परिचय-
ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि स्नायुविकार (स्नायु से सम्बन्धित रोग) और हिस्टीरियाग्रस्त (नर्वस एण्ड हिस्टेरिकल- हिस्टीरिया रोग से पीड़ित रोगी) रोगियों के रोग को ठीक करने के लिए बहुत लाभदायक औषधि है।
छोटे बच्चे और बूढ़े व्यक्तियों में ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का असर तेज होता है जिसके फलस्वरूप रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
अधिक दुबले-पतले रोगी तथा जिनके शरीर में खून की अधिक कमी होती है, जिनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एकदम बिगड़ा हुआ हो उन रोगियों के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि अधिक लाभकारी होती है।
रोगी का चित्त चंचल स्वभाव का हो, एक विषय को छोड़कर दूसरे विषय पर बात करने लगता हो, अपने प्रश्न के उत्तर के लिए इन्तजार नहीं करता हो, हर बात को जाने की उत्सुकता तो हो लेकिन थोड़ी देर के लिए उसको भूल जाता हो, मन उदास हो, एक पल खुशी महसूस होती हो, सभी बातों को बेपरवाही से लेता हो, रोगी जब सुबह उठता है तो उसका मन उदास रहता है और उसे ऐसा महसूस होता है कि वह सपने देख रहा है और शाम के समय में पागलों जैसा व्यवहार करता है, उसके मन में जो ख्याल आता है वह बहुत जल्द ही गायब हो जाता है, मनुष्यों की उपस्थिति में उसका चित्त घबरा जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी कभी-कभी मृत्यु को पसन्द करने लगता है, उसका मन उदास रहता है, वह कई दिनों तक अकेला बैठकर रोता रहता है, गाना, सुनना, बर्दाश्त नहीं कर पाता, गाना-बाजा सुनने से उसका शरीर कांपने लगता है, उसे शारीरिक और मानसिक परेशानियां अधिक होती है, उसे हथौड़ी पीटने की तरह पीठ में दर्द होता है, गाना बाजा सुनने से सिर में दर्द होने लगता है। रोगी को गाना सुनने से खांसी बढ़ जाती है, गले में दर्द होता है, अधिक सोचने और गम (दु:खी) होने से खांसी होती है। गर्म कमरे के अन्दर और सुबह के समय में रोगी को और भी परेशानी होती है। किसी प्रकार से बिजनेस में हानि होने या घरेलू दुर्घटनाओं के कारण, शरीर के किसी भाग में चोट लग जाने पर रोग का प्रभाव और तेज हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग लाभकारी है।
ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग उन रोगियों पर अक्सर किया जाता है जिनके शरीर में रोग एक तरफा हुआ करती है, जैसे रोगी के शरीर के एक भाग के तरफ या शरीर के जिस भाग के तरफ रोग है उस भाग के तरफ पसीना अधिक निकलता हो।
ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-
आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की पलकों पर इतनी तेज खुजलियां होती है कि जैसे बिलनी का रोग हो गया हो, आंखों में इस प्रकार का दर्द होता है कि मानों वह मजबूती से बंद कर दी गई है। ऐसे लक्षण यदि रोगी में हो तो उसका उपचार करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
कान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कान के अन्दर बिना किसी प्रकार प्रकार के विकार के हुए ही कम सुनाई पड़ता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का उपयोग लाभकारी है।
नाक से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के नाक के अन्दर से खून बहने लगता है, नाक के अन्दर खून सूख जाने से पपड़ियां जम जाती है, ऐसे रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
गले से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कण्ठ (गले के अन्दर का भाग) में बलगम जमने लगती है जो कि आसानी से खंखार कर बाहर निकाला जा सकता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
पेट से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के पीठ में एक तरफ ठण्ड महसूस होती है। लीवर में दर्द होता है, बार-बार डकारें आती हैं, जिसके कारण बहुत तेज खांसी होने लगती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
मन से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अन्य व्यक्तियों से डर लगता है तथा अकेले रहने की इच्छा होती है, दूसरों के उपस्थिति में कुछ नहीं कर सकता है। खुली हवा में चलने के बाद, शरीर के खून की गति तेज हो जाती है और शरीर कपंकपाने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग लाभकारी है।
सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की सोचने की शक्ति कम हो जाती है तथा उसे चक्कर आने लगते हैं और उसका आमाशय कमजोर हो जाता है, सिर के अगले भाग में दबाव बना रहता है तथा वह चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है। मस्तिष्क के आधे भाग में तेज दर्द होता है। बूढ़े व्यक्ति को अधिक परेशानी होती है तथा उनमें चक्कर की शिकायत अधिक होती है। गाना सुनने से सिर की ओर खून का बहाव तेज हो जाता है। कान की सुनने की शक्ति कम हो जाती है तथा कभी-कभी तो नाक से खून निकलने लगता है और दांतों से खून बहने लगता है, रोगी के बाल झड़ने लगते हैं। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को डकारें आती है तथा इसके साथ ही खांसी भी होती है, डकारें खट्टी आती हैं और रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे- कलेजा (जिगर) जल रहा हो, आधी रात के बाद आमाशय और पेट फूलने लगता है और पेट में ठण्डक महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को एक ही समय में मूत्राशय तथा मलाशय में दर्द होता है और मूत्रद्वार में जलन होती है। रोगी को मूत्रद्वार में ऐसा महसूस होता है कि जैसे पेशाब की कुछ बूंदें टपक रही हैं, पेशाब करते समय मूत्रनली में अधिक जलन और खुजली होती है। पेशाब मटमैला, कत्थई रंग का तैलीय तरल पदार्थ के समान होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
कब्ज (कोनसेपशन) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी जब शौच क्रिया (मलत्याग करना) करता है तब उस समय यदि कोई दूसरा व्यक्ति उसके पास होता है तो उसका मलत्याग सही से नहीं होता है और रोगी को कुछ बुरा-बुरा (कुछ अजीब-अजीब सा लगना) महसूस होता है। बार-बार मलत्याग करने की इच्छा होने के कारण उसे परेशानी होती है। बूढ़े व्यक्तियों में कब्ज की शिकायत होने पर, तथा पेशाब का कम होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :-
* स्त्रियों का मासिक-धर्म समय से पहले आना, योनि के बाहरी भाग में खुजली होने के कारण दर्द और सूजन, रात के समय में गाढ़ा सफेदी के साथ हल्का नीले रंग का पीब के सामान योनि में से स्राव हो (ल्युकोरिया.श्लैश्मिक प्रदर) तो ऐसी रोगी स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग लाभकारी है।
* उन स्त्रियों के लिए भी ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है जो स्नायुविक उत्तेजना की शिकार हो जाती है और कमजोर हो जाती है।
पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के वृशणकोष (अण्डकोष) में उत्तेजना पैदा होने के साथ खुजली होती है, लिंग बाहर से सुन्न तथा अन्दर से जलन युक्त हो जाता हैं। संभोग क्रिया करने की अनुभति होते ही लिंग से वीर्य निकल जाता है और वीर्यपात हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का उपयोग लाभकारी है।
खांसी (कफ) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को कुकर खांसी (हूपिंग कफ) हो जाती है, लेकिन जब रोगी सांस लेता है तो कांव-कांव शब्द नहीं होता है और अधिक परेशानी हो रही हो तथा इसके साथ-साथ डकारें आ रही हो, खांसी के साथ पसलियों में दर्द, आवाज बैठी हुई, टान्सिल ग्रंथि (टोंसिल ग्लैंड) बढ़ा हुआ, मुंह से बदबू आ रही हो। कमजोर बच्चे को जुकाम हो गया हो और खांसी भी साथ में हो तथा रोगी का दम घुटने जैसा महसूस हो रहा हो, बात करने या चिल्लाने पर खांसी बढ़ जाती हो। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं जो खांसी से सम्बन्धित होते हैं।
बुखार (फीवर) से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को शरीर के किसी अंग में बहुत अधिक ठण्ड का अनुभव हो रहा हो तथा इसके साथ ही उसे भूख कम लग रही हो, बुखार भी हो गया हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग लाभदायक है।
पसीना से सम्बन्धित लक्षण :- शरीर के जिस भाग में दर्द हो उस तरफ अधिक पसीना निकल रहा हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने में ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि उपयोगी है।
सांस से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है तथा दमा रोग होने की अनुभूति (महसूस होना) होती है, रोगी को सुबह के समय में खांसी होती है और खांसी होने के साथ ही डकारें आती हैं, अन्य लोगों की उपस्थिति में खांसी अधिक बढ़ जाती है, कंठ, स्वरयन्त्र तथा सांस लेने वाली नलियों में गुदगुदाहट होने लगती है। छाती पर दबाव महसूस होता है, खांसते समय सांस उखड़ने लगती है और कुकुर खांसी होने लगती है। जब रोगी खंखारता है तो उस समय बलगम निकलता है तथा दम घुटने जैसा महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि उपयोगी है।
हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की धड़कन बढ़ने लगती है तथा इसके साथ छाती पर दबाव महसूस होता है जैसे- छाती पर कोई ठोस वस्तु रखी हुई है। खुली हवा में धड़कन बढ़ने के साथ चेहरा पीला पड़ जाता है, ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग लाभकारी है।
नींद से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अधिक चिन्ता होती है जिसके कारण रोगी को रात के समय में कई घण्टे उठकर बैठना पड़ता है, रोगी अधिक सपने देखता है। जब रोगी नींद की अवस्था में होता है तो उस समय उसका सारा शरीर ठण्डा और ऐंठनदार तथा खिंचावयुक्त होता है। ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का उपयोग करना चाहिए।
त्वचा रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को अपनी त्वचा पर खुजली और जलन महसूस होती है तथा इस प्रकार के लक्षण प्रजनन अंगों पर विशेष रूप से होता है। शरीर के कई अंगों की त्वचा सुन्न पड़ जाती है, ऐसा महसूस होता है कि बांहें सो गई हो, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
सावधानी :-
ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का प्रयोग शाम के समय नहीं करना चाहिए क्योंकि रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि हो सकती है।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि में ऐसाफ, कोका, इग्रे, मास्क, फास, वैलेर, एक्टिया औषधियों की कुछ समगुण पाये जाते हैं, इसलिए ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि का सम्बन्ध इन औषधियों से कर सकते हैं।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
गर्म पेय पदार्थ पीने, गर्म कमरे में रहने, गाना सुनने, लेटने से, चिल्लाकर पढ़ने या बोलने, बहुत से मनुष्यों के भीड़ में रहने, अधिक जागने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
खाना खाने के बाद, ठण्डी दवा से, ठण्डा पानी तथा भोजन सेवन करने से, ठण्डी वस्तु से, बिछौने से उठने पर रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
मात्रा (डोज) :-
ऐम्ब्रा ग्रीशिया औषधि की दूसरी और तीसरी शक्तियों का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है। इसे उत्तम परिणाम के साथ दोहराई जा सकती हैं।
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