसकता रोग ठीक हो जाता है।
टी.बी. (क्षय रोग) के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का उपयोग किया जा सकता है। इसके प्रभाव से टी.बी. का रोग ठीक हो जाता है तथा रोगी का शरीर भी स्वस्थ्य हो जाता है।
यदि किसी रोगी को अधिक थकान हो रही हो तथा घुटन महसूस हो रही हो, शरीर पर से मांस दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा हो, शरीर का स्वस्थ्य बिगड़ रहा हो। इन सभी लक्षणों के होने के साथ ही यदि रोगी को यौन शक्ति में कमजोरी हो तो उसके रोग ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
यदि किसी रोगी के शरीर में अधिक खून की कमी हो तथा इसके साथ ही उसकी याददास्त अधिक कमजोर हो, वह किसी भी चीज को याद नहीं रख पाता हो, मानसिक कमजोरी अधिक हो, कानों में घंटी बजने जैसी आवाजें सुनाई दे रही हो, चेहरे का रंग पीला पड़ गया हो, आमाशय फूल गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
विभिन्न लक्षणों में लेसीथिन औषधि का उपयोग-
मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता चला जाता है तथा याददास्त भी कमजोर हो जाती है, दिमागी शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के सिर में दर्द होता रहता है तथा सिर के पिछले भाग में लगातार दर्द होता रहता है, कानों में अजीबों-गरीब आवाजें सुनाई देती है और रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे कानों में घंटियां बज रही हों। इस प्रकार के लक्षणों के साथ ही रोगी के मलद्वार में दर्द होता है तथा चेहरा पीला पड़ जाता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का उपयोग लाभदायक है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को प्यास अधिक लगती है और काफी पानी पीने की इच्छा होती है, आमाशय फूला हुआ रहता है, उसमें दर्द होता रहता है और गले की ओर जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का उपयोग करना चाहिए।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बहुत कम मात्रा में पेशाब होता है तथा पेशाब में फास्फेट पदार्थ आता है तथा शर्करा भी आता है तथा अन्न जैसे पदार्थ पेशाब में दिखाई देती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
जननांग से सम्बन्धित लक्षण :- पुरुष रोगी में पौरुष शक्ति कम हो जाती है तथा शारीरिक कमजोरी अधिक हो जाती है, संभोग करने की शक्ति बहुत ही कम हो जाती है। रोगी स्त्री में डिम्ब-ग्रन्थियों में दोष उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का सेवन करना चाहिए।
शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के सभी अंगों में दर्द होता है तथा दबाव महसूस होता है, शरीर की ऊर्जा शक्ति कम हो जाती है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी एकदम शांत स्वभाव का हो जाता है तथा उसमें अधिक कमजोरी आ जाती है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लेसीथिन औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
फास्फोरस औषधि के कुछ गुणों की तुलना लेसीथिन औषधि से कर सकते हैं।
मात्रा (डोज) :-
लेसीथिन औषधि की आधी से दो ग्रेन की मात्रा में स्थूल (क्रूड) औषधि और शक्तियों का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। बारहवीं शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं।
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