डायोस्मा लिंकैरिस (DIOSMA LINCARIS)

 डायोस्मा लिंकैरिस (DIOSMA LINCARIS)

परिचय-

डायोस्मा लिंकैरिस औषधि जिन रोगजन्य लक्षणों को उत्पन्न करती है वे हैं आलस्य, स्नायु के कारण उत्पन्न अनिद्रा का रोग तथा रात्रि के समय आने वाला पसीना, चिड़चिड़ापन, रोने की इच्छा होना और रोगी होने का डर होना, तेज चक्कर आना, मस्तिष्क का दर्द जो प्रमुख रूप से सिर में होता है। आंखें चमकदार होने के साथ आंखों में आंसू आना और खुजली होना, कम सुनाई देना, कानों पर दबाव देने से कानों के अन्दर तेज शोर सुनायी पड़ना, जी मिचलाना, दुर्गंध युक्त सांस, साथ ही खालीपन की अनुभूति होना, उदरस्फार (मेटीओरिज्म) के साथ प्लीहा में दर्द होना, पेट के अन्दर दर्द के साथ जांघों में दबाव का अनुभव होना, गहरे खूनी रंग का पेशाब होना, बार-बार पीले रंग का दस्त होना जोकि रात के समय अधिक बढ़ जाते हैं, मासिक स्राव का अधिक मात्रा में होना जिसे स्त्रियों को पहले से ही महसूस होता है तथा कभी-कभी मासिक स्राव बढ़कर रक्तप्रदर के रूप में बदल जाता है, पेट में खाना खाने के बाद ऐंठन के साथ दर्द का होना, हाथों में गर्म या ठण्ड अहसास होने के साथ उंगलियों की आक्षेपी गतियां आरम्भ हो जाती हैं, टांगों की दुर्बलता, जो नीचे बैठने से और अधिक बढ़ जाती है। 

इस औषधि का उपयोग प्लीहा की सूजन (स्प्लेनिटीजै), स्नायविक अथवा साधु-सन्तों को होने वाले विकारों में जब मृत्यु हमेशा बना रहता है अथवा मिरगी या पागलपन के दौरे पड़ते हैं, जठरशूल (गैस्ट्रैल्गिया), आकिस्मक भय के साथ टांगों में कमजोरी और कम्पन होना आदि लक्षणों में उपयोगी होता है।


Related Posts:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें