परिचय-
अरेलिया रेसीमोसा औषधि का प्रयोग दमा रोग होने पर उन अवस्थाओं में किया जाता है जिनमें रोगी को लेटने से खांसी बढ़ती, सोते समय पसीना अधिक निकलता है, सारा शरीर भीगा रहता है, रोगी जरा भी हवा बर्दाश्त नहीं करता है, अतिसार हो जाता है, रोगी अपने शरीर को जिस तरफ करके लेटता है उस भाग में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग करना चाहिए।
विभिन्न लक्षणों में अरेलिया रेसीमोसा औषधि का उपयोग-
श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को रात के समय में पहली नींद के बाद सूखी खांसी होती है, लेटने पर दमा का दौरा तेज हो जाता है तथा इसके साथ ही सूखी खांसी होने लगती है, रोगी को पहली नींद लेने के बाद रोग का प्रकोप और तेज हो जाता है और गले के अन्दर गुदगुदी, छाती में सिकुड़न होने लगती है, रोगी को सांस लेने में बहुत अधिक परेशानी होती है। कभी-कभी रोगी को छींकें आने लगती है, साथ ही नाक से कुछ मात्रा में पानी जैसा दूषित तरल पदार्थ निकलता है जिसका स्वाद नमकीन होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए अरेलिया रेसीमोसा औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- स्त्रियों का मासिकधर्म बंद होने के साथ रोगी के योनि से सफेद पानी निकलने लगता है तथा तेज दर्द होता है और इसके साथ ही स्त्री के बच्चेदानी की तरफ दर्द होता है, जब यह स्राव होना बंद हो जाता है तो रोगी स्त्री का पेट फूलने लग जाता है। रोगी स्त्री के इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए अरेलिया रेसीमोसा औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
रात को 11 बजे के बाद रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
दमा रोग होने के साथ ही तेज और कष्टदायक सांस लेने की स्थिति हो तथा दाईं ओर की छाती में सिकुड़न हो रही हो तो इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए अरेलिया रेसीमोसा औषधि का प्रयोग करते हैं लेकिन इस स्थिति में स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए अरेलिया रेसीमोसा औषधि का प्रयोग करना चाहिए। अत:पेक्टन-स्कैला औषधि के कुछ गुणों की तुलना अरेलिया रेसीमोसा औषधि से कर सकते हैं।
मात्रा (डोज) :-
अरेलिया रेसीमोसा औषधि की मूलार्क से तीसरी शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।
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