ब्रायोनिया एल्ब - BRAYONIYA ALBA

 ब्रायोनिया एल्ब BRAYONIYA ALBA 

परिचय-

परिचय :

ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग शरीर में उत्पन्न होने वाले अनेक प्रकार के लक्षणों में किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग व्यक्ति के चेहरे पर उदासी तथा चिड़चिड़ापन आदि को दूर करने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त वात रोग, गर्मी के मौसम में शरीर में सूखापन, ठण्डी हवा में निकलने तथा नमी वाले मौसम में निकलने से उत्पन्न होने वाले अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों से संबन्धित लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग अत्यन्त लाभकारी है।

शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न लक्षणों के आधार पर ब्रायोनिया एल्ब औषधि का उपयोग :-

1. सिर से संबन्धित लक्षण :

यदि किसी रोगी के सिर में तेज दर्द होता है, शरीर में कफ की मात्रा अधिक बढ़ गई हो तथा सूखी खांसी के साथ दर्द होता हो तो ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें।

यदि रोगी में ऐसे लक्षण उत्पन्न हो जिसमें रोगी को झुकने पर, गर्मी के मौसम में, खांसी आने पर तथा किसी प्रकार की शारीरिक हलचल होने पर सिर दर्द और तेज हो जाता है तो ऐसे में रोगी को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन करना चाहिए। यदि सिर में चक्कर आने साथ ही जी मिचलाना व बेहोशी का अनुभव हो तो ऐसे लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें। यदि सिर में ऐसे लक्षण पैदा हो जिसमें आग के पास बैठने या हाथों से कोई कार्य करने पर सिर दर्द होता है तो रोगी को ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन करें। रोगी को अपने सिर फाड़ने जैसा दर्द महसूस होता रहता है। आंखें खोलने या बंद करने पर भी दर्द बढ़ जाता है तो ऐसे लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करें। यह सिर रोग के सभी लक्षणों में दूर करने में लाभकारी औषधि है। सिर में खून जमने से होने वाले सिर दर्द होने पर ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करें।

2. मिचलने व उल्टी से संबन्धित लक्षण :

पानी या अन्य पेय पदार्थ पीते समय जी मिचलाने व सिर चकराने के साथ रोगी को सीधा बैठने में परेशानी होना आदि रोगों में ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करें। खट्टी डकार के साथ कड़वी उल्टी होना। खाने के तुरन्त बाद उल्टी होना। पेट के निचले भाग में दबाव महसूस होना। अधिक डकारें आना जिसके कारण रोग में आराम मिलता हो तो ऐसे में रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का सेवन कराने से रोग में लाभ मिलता है।

रोगी को प्यास अधिक लगती है, फिर भी रोगी पानी बार-बार नहीं पीता और जब पानी पीता है तो एक बार में एक गिलास पी लेता है। ऐसे लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करने से प्यास का अधिक लगना दूर होता है। 

3. मुंह से संबन्धित लक्षण :

जीभ सूख जाने के साथ जीभ का पीला होना। होठों का सूख जाना आदि मुंह के रोगों में ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग लाभकारी होता है। इस औषधि का प्रयोग मुंह सूख जाने और अधिक प्यास लगने पर भी किया जाता है। यह औषधि मुंह का सूखापन और अधिक प्यास को दूर करती है।

4. आमाशय से संबन्धित लक्षण :

यदि आमाशय की थैली में चोट लगने जैसा दबाव महसूस हो तथा डकारें लेने पर दर्द से आराम मिलता हो तो आमाशय से संबन्धित ऐसे लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें। आंत की ऊपरी झिल्ली में जलन और डंक मारने जैसा दर्द अनुभव होने पर ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करने से लाभ होता है।

5. स्त्री रोग से संबन्धित लक्षण :

