हेमामेलिस वर्जिनिका Hamamelis virginiana

 हेमामेलिस वर्जिनिका

परिचय-

यदि किसी रोगी के शरीर के शिराओं से खून बहने लगता है तथा शिराएं भरी रहती हैं, शिराओं से कोई चीज छू जाने पर दर्द बर्दास्त नहीं हो पाता तथा जो खून बहता है वह गहरे काले रंग का थक्केदार होता है। इस प्रकार के रोग से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेमामेलिस वर्जिनिका औषधि का उपयोग करना चाहिए। वात रोग से पीड़ित रोगी को कुचलन जैसा दर्द महसूस होता है तो ऐसे रोग को ठीक करने के लिए आर्निका औषधि का प्रयोग करते है, लेकिन ऐसे ही लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हेमामेलिस वर्जिनिका औषधि का उपयोग किया जा सकता है, अत: कहा जा सकता है कि इस प्रकार के गुणों के अनुसार आर्निका औषधि की तुलना इससे कर सकते हैं। इन दोनों औषधियों में सबसे प्रमुख अन्तर यह है कि आर्निका औषधि का असर मुख्य रूप से कोशिकाओं पर होता हैं तथा उनमें एक प्रकार की शिथिलता आ जाती है। इसीलिए उनमें एक प्रकार का काला दाग नज़र आता है। हेमामेलिस वर्जिनिका औषधि की क्रिया शिराओं पर अधिक होती है। शिराएं एक दम बढ़ जाती है, भर आती हैं तथा उनमें दर्द भी होता है।

किसी भी प्रकार की शिराओं की सूजन को ठीक करने के लिए हेमामेलिस वर्जिनिका औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है, यहां इस औषधि की तुलना पल्सेटिला से की जा सकती है। लेकिन इसका एकमात्र सबसे बड़ा परिचायक लक्षण यह है कि शिराओं में स्पर्श सहन नहीं हो पाता है।

नाक, जरायु , फेफड़े, मूत्राशय तथा आंत से बहने वाले खून को रोकने के लिए हेमामेलिस वर्जिनिका औषधि का उपयोग करना चाहिए। वैसे देखा जाए तो यह औषधि कोई विषैला पदार्थ नहीं है। अण्डकोष में जलन होने पर इस औषधि का प्रयोग करने से रोगी का रोग ठीक हो जाता है। गुदाद्वार से खून बहने, टायफायड बुखार होने या बवासीर के रोग को ठीक करने के लिए इसका उपयोग लाभदायक है।

किसी प्रकार के चोट लग जाने पर इस औषधि का बाहरी उपयोग करने से रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

आर्निका और कैलेण्डुला औषधि के कुछ गुणों को हेमामेलिस वर्जिनिका औषधि से तुलना कर सकते हैं।


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