सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम Solanum Lycopersicum-Lycopersicum Esculentum
परिचय-
सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि गठिया के रोग और इंफ्लुएंजा के बाद होने वाली परेशानियों में बहुत लाभकारी सिद्ध होती है। विभिन्न रोगों के लक्षणों में सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि का उपयोग-
सिर से सम्बंधित लक्षण- रोगी के सिर मे सिर के फटने जैसा दर्द होना जो सिर की पीछे के हिस्से से शुरु होकर पूरे सिर में फैल जाती है, सिर के दर्द के बंद हो जाने के बाद पूरे सिर और उसकी त्वचा में इस तरह का दर्द जैसे कि वो छिल गई हो आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि देना उपयोगी साबित होता है।
आंखों से सम्बंधित लक्षण- रोगी को अपनी आंखें भर्राई हुई सी लगना, रोगी की आंखों की पुतलियों का भारी होना और सिकुड़ जाना, आंखों और उसके चारों तरफ दर्द सा होना, आंखों का बिल्कुल काम न करना, रोगी को नेत्रगोलक सिकुड़े हुए से लगते है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि देने से बहुत ज्यादा लाभ मिलता है।
नाक से सम्बंधित लक्षण- रोगी को सर्दी-जुकाम हो जाने के कारण नाक से बहुत ज्यादा मात्रा में स्राव का आना जो गले में पहुंच जाता है, नाक के आगे के भाग में खुजली होना जो हल्की सी धूल के नाक में जाने से ओर तेज हो जाती है और घर के अंदर रहने से कम हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि देना लाभकारी सिद्ध होता है।
सांस से सम्बंधित लक्षण- रोगी की आवाज का खराब हो जाना, रोगी की छाती में ऐसा दर्द जो सिर तक पहुंच जाता है, रोगी के गले में खराश जिसके कारण रोगी को बार-बार अपना गला साफ करने का मन करता है, छाती में रुकावट सी महसूस होना, रोगी को रात के समय बार-बार उठने वाली खांसी जिसके कारण रोगी रात को सो भी नही पाता आदि लक्षणों में रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि देने से रोगी को लाभ मिलता है।
मूत्र (पेशाब) से सम्बंधित लक्षण- रोगी को बार-बार पेशाब आने के कारण रात को कई बार उठकर पेशाब करने जाना पड़ता है, खुली हवा में रोगी का पेशाब लगातार बूंद-बूंद करके टपकता रहता है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि का प्रयोग कराना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
शरीर के बाहरी अंग से सम्बंधित लक्षण- रोगी के कमर के भाग में हल्के-हल्के रूप में होने वाला दर्द, रोगी की पूरी पीठ में दर्द होना, रोगी के दाएं कंधे की त्रिकोणपेशी और छाती की पेशी में बहुत तेज दर्द होना, रोगी की दाईं बांह के बीच की गहराई में दर्द, रोगी के दाईं कोहनी और कलाई तथा दोनो हाथों में गठिया का दर्द, रोगी की जननेन्द्रियों में बहुत तेज दर्द, जांघ में दाईं तरफ का स्नायु का दर्द आदि लक्षणों के आधार पर सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि का सेवन काफी प्रभावशाली रहता है।
दिल से सम्बंधित लक्षण- रोगी की नाड़ी का धीरे-धीरे चलने से रोगी को हर समय डर लगा रहता है और मन में अजीब-अजीब से ख्याल आते है कि कहीं उसे कुछ हो ना जाए। इस तरह के लक्षणों में रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि देने से रोगी कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाता है।
वृद्धि-
दाएं भाग में, खुली हवा में, लगातार चलते रहने से, ज्यादा शोर-शराबे से रोग बढ़ जाता है।
शमन-
गर्म कमरे में और तंबाकू का सेवन करने से रोगी का रोग कम हो जाता है।
तुलना-
सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि की तुलना बेलाडोना, यूपाटो-पर्फो, रस-टा, सैंग्वी और कैप्सि से की जा सकती है।
मात्रा-
रोगी को सेलेनम लाइकोपर्सिकम-लाइकोपर्सिकम एस्कुलेण्टम औषधि की 3x से 30 शक्ति तक देने से रोगी कुछ ही दिनों में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है।
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