प्लम्बम मेटैलिकम(Plumbum Metallicum)

 प्लम्बम मेटैलिकम(Plumbum Metallicum)

परिचय-

प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग अनेक प्रकार के लकवा (पक्षाघात) रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है। लकवा रोग से पीड़ित रोगी अधिक चिन्ता तथा भ्रम में होता है, कई बड़े अंगों में कम्पन होने लगती है, बरछी तथा टीस मारता हुआ दर्द होता है, कई अंग दुबले पतले हो जाते हैं, कलाई कमजोर पड़ जाती है। रीढ़ के लकवा से विभिन्न प्रकार के वात रोग उत्पन्न होते हैं। शरीर की जगह-जगह पर मांसपेशियां सूख जाती हैं। लकवा रोग से पीड़ित रोगी को कोई छूता है तो उसे ऐसा लगता है कि उसे कोई मार रहा है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। रोगी रोने तथा चिल्लाने लगता है, वह अपना होशो-हवास खो देता है, रोगी को उच्च रक्तचाप हो जाता है और हृदय की धमनियों में खिंचाव महसूस होता है, पेशियों में सूजन हो जाती है, लकवा जैसे लक्षण हो जाते हैं, ज्यादातर मस्तिष्क के मेरूदण्ड की नाड़ियों के केन्द्र शाखाओं व मेरुदण्ड के भूरे नाड़ियां को रोग ग्रस्त करती है। रीढ़ की हड्डी में दर्द होता है तथा दर्द चुभन सी होती है। गुर्दे में तेज जलन होती है तथा आंखों की दृष्टि कमजोर हो जाती है। पुरानी गठिया का रोग। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।

जस्ता की खान या फैक्ट्री में काम करने वालों के पेट में दर्द होना तथा जस्ते के कुप्रभाव के कारण पेट में दर्द होना। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए से सम्बन्धित लक्षण उपयोग लाभदायक है।

विभिन्न लक्षणों में प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का उपयोग-

मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का मन निराश होता है, रोगी को ऐसा लगता है कि उसकी कोई हत्या कर देगा, दिमाग की कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण रोगी सोचने में असमर्थ होता है, शब्दों का उच्चारण रोगी ठीक प्रकार से नहीं कर पाता है, भ्रम होता है तथा किसी भी चीजों को देखने में भ्रम होता है, किसी भी चीज के प्रति अरुचि होती है, स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है, मष्तिष्क पर लकवा रोग का प्रभाव पड़ता है तथा जिसके कारण रोगी का दिमाग ठीक प्रकार से कार्य नहीं करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी रोने तथा चिल्लाने लगता है तथा उसके पेट में दर्द भी होता है, सिर में दर्द होता है तथा इसके साथ ही उसे ऐसा लगता है कि कोई गोला गले से मस्तिष्क की ओर उठा रहा है। बाल अधिक सूख जाते हैं। कान में अजीब-अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के नेत्रपटल सिकुड़ जाते हैं, आंखें पीली पड़ जाती हैं, अक्षि-स्नायु में जलन होती है, अन्तरक्षिका से कीचड़ निकलने के साथ ही जलन होती है। अधिमंथ (Glaucoma)। चक्षुस्नायु में जलन होना तथा अक्षि-स्नायु-पट के बीच कांली बिन्दियां के समान की आकृति बनना। अचानक बेहोश होने के बाद आंखों से कुछ दिखाई न देना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का चेहरा फीका होना और मुर्झाया सा लगना और इसके साथ ही चेहरा पीला तथा मोम के जैसा हो जाता है तथा गाल अंन्दर की ओर धंस जाती है। रोगी के चेहरे की त्वचा से तेल जैसा पदार्थ निकलता है तथा चेहरा चकमदार हो जाता है। नाक तथा होंठ की पास की पेशियों में कम्पन होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- मसूढ़ों में सूजन होना तथा मसूढ़ों के किनारे पर नीली रेखाऐं दिखाई देना, जीभ पर कम्पन होना और इसके साथ ही जीभ का किनारा लाल हो जाता है, जीभ बाहर नहीं निकल जाता, ऐसा लगता है कि जैसे जीभ पर लकवा मार गया है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- भोजननली और आमाशय में सिकुड़न होने के साथ ही दबाव महसूस होना और इसके साथ ही कसा हुआ महसूस होता है। पाचनतन्त्र में दर्द होना। लगातार उल्टी करने का मन करना। ठोस पदार्थ निगलने में परेशानी होना जिसके कारण ठोस पदार्थ नहीं निगला जा सकता है। रोगी तरल पदार्थों को बिना किसी परेशानी से निगल पाता हैं लेकिन ठोस पदार्थ निगलने पर वह पलटकर दुबारा मुंह में आ जाता है। भूख मर जाता है, तेज प्यास लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

