क्रियोजोटम Kreosotum

 क्रियोजोटम Kreosotum

परिचय-

क्रियोजोटम औषधि का उपयोग पूरे शरीर में जलन होना, त्वचा के छोटे-छोटे जख्मों से खून का आना, तन्त्रिका से सम्बंधित बहुत पुराने रोग, कैंसर को पैदा करने वाले रोग, खून का आना, मासिकधर्म के बन्द होने के बाद होने वाले रोग, बच्चों के दांत निकलते समय होने वाले रोग आदि में बहुत लाभकारी साबित होती है। विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर क्रियोजोटम औषधि का उपयोग-

सिर से सम्बंधित लक्षण- सिर में दर्द होना, स्त्री को मासिकधर्म आने के दौरान सिर में दर्द होना, सिर के पीछे के हिस्से में दर्द होना जैसे लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि को सेवन कराने से लाभ होता है।

मन से सम्बंधित लक्षण- गाना सुनते समय भावुक हो जाने के कारण रोगी को रोना आ जाना, दिल की धड़कन का तेज हो जाना, किसी भी बात को कुछ ही देर में भूल जाना, किसी से भी ढंग से बात न करना, हर चीज के लिए जिद करना, बच्चे की हर चीज लेने के लिए जिद करना लेकिन लेने के बाद उस चीज को कुछ ही देर में फेंक देना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन कराना लाभकारी होता है।

कान से सम्बंधित लक्षण - कानों के चारों ओर के हिस्से में फुंसियां होना, कान के अन्दर फुंसियां होना, किसी के तेज आवाज में बोलने पर ही उसकी बात सुनाई देना, कानों में अजीब सी भिनभिनाहट होते रहना जैसे कान के रोगों के लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि का प्रयोग कराते रहने से आराम आता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण- आंखों की पलकों के लाल होने के साथ-साथ सूज जाना, आंखों से नमकीन आंसू निकलते रहना आदि लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि देने से लाभ मिलता है।

चेहरे से सम्बंधित लक्षण- चेहरे का हर समय रोता हुआ सा बनाकर रखना, चेहरे का आकार अजीब सा बनाना, चेहरे का गर्म होना और गालों का लाल होना जैसे लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि देने से लाभ होता है।

मुंह से सम्बंधित लक्षण - होंठों से खून का निकलना, बच्चे के दांत निकलते समय बहुत ज्यादा दर्द होना और रात को बच्चे का सो न पाना, मुंह का स्वाद खराब होना, दान्तों का रंग काला सा होना, मसूढ़ों से खून का आना जैसे लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन कराना लाभकारी रहता है।

नाक से सम्बंधित लक्षण - नाक से बदबूदार स्राव का आना, बूढ़े लोगों को होने वाला पुराना जुकाम, तीखा कच्चापन, ल्यूपस आदि जैसे नाक के रोगों के लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन कराना लाभदायक रहता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण - जी का मिचलाना, भोजन करने के बाद काफी देर तक उल्टी होते रहना, आमाशय के अन्दर बहुत ज्यादा ठण्डक सी महसूस होना, आमाशय में दर्द होना लेकिन कुछ खाते ही आराम आ जाना, पानी पीने के बाद उसका स्वाद कड़वा सा लगना आदि लक्षणों में क्रियोजोटम औषधि का सेवन करना अच्छा रहता है।

गले से सम्बंधित लक्षण - गले में जलन सी महसूस होना, ऐसा लगना जैसे कि गला बन्द हो गया हो, गले में से पीब जैसी बदबू का आना। ऐसे लक्षणों के आधार पर रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन कराना लाभकारी होता है।

पेट से सम्बंधित लक्षण - पेट का फूल जाना, बवासीर के दौरान खून का जलन के साथ आना, दस्त होना, मल का गहरे रंग में, खून के साथ, बदबूदार रूप में आना, बच्चों के दांत निकलने के दौरान होने वाला दस्त का रोग, त्वचा का सूखना, शरीर में थकान सी महसूस होना जैसे लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि देने से लाभ होता है।

