एकिनेसिया-रुबेक्किया (पर्पल कोन- फ्लावर) ECHINACEA-RUDBECKIA (Echinacea-Rudbeckia)

 एकिनेसिया-रुबेक्किया (पर्पल कोन- फ्लावर) ECHINACEA-RUDBECKIA (Echinacea-Rudbeckia) 

परिचय-

एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि अनेक प्रकार के रोगों को ठीक करने में लाभकारी मानी गई है परन्तु यह औषधि खून के बहाव (रक्त स्राव) को रोकने में विशेष रूप से लाभकारी है। यह औषधि सांस नली की परेशानी, खून में उत्पन्न दूषित द्रव्य तथा जीवविषरक्तता के मुख्य लक्षण को समाप्त कर उससे संबन्धित रोगों को ठीक करता है। यह औषधि आंत्रिक ज्वर (टायफाईड) के साथ उत्पन्न होने वाले अतिसार को समाप्त करता है। यह औषधि सूजाक (गोनोरोहिया), फोड़े, दूषित व बदबूदार घाव तथा सूजन आदि को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस औषधि को नया या पुराना दर्द तथा कैंसर रोग की अन्तिम अवस्था में होने वाला दर्द में देने से रोगी को दर्द में आराम मिलता है।

सांप काटने के बाद व्यक्ति में उत्पन्न लक्षण, मस्तिष्क व मेरुरज्जु की सूजन, गर्दन में तेज दर्द के साथ होने वाला बुखार, प्रसव के बाद स्त्रियों में उत्पन्न लक्षण, शारीरिक थकान तथा फुंसियां आदि को दूर करने के लिए एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग करना लाभकारी होता है।

आंतों से संबन्धित लक्षणों में इस औषधि के प्रयोग करने से यह औषधि आंत्रों के आधे भाग पर क्रिया कर आंतों की ऊपरी सूजन को ठीक करता है परन्तु इसके प्रयोग से पूतिता बढ़ता है और उपेक्षित आंतों की ऊपरी सूजन की अवस्था में जब पीव भर जाती है तो वह उपांत्र को फाड़कर पीव को बाहर निकालता है। यह औषधि लसीका ग्रन्थि की जलन, कुचलनयुक्त दर्द, सांप का विष व डंक आदि लगने पर, शरीर से बदबूदार स्राव के साथ अधिक कमजोरी को दूर करने में लाभकारी होता है।

एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग नेत्रोत्सेधी लक्षणों के साथ गलगण्ड रोग होने पर पूरी मात्रा में देना चाहिए परन्तु अवटु ग्रन्थि (थाइरोइड ग्लैण्ड) होने पर एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का 5-10 बून्दों का इंजेक्शन देना लाभकारी होता है। 


शरीर के विभिन्न अंगों के लक्षणों के आधार पर एकिनेसिया- रुडबेक्किया औषधि का उपयोग-

मन से संबन्धित लक्षण :-

मन में हमेशा भ्रम बना रहना, मन में किसी बात या सोच के प्रति निराशा बना रहना, सिर में हल्का दर्द होना तथा चेहरे से लेकर गर्दन तक लाल होना तथा देखने पर ऐसा लगना मानो रोगी व्यक्ति बहुत गुस्से में हो, नींद न आने के साथ अधिक अवसन्नता तथा कोई भी मानसिक कार्य करने में परेशान होना आदि मानसिक रोग के लक्षणों में एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

सिर से संबन्धित लक्षण :-

सिर में दर्द के साथ ऐसा महसूस होता है मानो सिर बड़ा हो गया है। मस्तिष्क में गहराई से उत्पन्न होने वाले दर्द आदि सिर रोग के लक्षणों में रोगी को एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि देनी चाहिए।

नाक से संबन्धित लक्षण :-

नाक से बदबूदार स्राव होना, नाक के झिल्लीदार रचनाओं का फैलना, नाक के पिछले द्वार से स्राव होने के साथ बदबूदार घाव का होना, नाक बन्द की बन्द होना तथा नाक से खून का आना और साथ ही दांए नाक का सूज जाना आदि नाक रोग के लक्षणों में एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मुंह से संबन्धित लक्षण :-

मुंह पर सड़े-गले घाव होना, मुंह में छाले होने पर, दांतों पर मैल जमना, मसूढ़े फूल जाना तथा मसूढ़ों से खून का निकलना, मुंहकोण (कोरर्नेस ऑफ माउथ) तथा होंठ कटे-फटे, जीभ सूखी और सूजी हुई, गन्दे घाव के साथ पीब युक्त वाले घाव होना, होठों तथा गलतोरणिका में सुरसुराहट होने के साथ मन में डर का अनुभव होना तथा जीभ सफेद रंग की होना तथा जीभ के किनारे लाल होना, मुंह से अधिक लार का आना आदि मुंह से संबन्धित इन सभी लक्षणों में एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग करना चाहिए। इस औषधि के प्रयोग से मुंह के घाव व छाले आदि सभी ठीक हो जाते हैं।

