क्राक्कस सैटाइवा Crocus Sativa

 क्राक्कस सैटाइवा Crocus Sativa

परिचय-

क्राक्कस सैटाइवा औषधि शरीर में इस तरह के खून को जिसमें खून का रंग काला हो जाता है और उसमे रेशे काफी मात्रा में रहते हैं, इन पदार्थों को बहने से रोकने में यह खास भूमिका निभाती है। 

विभिन्न रोगों के लक्षणों में क्राक्कस सैटाइवा औषधि का उपयोग-

मन से सम्बंधित लक्षण- किसी व्यक्ति का अपने आप में ही बातें करते रहना, बैठे-बैठे हंस पड़ना, अकेले में गाते रहना, हंसते-हंसते अचानक दुखी हो जाना, गुस्सा करने लगना आदि मानसिक रोगों के लक्षणों में क्राक्कस सैटाइवा औषधि का सेवन करने से लाभ होता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण - आंखों के सामने अजीब-अजीब सी चीजें नज़र आना, आंखों का ऐसा महसूस होना जैसे कि उनमें से पानी निकल रहा हो और उन्हें बार-बार साफ करना, पलकों का भारी होना, आंखों में ठण्डी हवा लगती हुई सी महसूस होना, पलकों के स्नायु मे दर्द होना जो आंखों से सिर तक पहुंच जाता है आदि आंखों के रोगों के लक्षणों में रोगी को क्राक्कस सैटाइवा औषधि का प्रयोग कराने से लाभ होता है।

नाक से सम्बंधित लक्षण- नकसीर फूटना (नाक से खून बहना), खून गाढ़े रंग का आना, नाक में से रस्सी जैसा लंबा, रेशेदार, गहरे रंग का खून निकलना आदि में क्राक्कस सैटाइवा औषधि का सेवन करने से लाभ होता है।

उदर (पेट) से सम्बंधित लक्षण- पेट में सूजन आना, जिगर की खून पहुंचाने वाली नसों में खून रुक जाने की वजह से कब्ज का रोग हो जाना, मलद्वार में किसी चीज के चुभने जैसा दर्द होना, पेट या आमाशय में कोई जीव सा महसूस होना आदि पेट के रोगों के लक्षणों के आधार पर रोगी को क्राक्कस सैटाइवा औषधि का सेवन कराने से लाभ मिलता है।

स्त्री से सम्बंधित लक्षण- स्त्री के गर्भवती होने से तीसरे महीने तक ऐसा डर लगना कि गर्भपात न हो जाए, खास करके उस हालत में जब खून गहरा और रेशेदार हो, जनेन्द्रियों की तरफ खून का ज्यादा बहाव होना, मासिकधर्म में स्राव बदबूदार, गहरे रंग का और ज्यादा मात्रा में आना, गर्भाशय के ऊपर की झिल्ली में खून थक्केदार, लंबा रेशेदार आना, दाईं तरफ के स्तन में किसी जीवित वस्तु की मौजूदगी महसूस होना आदि स्त्री रोगों के लक्षणों में क्राक्कस सैटाइवा औषधि का सेवन काफी लाभदायक रहता है।

पीठ से सम्बंधित लक्षण- हाथ-पैरों का बर्फ के जैसे ठण्डा सा होना, कमर में बहुत ज्यादा ठण्डक महसूस होना जैसे वहां पर कोई ठण्डा पानी गिर रहा हो आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को क्राक्कस सैटाइवा औषधि देने से आराम मिलता है।

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बंधित लक्षण- शरीर के ऊपर के अंगों का सुन्न हो जाना, नितंबों के जोड़ों और घुटनों में कड़कड़ाहट होना, टांगों और घुटनों में कमजोरी होना, पैरों के तलुवों और घुटनों में दर्द आदि लक्षणों में क्राक्कस सैटाइवा औषधि का प्रयोग लाभदायक रहता है।

वृद्धि-

लेटने से, गर्म मौसम में, गर्म कमरे में, सुबह के समय, उपवास करने से, जलपान करने से पहले, किसी चीज की ओर लगातार देखते रहने से रोग बढ़ जाता है।

शमन-

खुली हवा में रोग कम हो जाता है।

तुलना-

क्राक्कस सैटाइवा औषधि की तुलना इपिका, ट्रिल्लियम, प्लैटीनम, चाइना, सैबाइना, एको, बेल, कल्के-का, चायना, हैमा, इग्ने, काली-बा, मर्क, नैट्रम्यु, फास, सैबी, सीपि,से की जा सकती है।

मात्रा-

क्राक्कस सैटाइवा औषधि का मूलार्क या तीसवीं शक्ति तक रोगी को देने से लाभ मिलता है।

अनुपूरक-

नक्स-वोमिका, पल्स, सल्फ।

क्रियानाशक-

एको, बेल, ओपि।


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