डियुबांयसिया (DUBOISIA)

 डियुबांयसिया (DUBOISIA)

परिचय-

आमतौर पर यह औषधि स्नायुतन्त्र, आंख और श्वसन तन्त्र के ऊपरी भाग पर अधिक प्रभाव डालती है। कभी-कभी स्नायुतन्त्र के क्रियाशील होने के कारण रोगी को प्रतीत होता है कि उसके शरीर के किसी भी अंग में ताकत नहीं है, चलते-चलते व्यक्ति ठोकर खाकर गिर पड़ता है। पैरों में शून्यता आ जाती है तथा हाथ पैरों में कंपन होती है। रोगी आंख बन्द करके खडे़ होने पर गिर पड़ता है आदि लक्षणों के होने पर डियुबांयसिया औषधि का उपयोग किया जाता है। 

शरीर के विभिन्न अंगों के लक्षणों के आधार पर डियुबांयसिया औषधि का उपयोग :

मन से सम्बंधित लक्षण: स्मरणशक्ति कमजोर होने पर डियुबांयसिया औषधि का उपयोग लाभकारी होता है।

सिर से सम्बंधित लक्षण : आंखें बन्द करके खड़े न हो पाना, पीछे की ओर गिरने का अहसास होना आदि लक्षणों में डियुबांयसिया औषधि का उपयोग करना चाहिए।

आंखों से सम्बंधित लक्षण : आंख आना (कांजक्टीविटिज), आंख के सामने अंधेरा छाना, तरुण आंख की पुतली का फैल जाना, समंजन का पक्षाघात (पैरालाइसिस ऑफ अक्कोम्मोडेशन), स्वच्छपटल की अतिरक्तसंकुलता (हाइपेरीमिया ऑफ रैटिना), समंजनदुर्बलता (वीकनेस ऑफ अक्कोम्मोडेशन),रक्तवाहिनियां पूर्ण और आड़ी तिरछी, नेत्रपटल फैले होने के कारण आंखों की दृष्टि का कमजोर होना। आंख के ऊपर, आंख और भौंह के बीच वाले भाग में दर्द आदि आंखों के विकार होने पर डियुबांयसिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

श्वसन संस्थान के रोग से सम्बंधित लक्षण : सूखी खांसी के कारण सांस लेने में परेशानी, आवाज में तीखापन, बोलने में कठिनाई तथा गले में भारीपन आदि अनेक रोग होने पर डियुबांयसिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

शरीर के बाहरी के अंगों के विभिन्न लक्षण : शरीर के बाहरी अंग कमजोर होना, शरीर का लड़खड़ाना, चलते समय ऐसा प्रतीत होना कि जैसे खाली स्थान पर पैर रख रहा हो तथा कमजोरी आदि होने पर डियुबांयसिया औषधि का उपयोग लाभकारी होता है।

बुखार : 

बुखार से पीड़ित रोगी को डियुबांयसिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए। इससे रोगी को बुखार से छुटकारा मिल जाता है। 

सम्बंध : 

डियुबांयसिया औषधि, मस्केरिन औषधि की विपरीत गुणों वाली औषधि है।

प्रतिविष : 

मार्फिया, पिलोकार्प औषधि का उपयोग डियुबांयसिया औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

तुलना : 

डियुबांयसिया औषधि की तुलना बेला, स्ट्रामों, हायोसा आदि औषधियों के गुणों से की जा सकती है।

मात्रा : 

तीसरी से बारहवीं शक्ति।


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