मासिक धर्म समय से पहले आना तथा मासिक धर्म के साथ-साथ नाक से भी खून बहने पर ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है। कालिमायुक्त पानी सा प्रदरस्राव आने पर ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है। कभी-कभी स्त्रियों में मासिक धर्म के समय मासिक धर्म न आकर नाक से खून निकलने लगता है। ऐसे मासिक धर्म संबन्धी परेशानी में ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करने से मासिक धर्म की परेशानी दूर होती है। मासिक धर्म बंद हो जाने पर ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन करने से मासिक धर्म समय से तथा उचित मात्रा में आना शुरू हो जाती है। मासिक धर्म के समय पैरों में चीरने-फाड़ने जैसी पीड़ा होना जो शारीरिक हरकत होने पर और बढ़ जाता है। प्रसूतिका स्राव का दब जाने पर स्राव को शुरू करने के लिए ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन करें।

यदि किसी स्त्री के स्तन भारी होने के साथ स्तन कठोर व पीले रंग का हो गये हो तथा स्तनों को छूने से गर्मी महसूस होने के साथ उसमें दर्द होता हो तो स्तनों में उत्पन्न होने वाले ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए ब्रायोनिया एल्ब औषधि लाभकारी है। दूध पिलाने वाली स्त्री का दूध दब जाने से स्त्री में बुखार आ जाता है जैसे लक्षण में भी इस औषधि का प्रयोग किया जाता है।

6. त्वचा से संबन्धित लक्षण :

त्वचा पर तेलिय, चिपचिपा तथा खट्टा पसीना आना आदि त्वचा रोगों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें।

7. जिगर से संबन्धित लक्षण :

यदि जिगर में जलन तथा डंक मारने जैसा दर्द होता हो जो हल्के से शारीरिक हरकत होने पर और बढ़ जाता है तो ऐसे लक्षणों में रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करना चाहिए। जिगर प्रदेश में कातर करने वाले तथा जलन भरे दर्द होने पर और जिगर बढ़ जाना तथा जिगर में दर्द होने पर रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का सेवन कराएं।

8. छाती से संबन्धित लक्षण :

छाती में दबावयुक्त दर्द होना। तरल संचय के कारण फुफ्फुस आवरक की झिल्ली की जलन। फुफ्फुस आवरक झिल्ली के संक्रमण विशेषकर काली खांसी के कारण रिसाव होना आदि लक्षण उत्पन्न होने पर रोगी को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें।

9. बुखार से संबन्धित लक्षण :

टाइफायड ज्वर में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करने से टाइफायड ज्वर ठीक होता है। रोग में रुक-रुक कर आने वाले बुखार, इस बुखार में रोगी को पहले अपने होठों, उंगुलियों व अंगूठे पर ठण्डक महसूस होती है और बुखार उत्पन्न होता है। इस तरह के लक्षणों वाले बुखार को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें। इससे बुखार में जल्द आराम मिलता है।

10. जोड़ों से संबन्धित लक्षण :

जोड़ों का दर्द जो छूने या शरीर की अन्य हलचल से बढ़ जाता है तथा दर्द वाले स्थान पर पीले रंग की सूजन आ जाती है। शरीर में खिंचाव के साथ वात दर्द होना तथा जोड़ों में कड़ापन आ जाना आदि जोड़ों के लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग लाभकारी माना गया है। जोड़ों, मांसपेशियों और शरीर के अन्दरूनी अंगों में चुनचुनाहट या झनझनाहट और डंक मारने की तरह दर्द उत्पन्न होने पर इस औषधि का प्रयोग करें। इस औषधि के प्रयोग से अंगों में होने वाली जलन आदि भी दूर होती है। इसके अतिरिक्त हड्डियों में कुचलन जैसे दर्दो में भी इस औषधि का प्रयोग किये जाते हैं।

11. चेहरे से संबन्धित लक्षण :

चेहरा नीला पड़ जाना आदि रोगों में इस औषधि के प्रयोग से विशेष लाभ मिलता है।

12. मन से संबन्धित लक्षण :

रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ापन होने के साथ अधिक गुस्सा आना आदि मानसिक लक्षणों से पीड़ित रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का सेवन कराएं। इससे गुस्सा शांत होने के साथ रोगी में सहनशीलता आती है। यदि रोगी में अधिक दु:ख की भावना रहती है तथा रोगी अपने मन में किसी तरह के दु:खों को दबाकर रखता है जिसके कारण शारीरिक रूप वह बीमार पड़ता हो तो लक्षणों में रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करना चाहिए। मानसिक रोग के कारण रोगी के मन में ऐसी वस्तुओं को पाने की इच्छा होती रहती है जिसे वह पा नहीं सकता और जब उस रोगी को उसकी मन पसन्द वस्तु दी जाती है तो वह उस वस्तु को लेने से इंकार कर देता है। रोगी को अपनी इच्छाओं का वास्तविक ज्ञान न होने के कारण ही रोगी में ऐसे स्वभाव पैदा होता है। अत: रोगी में उत्पन्न ऐसे लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब का सेवन कराएं। इससे रोगी का स्वभाव परिवर्तन होता है और रोगी को अपनी इच्छाओं के बारे में फैसला करने की शक्ति उत्पन्न होती है।

रोगी में ऐसी भावना पैदा होना मानो वह गुम हो गया है और अपने घर जाने की इच्छा करता है। रोगी बच्चों को गोद में लेना या घुमाना पसन्द नहीं करता तथा रोगी में हमेशा चिड़चिड़ापन रहता है। इस तरह के मानसिक रोगी को ब्रायोनिया एल्ब दें। इसकी औषधि के प्रयोग से अधिक गुस्सा का आना कम होता है।

13. मल से संबन्धित लक्षण :

दस्त अधिक आने पर ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग लाभकारी है। गर्मी के कारण यदि दस्त अधिक लगता हो और गुदाद्वार में दस्त के समय दर्द हो रहा हो तो ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करने से दस्त के समय उत्पन्न होने वाले दर्द में आराम मिलता है। यदि मल के साथ अपचा हुआ खाद्य पदार्थ निकलता है, पेट में दर्द रहता है, मल रुक गया है, कब्ज की शिकायतें रहती हो और पेट में दर्द हो भी रहा हो तो ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी को ठीक करने के लिए ब्रायोनिया एल्ब का प्रयोग करें।

अधिक गर्मी अथवा लू लगने पर, ठण्डा पानी या अन्य पदार्थ पीने से दस्त लगता हो या खट्टे फल या अन्य पदार्थों को खाने से दस्त लगते हो तो रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का सेवन कराएं। यदि रोगी को सुबह के समय हल्का सा शारीरिक हलचल होने पर दस्त लग जाता है तो रोगी को यह औषधि देना लाभकारी होता है। गंदा पानी पीने या अंडी का तेल पीने से दस्त लगता हो तो भी रोगी को ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन करना चाहिए। 

सावधानी : ब्रायोनिया एल्बा औषधि मुख्य रूप से दस्त को रोकने वाली औषधि है। इसलिए इस औषधि का प्रयोग अधिक दस्त लगने पर ही देना लाभकारी होता है।

14. मूत्र से संबन्धित लक्षण :

पेशाब कम मात्रा में आना साथ ही पेशाब का रंग लाल और गर्म होना आदि लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करें।

15. आंखों से संबन्धित लक्षण :

आंखों में अधिक दर्द होने के साथ आंखें बाहर निकलने जैसा अनुभव होना आदि रोग में रोगी को ब्रायोनिया एल्ब का सेवन कराएं।

16. सांस संस्थान से संबन्धित लक्षण :

रोगी को सांस लेने में परेशानी तथा सांस का रुक-रुककर आना सांस रोग में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।

17. खांसी से संबन्धित लक्षण :

यदि किसी रोगी को सूखी खांसी के साथ ऐंठन वाला दर्द व उल्टी होने के साथ सांस लेने में कठिनाई होती है तो रोगी को ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करना चाहिए। पीठ में चुभनयुक्त तेज दर्द होना। तेज सिर दर्द। खाने-पीने और बंद कमरे में रहने पर दर्द में आराम मिलना। गहरी सांस लेने पर दर्द का और बढ़ जाना आदि खांसी रोग के लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है।