स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण- स्त्री की योनि खुजली होना, योनि के आसपास के हिस्से में जलन और सूजन होना, योनि के आसपास के हिस्से और जांघों के बीच के हिस्से में बहुत तेजी से होने वाली खुजली, मासिकधर्म के दौरान लड़कियों का कम सुनाई देना, शरीर के बाहर और अन्दर के भागों में खुजली सी होना, संभोगक्रिया करने के बाद खून का आना, मासिकधर्म समय से काफी दिनों पहले आ जाना और काफी दिनों तक बने रहना, गर्भकाल के दौरान उल्टी और लार का ज्यादा आना, मासिकधर्म के दौरान स्राव का रुक-रुककर आना, मासिकधर्म के दौरान दर्द का तेज होना, बच्चे को जन्म देने के बाद बदबूदार स्राव का आना जैसे लक्षणों में रोगी स्त्री को क्रियोजोटम औषधि देने से लाभ होता है।

पेशाब से सम्बंधित लक्षण- पेशाब का बदबू के साथ आना, पेशाब करते समय योनि में तेजी से होने वाली खुजली, पेशाब करने के लिए लेटना पड़ता है, नींद में ऐसा महसूस होना जैसे कि पेशाब कर रहे हों, रात को सोने के थोड़ी देर बाद ही पेशाब का आना, पेशाब आते ही तुरन्त पेशाब करने के लिए भागना जैसे लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है। 

सांस से सम्बंधित लक्षण - शाम के समय बहुत तेज खांसी होने के साथ-साथ उल्टी होना और छाती में दर्द होना, आवाज की नली के अन्दर दर्द होने के साथ-साथ आवाज का खराब होना, इंफ्लुएंजा रोग के बाद खांसी होना, बूढ़े लोगों को सर्दी के दिनों में होने वाली खांसी, खांसी होने के बाद हर बार काफी मात्रा में बलगम का आना, छाती में कच्चापन महसूस होने के साथ-साथ जलन और दर्द होना, उरोस्थि पर अन्दर की ओर दबाव सा पड़ना आदि लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन नियमित रूप से कराने से लाभ मिलता है।

पीठ से सम्बंधित लक्षण - कमर में खिंचाव के साथ दर्द होना, जो जनेन्द्रियों और नीचे की ओर जांघों तक फैल जाता है, शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को क्रियोजोटम औषधि देने से लाभ मिलता है।

बाहरीय अंग से सम्बंधित लक्षण - नितंबों, जोड़ों और घुटनों में बहुत तेजी से होने वाला दर्द, नितंबों के जोड़ों में किसी चीज के घुसा देने जैसा दर्द होना जैसे लक्षणों में रोगी को क्रियोजोटम औषधि खिलाने से लाभ होता है। 

चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण- शाम के समय रोगी के शरीर पर बहुत तेजी से होने वाली खुजली, पैरों के तलुवों में जलन महसूस होना, त्वचा में छोटे-छोटे जख्मों के होने के कारण लगातार खून बहते रहना, हाथों की उंगलियों के पीछे की परत पर छाजन होना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को क्रियोजोटम औषधि देने से आराम मिलता है।

नींद से सम्बंधित लक्षण - रोगी को बहुत ज्यादा बेचैनी महसूस होना, सोते समय पूरी रात करवटें सी बदलते रहना, सुबह उठने पर सारे अंगों में लकवा सा मार देना महसूस होना, पूरी रात अजीब-अजीब से सपने आते रहना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को क्रियोजोटम औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

प्रतिविष-

नक्स, कार्बो, आर्से, फास्फो, सल्फ। 

वृद्धि-

खुली हवा में, सर्दी लगने से, आराम करने से, लेटने पर, मासिकधर्म आने के बाद रोग बढ़ जाता है।

शमन-

गर्माई से, चलने-फिरने से, गर्म-गर्म भोजन करने से रोग कम हो जाता है।

तुलना-

क्रियोजोटम औषधि की तुलना फूलिगो लिग्नाइ, कार्बोलिक एसिड और आयोडम लैकेसिस से की जा सकती है।

मात्रा-

क्रियोजोटम औषधि की 3 से 30 शक्ति तक रोगी को देने से लाभ होता है।

जानकारी-

जिन लोगों को रोग बहुत ही जल्दी घेर लेते है उन्हें क्रियोजोटम औषधि की 200 शक्ति तक देने से आराम मिलता है।


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