गले से संबन्धित लक्षण :-

एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का उपयोग गले से संबंधित लक्षण जैसे- गले की सूजन होने के साथ गले का रंग बैगनी या काला होना तथा गले से भूरा रिसाव होना जो नाक के पिछले भाग व वायु नलियों तक फैल जाती है। इसके अतिरिक्त यह औषधि गले के अन्दर उत्पन्न होने वाले घाव को भी ठीक करता है।

आमाशय से संबन्धित लक्षण :-

खट्टी डकार आने के साथ हृदय में जलन होना। जी मिचलाना तथा लेटने से आराम महसूस होना आदि आमाशय के लक्षणों से पीड़ित रोगी को यह औषधि देनी चाहिए।

छाती से संबन्धित लक्षण :-

छाती में भारीपन महसूस होने के साथ तेज दर्द होना तथा हृदय के पेशियों में दर्द होना आदि रोगों में एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि के सेवन करने से लाभ मिलता है।

पीठ से संबन्धित लक्षण :-

धीरे से चलने तथा सीढ़ी से उत्तरने पर पीठ में दर्द होना, पीठ में सर्दी या गर्मी की लहरे उठता हुआ महसूस होना आदि पीठ रोग में उत्पन्न होने वाले लक्षणों को ठीक करने के लिए एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग करें।

त्वचा से संबन्धित लक्षण :-

त्वचा पर बार-बार होने वाले फोड़े, छिद्रार्बुद (कैर्बेंस्लेस), कीड़े-मकोड़े या विषैले पौधे का चुभ जाना, लसीकाग्रन्थि बढ़ जाना, पिण्डली की हडडी के पुराने घाव तथा कोथ (गैंग्रेन) जैसे त्वचा रोगों में एकिनेसिया- रुडबेक्किया औषधि प्रयोग लाभकारी होता है।

बुखार से संबन्धित लक्षण :-

अधिक सर्दी लगने के कारण बुखार के साथ मितली आना, पीठ पर अधिक ठण्डापन महसूस होना आदि बुखार के लक्षणों को दूर करने के लिए इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। यह औषधि मलेरिया बुखार को ठीक करने में विशेष उपयोगी है तथा सूतिका ज्वर, सेप्लिक ज्वर आदि में भी यह औषधि लाभकारी है।

शरीर के बाहरी अंगों से संबन्धित लक्षण :-

अंगों में हल्का दर्द होने के साथ रोगी में आलस्य का अधिक आना आदि लक्षणों में इस औषधि का प्रयोग करने से दर्द व आलस्य दूर होता है। इसके अतिरिक्त शारीरिक थकान, कमजोरी व शरीर का पतला होना आदि लक्षणों में यह औषधि विशेष रूप से लाभकारी है।

मूत्र से संबन्धित लक्षण :-

पेशाब के साथ वीर्य आना। पेशाब का कम मात्रा में आना। पेशाब का बार-बार तथा पेशाब का रुक-रुककर आना आदि मूत्र से संबन्धित लक्षणों में एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि प्रयोग करें।

स्त्री रोग से संबन्धित लक्षण :-

बच्चे को जन्म देने के बाद दूषित खून का स्राव रुक गया हो तो एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि देनी चाहिए। इससे स्त्री के अन्दर से दूषित खून का स्राव होकर स्त्री को स्वस्थ बनाता है। इसके अतिरिक्त पेट भारी व फूला हुआ महसूस होना, योनि से बदबूदार प्रदर स्राव होना तथा प्रदर के कारण त्वचा का छील जाना आदि स्त्री रोग के ऐसे लक्षणों में एकिनेसिया- रुडबेक्किया औषधि का प्रयोग लाभकारी होता है।

तुलना :- 

एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि की तुलना सेंचरिस कंटौट्रिक्स, बाथरौप्स, आर्से, लैके, बैप्टी, रस, सिस्टस, हीपर, कैलेण्डुना आदि से की जाती है।

मात्रा :-

एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि के मूलार्क 1 से 10 बूदों तक 2-2 घंटें में रोगी को देना चाहिए या रोगी को एकिनेसिया-रुडबेक्किया औषधि के 3 शक्ति का सेवन करना चाहिए।

ध्यान दें कि घाव या पूतिरोधन आदि को धोने के लिए इस औषधि का प्रयोग करें।


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