रोगी व्यक्ति में उत्पन्न होने वाली ऐसी खांसी जिसमें खांसने पर कुछ भी नहीं निकलता, गीली खांसी में खांसने पर कफ बाहर आता है तथा कठोर खांसी जिसमें रोगी को अपने गले में कुछ फंसा हुआ महसूस होता है परन्तु खांसने पर बाहर नहीं निकलता है। खांसी में उत्पन्न होने वाले ऐसे लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। कभी-कभी खांसी के साथ खून की उल्टी। खांसी के साथ खून के छींटे आना आदि खांसी रोग के लक्षणों में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

तुलना :

ब्रायोनिया एल्ब औषधि की तुलना एपिस, बेल, हिपर, काली-का, मर्क, फास, पल्स, रैन-बल्ब, सीपि, अल्फाल्फा से की जाती है।

संबन्ध :

ब्रायोनिया एल्ब औषधि की तुलना एल्यूमिना और रस-टाक्स से की जाती है।

वृद्धि :

शरीर को स्थिर रखने तथा रोग ग्रस्त भाग की ओर करवट लेकर सोने से रोग बढ़ता है। सिर को झुकाने, खांसने तथा आंखों को घुमाने-फिराने तथा गर्मी के कारण भी रोग बढ़ता है।

शमन :

शरीर हिलाने-डुलाने तथा अचानक मौसम परिवर्तन के कारण सर्दी से गर्मी महसूस होने पर रोग कम होता है। जागने बेहोशी-मितली, लेटने पर रोग में आराम मिलता है।

ब्रायोनिया एल्ब औषधि के कुछ मुख्य लक्षण :

ब्रायोनिया एल्ब औषधि के सेवन करने वाले रोगी में कभी-कभी ऐसे भी लक्षण उत्पन्न होते है मानो सिर फटा जा रहा है। मासिक धर्म के समय नाक से खून निगलना तथा थूंकने पर खून आना।

स्तनों में जलन, स्तनों का रंग पीला होना तथा स्तनों में कठोरता उत्पन्न करता है। प्रसव के बाद खून का स्राव रुक जाना।

ब्रायोनिया एल्बा औषधि के कुछ अन्य लक्षण भी है जैसे- स्तनों का दूध सूख जाना, मासिक धर्म की परेशानी, चेचक का दब जाना या निकलना आदि।

बार-बार लम्बी सांस भरने की इच्छा, फेफड़े का फैलना जरूरी है।

सूखी खांसी भोजन के बाद बढ़ जाती है तथा कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है। घूमने-फिरने, खुली हवा में तथा गर्म घर में आने पर रोग बढ़ता है।

खांसने पर छाती और माथे में जोर का धक्का सा लगने पर तथा रोगी में लड़खड़ाहट आ जाती है।


औषधि की कुछ मुख्य बातें :

ब्रायोनिया एल्ब औषधि और पल्सटिला औषधि दोनों के लक्षण समान होते हैं। यदि किसी रोगी का रोग शरीर हिलने-डुलने पर बढ़ जाता है तो रोगी को ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन करना चाहिए।

रोगी के शरीर में ब्रायोनिया एल्ब औषधि की कमी से जोड़ों में लाली व सूजन आ जाती है तथा जोड़ों वाला स्थान इतना कठोर हो जाता है कि हिलने-डुलने से उस स्थान पर सुई के समान चुभनयुक्त दर्द होने लगता है।

शरीर में उत्पन्न होने वाले किसी भी रोग में यदि रोगी को चुपचाप सोते रहने पर आराम महसूस होता है और हल्का सा शारीरिक हलचल होने पर रोग बढ़ जाता है तो रोग के ऐसी स्थिति में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग करना चाहिए। रोग में एक बार औषधि के प्रयोग करने के बाद दूसरी बार रोगी को तभी औषधि देनी चाहिए जब रोगी में रोग के विपरीत लक्षण पैदा हो।

