एनाकार्डियम ओरियन्टे Anacardium Orientale

 एनाकार्डियम ओरियन्टे anacardium orientale

परिचय-

एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि एक बहुत ही उपयोगी और मूल्यवान औषधि है। रोगी को भूख अधिक तेज लगती है जिसके कारण रोगी खाना तथा पानी को जल्दी-जल्दी निगलता है और खाता है। रोगी जब खाली पेट रहता है तो उसके पेट में तेज दर्द होता है और कुछ भोजन कर लेने पर रोगी को दर्द से राहत मिल जाती है। लेकिन खून की उल्टी होने पर उस समय राहत मिलती है जब पाचन क्रिया पूरी हो जाती है। भोजन के दो तीन घंटे बाद पेट का दर्द बहुत बढ़ जाता है और उस समय तक यह दर्द बना रहता है जब तक पाचन क्रिया पूरी नहीं होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग लाभदायक है। रसटक्स के प्रयोग से उत्पन्न विष (जहर) को नष्ट करने के लिए भी एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का उपयोग करना चाहिए।

विभिन्न लक्षणों में एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का उपयोग-

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- पेट खाली रहने के समय में पेट में दर्द होना तथा कुछ भोजन कर लेने के बाद दर्द कम हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

मल से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बार-बार शौच (मलत्याग) करने की इच्छा होती है, लेकिन मलत्याग करने पर मल ठीक से नहीं होता है, मलान्त्र की क्रिया पूरी शक्ति से न होने के कारण या मलान्त्र का भाग लकवा से प्रभावित हो जाने के कारण इस प्रकार की अवस्था उत्पन्न होती है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि गुदाद्वार में कोई लकड़ी जैसी चीज या गोला अटका गया है। लेकिन जब भी वह मलत्याग करने के लिए बैठता है, तो उसको कब्ज की समस्या होने के कारण मलत्याग सही से नहीं होता है और इस प्रकार के लक्षणों के साथ ही रोगी की स्मरण शक्ति कम हो गई हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। 

स्मरण शक्ति से सम्बन्धित लक्षण :-रोगी की स्मरण शक्ति कम हो जाती है, वह हर बात में कसम खाता है और छोटी-छोटी बातों में लोगों को समझाने लगता है। मन में तरह-तरह की बातें आती रहती हैं। रोगी की इच्छा एक काम करने को होती है तो दूसरी इच्छा उस काम को न करने की होती है। शरीर के कई अंगों में ऐसा दर्द होता है जैसे कि किसी ने लकड़ी से चोट मार दी हो। रोगी अपने आस-पास की हर वस्तुओं को सन्देह की दृष्टि से देखता है, वह जब चलता है तो उसे अधिक परेशानी होती है, उसकी सारी इन्द्रियों में एक प्रकार की कमजोरी महसूस होती है तथा चलने के समय उसे ऐसा लगता है जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का उपयोग लाभकारी है।

बूढ़े व्यक्ति से सम्बन्धित लक्षण :- ऐसे बूढ़े व्यक्ति जिनका स्वास्थ्य टूट गया हो और स्वास्थ्य टूटने के कारण जिनकी स्मरण शक्ति नष्ट हो गई हो तो ऐसे रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के मन में यह धारणा होती है कि वह एक नहीं दो है। उसके शरीर में दो आत्मायें है, एक आदेश देती है तो दूसरी उसका विरोध करती है। रोगी सोचता है कि उसका शरीर और आत्मा अलग-अलग हैं और रोगी अपने ऊपर दो आत्माओं का अधिकार समझता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी लक्षणों को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

शरीर के विभिन्न अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के कई अंगों में कुछ गुल्टियां महसूस होती है और शरीर का वह अंग कड़ा हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

लकवा से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर की मांसपेशियों में लकवा रोग का प्रभाव हो जाता है जिसके कारण ज्यादातर घुटनों में लकवा मार जाता है, कभी-कभी ऐसा महसूस होता है जैसे कि घुटने पर कसकर पट्टी बंधी हुई है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि का उपयोग करना चाहिए।

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-

किसी करवट लेटने से, रगड़ने से, किसी चीज को पकड़कर रखने से, भूखा रहने से, मानसिक परिश्रम करने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन- ह्रास) :-

भोजन करते समय रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

कैंथ, रैन-ब, रस-टा और सल्फर औषधियों के कुछ गुणों की तुलना एनाकार्डियम ओरयिन्टेल औषधि से कर सकते हैं।


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