कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम Calcarea Carbonica-Ostrearum

 कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम Calcarea Carbonica-Ostrearum

परिचय-

कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि खांसी, छाती में जगह बदल-बदल होने वाला दर्द, जी मिचलाना, अम्लपित्त और चर्बीदार चीजों को देखकर भूख समाप्त होने वाले रोगों के लिए खासतौर पर लाभदायक है। इसके अलावा ये औषधि हडि्डयों को मजबूत बनाती है, खून को बहने से रोकती है, गले में गांठ के रोगी, जिनको मौसम के जरा सा बदलते ही सर्दी-जुकाम का रोग घेर लेता है, बच्चों का मोटापा बढ़ते जाना, आदि रोगों में भी ये औषधि बहुत अच्छा असर करती है। विभिन्न लक्षणों में कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का उपयोग-

स्त्री से सम्बंधित लक्षण : मासिकस्राव का समय से पहले और बहुत ज्यादा मात्रा में आना, 1-2 दिन स्राव बन्द रहने के बाद फिर से आ जाना, शरीर में या दिमाग में जरा सी भी उत्तेजना होते ही मासिकस्राव का आ जाना, योनि में पेशाब की नली में जलन होना, छोटी बच्चियों को होने वाला प्रदरस्राव, योनि के मुंह पर सूजन और जलन होने के साथ मवाद भरा स्राव होना जैसे लक्षणों के आधार पर कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम का सेवन करना लाभकारी रहता है।

बच्चों से सम्बंधित लक्षण : बच्चों के दांत देरी से निकलना और दांत निकलते समय परेशानी होना, रात को सोते समय दांतों का पीसना, बच्चों की हडि्डयों का टेढ़ा-मेढ़ा हो जाना, हडि्डयों के कमजोर हो जाने के कारण देरी से चलना बच्चों को दूध हजम न होना, आदि बच्चों के रोगों के लक्षणों में कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

आमाशय से सम्बंधित लक्षण : भोजन पचाने की क्रिया में अम्लता आना, खट्टी डकारें आना, उल्टी होना, दस्त आना, मन में खड़िया, मिट्टी, चूना, स्लेटी, पेंसिल आदि खाने का मन करना, मांस और दूध को देखते ही जी का खराब हो जाना आदि आमाशय के रोगों के लक्षणों के आधार पर रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।

शरीर बाहरी अंग से सम्बंधित लक्षण : पूरे शरीर में से खट्टी सी गंध आना, शरीर के अंगों के किसी एक भाग जैसे गर्दन, सिर, छाती, जननेन्द्रिय, हाथ-पैर, घुटने आदि पर पसीना आना, ठण्डा पसीना आना, पैरों के तलवों में दरार पड़ जाना, पैरों के पंजों का बिल्कुल गीला रहना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि देने से आराम मिलता है।

मल से सम्बंधित लक्षण : मलक्रिया के दौरान परेशानी होना, मल का सख्त होना, पानी जैसे पतले, हरे रंग के, बदबूदार दस्त होना, पुराना दस्त का रोग, मिट्टी जैसे दस्त होना आदि लक्षणों के किसी व्यक्ति में नज़र आने पर उसे तुरन्त ही कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।

आंखों से सम्बंधित लक्षण : आंखों की पुतलियों का फैल जाना, आंखों में से हर समय आंसू से निकलते रहना, रोशनी में आते ही आंखों का बन्द हो जाना, आंखों से धुंधला सा दिखाई देना, आंखों में जख्म सा होना, पलकों में सूजन आना, आंखों के सफेद भाग मे कंठमाला धातु के कारण जलन होना जिसमे पीब भरे दाने हो जाते है आदि लक्षणों में रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का सेवन कराने से लाभ होता है।

सिर से सम्बंधित लक्षण : सिर को उठाने या घुमाने से चक्कर आना, सिर के अलग-अलग भागों में बाहरी अथवा अन्दर के भाग में ठण्डक सी महसूस होना, सिर में खुजली होना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि का प्रयोग कराने से लाभ होता है।

मन से सम्बंधित लक्षण : दिमाग में हर समय अजीब सा डर लगा रहना, शाम के समय बैचेनी सी बढ़ने लगना, घबराहट सी महसूस होना, हाथ-पैरों का कांपना, हर समय अकेले में उदास सा बैठे रहना, रात को सोते समय धड़कन का तेज हो जाना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि देने से लाभ मिलता है।

गुर्दा से सम्बंधित लक्षण : बचपन से जवानी में कदम रखने वाले व्यक्तियों को होने वाले गुर्दे के रोग, गुर्दे के आधे हिस्से में किसी रोग का हो जाना, गुर्दे के ऊपर के एक तिहाई भाग में किसी तरह का रोग हो जाना आदि लक्षणों में रोगी को कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि प्रयोग कराने से आराम आता है।

वृद्धि-

सुबह के समय जागने पर, दिमागी मेहनत करने से, भीग जाने से, सिर के गीले होने से, भोजन करने के बाद, व्रत रखने पर, शाम के समय, आधी रात के बाद, ठण्डे पसीने से, पूर्णमासी के समय रोग बढ़ जाता है।

शमन-

, हाथ-पैरों को खींचने से, पीठ के बल लेटने से, अंधेरे में, सूखे मौसम में रोग कम हो जाता है।

तुलना-

कल्केरिया कार्बोनिका-ओस्टरियेरम की तुलना बेल, कल्के-स, चायना, डलक, फेरम, ग्रेफा, हिपर, काली-का, लायको, नैट्र-स, सीपि और थूजा से की जा सकती है।

मात्रा-

लक्षणों के आधार पर कल्केरिया-कार्बोनिका-ओस्टरियेरम औषधि की तीसरी शक्ति का विचूर्ण देने से लाभ मिलता है।


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