ब्रायोनिया एल्ब औषधि के सेवन से रोगी के शरीर में एक विशेष प्रकार की प्रतिक्रिया होती है जिसके कारण रोगग्रस्त वाले स्थान पर दबाव देने से रोग में आराम मिलता है। इस औषधि के सेवन करने वाले व्यक्ति अधिकतर रोगग्रस्त वाले करवट लेटकर ही सोता है क्योंकि इससे रोग में आराम मिलता है। 

पल्सटिला और ब्रायोनियां दोनों ही औषधि श्लैष्मिक झिल्लियों पर समान रूप से कार्य करती है परन्तु कभी-कभी रोगों के आधार पर इन औषधि के लक्षणों में अन्तर भी आ सकता है। ब्रायोनिया एल्ब औषधि में सूखापन उत्पन्न करने की शक्ति होती है तथा खून के बहाव को कम करने की भी शक्ति होती है। ब्रायोनिया एल्ब औषधि के सेवन करने वाले व्यक्ति में यह औषधि अपनी प्रतिक्रिया पहले रोगी के होठों पर खुश्की पैदा करके सभी श्लैष्मिक झिल्लियों को प्रभावित करते हुए मलाशय तक पहुंच जाती है। इस औषधि के प्रयोग से मल प्रभावित होता है और पाचन तंत्र में सूखापन आ जाता है जिसके कारण रोगी को प्यास अधिक लगती है और रोगी अधिक पानी पीता है।

ब्रायोनिया एल्ब औषधि में सूखेपन के लक्षण होने के कारण फेफड़े व सांस नली पर भी प्रभाव पड़ता है जिसके कारण रोगी में सूखी खांसी तथा कम मात्रा में बलगम आती है। रोगी जब खांसता है तो उसके छाती में दर्द होता है जो छाती छूने से और बढ़ जाता है। ब्रायोनिया एल्ब औषधि के सेवन से रोगी व्यक्ति में पेशाब की मात्रा कम हो जाती है।

वास्तव में होमियोपैथिक की सभी औषधियों में दोहरी प्रतिक्रिया करने के गुण होते हैं। यदि किसी औषधि में नींद लाने या बेहोशी पैदा करने की शक्ति होती है तो उसका एक अन्य प्रतिक्रिया के दौरान यह नींद को समाप्त भी कर देती है। इसलिए किसी भी औषधि का प्रयोग रोगों और औषधि के गुण व लक्षणों को जान लेने के बाद ही करनी चाहिए। औषधि के प्रयोग करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए विशेष तौर पर जब औषधि का पहली खुराक रोगी को दिया जा चुका हो तो रोगी को दुबारा औषधि देते समय रोग के पहले वाले लक्षण और वर्तमान समय में रोग के लक्षणों को मिलकार ही औषधि का सेवन कराएं। इस तरह रोगों के लक्षणों को सही तरह से जानकर औषधि का प्रयोग कराने से रोग पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं।

स्नेहिक झिल्लियों पर ब्रायोनिया एल्ब औषधि का असर साफ रूप से देखा जा सकता है। चिकना स्राव होने पर जलन की दूसरी अवस्था में यह दवा अधिक लाभकारी होती है। इसकी पहली अवस्था में रोगी में एकोनाइट, बेलाडोना, फेरमफास आदि औषधियों के लक्षणों की तरह ही लक्षण उत्पन्न होते हैं।

जिस तरह ब्रायोनिया एल्ब औषधि में चुभन जैसा दर्द उत्पन्न करने के लक्षण मौजूद होते हैं, उसी तरह स्नेहिक झिल्लियों की जलन में चुभन जैसा दर्द होता है। अत: ऐसे में ब्रायोनिया एल्ब औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है। इसके अतिरिक्त ब्रायोनिया एल्ब औषधि फुफ्फसवेटस्ट की जलन, मस्तिश्क की झिल्ली की जलन, आन्तों की जलन और हृदय की जलन में भी लाभकारी माना गया है। 