पेट से सम्बन्धित लक्षण :- पेट में तेज दर्द होना और दर्द का असर पूरे शरीर कें अंगों में फैल जाना, ऐसा लगता है कि पेट किसी डोरी से बंधकर रीढ़ की हड्डी की ओर खींच रही है। दर्द होने के कारण अंगडाई लेने की इच्छा होती है। पेट अन्दर की ओर धंसा जा रहा है ऐसा महसूस होता है। पेट फूलने के साथ ही पेट में तेज दर्द होना। पेट में दर्द होने के कारण रोगी रोने तथा चिल्लाने लगता है, इसके साथ ही उसके शरीर के कई अंगों में भी दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

मलांत्र से सम्बन्धित लक्षण :- कब्ज होने के साथ ही रोगी जब मलत्याग करता है तो उसका मल कठोर, गांठदार, काला होता है, रोगी के मलाशय पर दबाव होता है। कब्ज होने के कारण पेट में दर्द होता है और आंतों में खिंचाव आ जाता है। मलाशय में अधिक मल जमा होने के कारण मलत्याग करने में परेशानी होती है, मलाशय की नाड़ियों में दर्द होता है। मलद्वार ऊपर की ओर खिंचा हुआ महसूस होता है तथा इसके साथ ही इसमें सिकुड़न भी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को बार-बार पेशाब आता है तथा पेशाब करने में ऐंठन होती है, पेशाब में अन्न जैसा पदार्थ आता है। गुर्दे में लम्बे समय तक जलन होती रहती है और इसके साथ ही पेट में भी तेज दर्द होता है। पेशाब बहुत ही कम आता है। मूत्राशय में ऐंठन होती है। पेशाब बूंद-बूंद करके टपकता रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- पूरी तरह से नपुंसक हो जाना तथा इसके साथ ही शरीर अधिक सूखा और कमजोर हो जाता है। पुरुष के शरीर में संभोग क्रिया करने की शक्ति खत्म हो जाती है, अण्डकोष ऊपर की ओर खिंचा हुआ तथा सिकुड़ा हुआ महसूस होता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए लाइकोपस प्लम्बम मेटैलिकम औषधि उपयोग लाभदायक है। 

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- स्त्री रोगी की योनि मुझाई हुई रहती है तथा इसके साथ ही योनि ठण्डी महसूस होती है, इसके साथ ही स्त्री को कब्ज की समस्या भी रहती है। स्तन-ग्रन्थियों में कठोरता आ जाती है। योनि और योनिपथ में बहुत अधिक दर्द होता है। स्तनों में सुई जैसी चुभन होती है और जलन होने के साथ ही दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्री का गर्भपात हो जाता है तथा स्त्री जम्हाई और अंगड़ाई लेती रहती है। इस प्रकार के स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी स्त्री को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करे।

हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- हृदय कमजोर हो जाता है, नाड़ी कोमल और ठीक प्रकार से कार्य नहीं करती है, उसके दोनों तरफ कंपन होती है। नाड़ी तार जैसी बारीक हो जाती है और परिसरीय धमनियों में ऐंठन तथा सिकुड़न होती है।

पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- मेरुमज्जा में कठोरता आ जाता है और पीठ पर दर्द होता है तथा पीठ पर दबाव देने से कुछ समय के लिए आराम मिलता है, कमर से नीचे के अंगों में लकवा रोग के लक्षण दिखाई देते हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर की त्वचा पीली पड़ जाती है तथा इस पर गहरे-कत्थई रंग के यकृति के धब्बे होते हैं। पीलिया रोग हो जाता है, त्वचा सूखी रहती है, बाहों और टांगों की शिरायें फैलने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। 

शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के एकल पेशियों में लकवे रोग की तरह के लक्षण दिखाई देते है। रोगी हाथ से कोई भी चीज को उठा नहीं पाता है। अंगों को फैलाना कठिन हो जाता है। पियानों बजाने वाले व्यक्तियों में अत्यधिक परिश्रम करने के कारण पेशियां फैलने लगती है और पेशियों पर लकवा के लक्षण दिखाई देते हैं। जांघ की पेशियों में दर्द होता है जो दौरें के रूप में होता है अर्थात अचानक ही दर्द होता है और अचानक ही दर्द बन्द हो जाता है। चाल लड़खड़ाने लगती है। कलाई लटक जाती है, गुल्फ-पेशियों में ऐंठन होना, अंगों में डंक लगने जैसी और फाड़ती हुआ दर्द होता है, अंगों में चुनचुनी होती है तथा सुन्नपन होने के साथ ही दर्द होता है। शरीर पर लकवा जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और पैर सूजे हुए रहते हैं तथा अंगों में दर्द होता है। रात के दायें पैर के अंगूठे में दर्द होता है। अंगों को छूने पर असहनीय दर्द होता है। शरीर की हडि्डयों के जोड़ पर डंक मारने जैसा तथा चीर-फाड़ने जैसा दर्द होता है, कई अंगों में कुचलने जैसा दर्द होता है और लकवा रोग के लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चों के लकवा रोग तथा पोलियों का रोग। शरीर के कई अंगों में रात के समय में दर्द बढ़ जाता है और रगड़ने और मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है और पैरों से अधिक पसीना आता है। हडि्डयों में चुनचुनाहट और सुरसुराहट महसूस होती है और कई अंगों में जलन होती है। बेहोश होने के बाद शरीर में लकवा रोग के कई लक्षण दिखाई देना। इस प्रकार के शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

आन्त्र वृद्धि से सम्बन्धित लक्षण :- पेट में वायु बनने के कारण पेट में दर्द होना और मल की उल्टी होने के साथ ही आंतों में गांठ पड़ जाना। आंतों का आपस में उलझ जाना और मल की उल्टी होना, पेट में तेज दर्द होना। आंतों को ढकने वाली झिल्ली में जलन होती है जिसके कारण पेट के बड़े से भाग में सूजन आ जाती है जो झुद्रांत और उपांत्र प्रदेश में होती है, क्षुद्रांत में जलन होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

गुर्दे की बीमारी से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के शरीर में सूजन आ जाती है और पेशाब करने में परेशानियां होती है, पेशाब बूंद-बूंद करके टपकता है, खून मिला हुआ पेशाब आता है, मूत्र नली में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। गुर्दे के बीमारी से पीड़ित स्त्री ख्याल करती है कि गर्भाशय में बच्चे के रहने के लिए स्थान बहुत कम है, गर्भाशय फैलता नहीं है, जिससे गर्भपात हो जाने की शंका होती है।

मिर्गी से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के हाथ-पैरों में ऐंठन होने लगती है तथा सिकुड़न होती है। हाथ-पैरों में ऐंठन होने के साथ जकड़न होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए। 

मलेरिया से सम्बन्धित लक्षण :- मलेरिया होने के साथ ही सूखी खांसी आना, त्वचा सूखी और पीली हो जाती है और यकृत में विकार उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण से त्वचा पीली पड़ जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

पीलिया से सम्बन्धित लक्षण :- पीलिया रोग होने के साथ ही रोगी के आंखों की चुक्षुश्वेत पटल तथा उसके आसपास की त्वचा और नल-मूक्ष आदि सभी गहरे पीले रंग के हो जाते हैं, मानसिक सन्तुलन ठीक नहीं रहता है, समझने की शक्ति कम हो जाती है, कोई भी विषय देर से समझ आता है, स्मरणशक्ति खत्म हो जाती है, बात करते समय सही और अनुकूल शब्द याद नहीं आता है, रोगी शंका ग्रस्त रहता है और उसे ऐसा लगता है कि उसकी कोई हत्या कर देगा, वह भयभीत हो जाता है, कभी-कभी कई प्रकार की आवाजें सुनाई देती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के प्लम्बम मेटैलिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है। 

वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- 

बिस्तर पर लेटने से, रात के समय में तथा द्रव्य पदार्थ पीने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।

शमन (एमेलिओरेशन) :-

शरीर को रगड़ने और जोर से दबाने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

नक्स-वोम्, सल्फ-एसिड, जिंक औषधियों के कुछ गुणों की तुलना से सम्बन्धित लक्षण से कर सकते हैं।

प्रतिविष :-

प्लैटीना, पेट्रोलि तथा एलूमि औषधियों का उपयोग प्लम्बम मेटैलिकम औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए किया जाता है।

मात्रा (डोज) :-

प्लम्बम मेटैलिकम औषधि की 3 से 30 शक्ति तक का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। 


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