ब्रायोनिया एल्ब के अतिरिक्त नक्स वोमिका तथा पल्सटिला का प्रयोग पाचन क्रिया को ठीक करने के लिए किया जाता है। परन्तु इन तीनों औषधियों के सेवन से रोगी को ऐसा महसूस होता है मानो पेट में पत्थर आ गया हो। पेट में पत्थर का अनुभव अधिकतर ब्रायोनिया और नक्स वोमिका में पायी जाती है। 

यदि किसी व्यक्ति को प्यास अधिक लगती हो तो उसे ब्रायोनिया एल्ब औषधि का सेवन कराना चाहिए और प्यास कम लगने पर नक्स वोमिका औषधि का सेवन कराएं। परन्तु यदि प्यास बहुत अधिक हो या फिर प्यास बिल्कुल ही न लग रही हो तो रोगी को पल्सटिला औषधि का सेवन कराएं। 

ब्रायोनिया एल्ब औषधि और पल्सटिला का स्वाद कडवीं होती है जबकि नक्स वोमिका औषधि स्वाद में खट्टी होती है तथा इन तीनों औषधियों में जी मिचलाना व उल्टी के लक्षण मौजूद होते हैं।

नक्स वोमिका औषधि के सेवन से जी मिचलाना व उल्टी भोजन करने के बाद बढ़ जाती है तथा पल्सटिला के सेवन से मुंह में कडुवापन के साथ जी मिचलाना व उल्टी की इच्छा शाम के समय होता है।

किसी रोग में ब्रायोनिया एल्ब औषधि प्रयोग करने के बाद इस औषधि के कुछ लक्षण बहुत समय बाद प्रकट होते हैं जैसे- भोजन खराब होने के कारण तथा सर्दियों के बाद गर्मी का मौसम आने पर अचानक पेट खराब हो जाना।

नक्स वोमिका का सेवन करने वाले व्यक्ति में इस औषधि के कुछ लक्षण तब उत्पन्न होते हैं जब रोगी में पेट से संबन्धित परेशानी गड़गड़ाहट, अधिक भोजन करने, व्यायाम न करने, अधिक दवाओं का सेवन करने तथा मादक पदार्थो के सेवन करने से होता है।

पल्सटिला के कुछ लक्षण अधिक मसालेदार, तले हुए पदार्थ के सेवन करने, चर्बीयुक्त पदार्थों, कुल्फी व बर्फ आदि सेवन करने के कारण उत्पन्न होता है। पल्सटिला के सेवन करने वाले रोगी को कम मात्रा में बर्फ सेवन कराने से आराम मिलता है। परन्तु अधिक मात्रा में सेवन करने से हानिकारक होता है।

ब्रायोनिया एल्ब, ब्रायोनिया और नक्स वोमिका औषधि में मुख्य रूप से पतले दस्त लाने के लक्षण मौजूद होते हैं। परन्तु ब्रायोनिया एल्ब और नक्स वोमिका में कब्ज पैदा करने के भी लक्षण होते हैं।

ब्रायोनिया औषधि के सेवन करने वाले रोगी में सुबह शरीर में अधिक हलचल होने या गर्मियों में अधिक खा लेने से पतले दस्त जैसे लक्षण उत्पन्न होता है।

पल्सटिला औषधि की क्रिया बदल जाने पर रात के समय दस्त बार-बार लगता है। पेट में गड़गड़ाहट की आवाज आती रहती है।

रोगी की जीभ का रंग सफेद या जीभ मैली रहती है। ब्रायोनिया एल्ब और नक्स वोमिका दोनों ही औषधि सामान्यता रखती है। परन्तु ब्रायोनिया एल्ब में वात का लक्षण तेज होता है तथा इसके सेवन करने वाले व्यक्ति में उत्तेजना और क्रोध बढ़ता है।


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