एलियम सैटाइवम - Alium Saitievam

 

परिचय-

एलियम सैटाइवम औषधि की आंतों की श्लैष्मिक झिल्लियों पर प्रत्यक्ष रूप से क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप आन्तों की कार्य करने की शक्ति बढ़ जाती है।

यदि किसी व्यक्ति को बृहदान्त्रशोथ (बड़ी आंत में सूजन होना) की बीमारी है और इसके साथ ही रोग की अवस्था विस्फोटक हो तो एलियम सैटाइवम औषधि की औषधि की 20 से 40 बूंदें पीएं तो 30 से 45 मिनट के अन्दर धमनी की रक्तदाब (अरटियल हाइपोटेशन) की अवस्था शुरु हो जाती है और रोग ठीक हो जाता है।

यदि किसी रोगी की पाचन शक्ति कमजोर हो गई हो तथा इसके साथ ही नजले का रोग भी हो गया हो तो उस व्यक्ति को एलियम सैटाइवम औषधि का सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है तथा उसकी पाचन शक्ति भी सही हो जाती है। 

जो व्यक्ति अधिक मांस का सेवन करते हैं और पानी कम पीते हैं उन व्यक्तियों के लिए एलियम सैटाइवम औषधि अधिक लाभदायक है।

कटिलाम्बिका (प्सोस), कूल्हे में दर्द, पेशियों में दर्द और फेफड़ों के क्षय रोग को ठीक करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

खांसी बहुत तेज हो लेकिन बलगम नहीं आ रहा हो, शरीर का तापमान सामान्य हो तथा वजन अधिक बढ़ गया हो और नींद ठीक से नहीं आ रही हो तथा इसके साथ-साथ खूनी कफ निकल रहा हो। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।

एलियम सैटाइवम औषधि निम्नलिखित लक्षणों के रोगियों के रोग को ठीक करने में उपयोगी हैं-

आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को जलन होने के साथ डकारें आ रही हो, भूख इतना तेज हो जैसे राक्षसी भूख, किसी चीज का परहेज न करने पर बहुत अधिक परेशानी हो रही हो, कब्ज के साथ अंतड़ियों में लगातार हल्का दर्द हो रहा हो तथा जीभ का रंग पीला पड़ गया हो और इसके साथ-साथ उस पर लाल-लाल रंग के दाने हो गऐ हो तो ऐसे लक्षणों वाले व्यक्ति का उपचार करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।

श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को सांस लेने में पेरशानी हो रही हो तथा घड़घड़ाहट हो रही हो। जब रोगी बिस्तर से उठता है तो उस समय खांसी के साथ बलगम निकलता है, जो बहुत चिपचिपा और बदबूदार होता है। बलगम को बाहर फेकना कठिन हो जाता है। रोगी ठण्डी हवा सहन नहीं कर पाता है। श्वास नलियां फैल जाती हैं। रोगी को छाती में ऐसा दर्द होता है जैसे कि किसी ने उसके छाती में भाला घोंप दिया है। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी रोगी में है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का उपयोग करना उचित होता है।

स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- स्त्रियों के स्तन में सूजन के साथ दर्द होता है। मासिकधर्म के समय में योनि तथा स्तनों और भग (वुल्वा) पर फुंसिया निकल आती हैं। इस प्रकार के लक्षण यदि किसी स्त्री में हो तो उसका उपचार करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का उपयोग लाभकारी है।

सिर से सम्बन्धित लक्षण :- सिर भारी-भारी महसूस होता है, कनपटियों में कुछ टपकने जैसा महसूस होता है और नजले के कारण बहरापन का रोग हो जाता है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।

मुख (मुंह) से सम्बन्धित लक्षण :- खाना खाने के बाद और रात के समय में मीठी लार मुंह से निकले, जीभ के ऊपर या कंठ के अन्दर बाल जैसी कोई चीज महसूस हो रही हो तो इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी की चिकित्सा करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि का प्रयोग करना चाहिए, इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और उसका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

सम्बन्ध (रिलेशन) :-

* एलियम सैटाइवम औषधि की तुलना कुछ औषधियों से कर सकते हैं जो इस प्रकार हैं-नक्स, कोलोसि, डिजि, इग्नेशिया, लाइको तथा ब्रायोनिया औषधि। इन औषधियों से एलियम सैटाइवम औषधि की तुलना इसलिए कर सकते हैं क्योंकि जो व्यक्ति मांसाहारी होते हैं, उन पर इसका असर अधिक होता है और शाकाहारी पर कम और इन औषधियों में भी ये गुण पाये जाते हैं। इसलिए शाकाहारी व्यक्ति की अपेक्षा मांसाहारियों के लिए एलियम सैटाइवम औषधि की उपयोगिता अधिक है।

* सेनेगा, कैप्सिकम, आर्से, काली-नाइट्रि औषधि के कुछ गुणों के अनुसार भी एलियम सैटाइवम औषधि से तुलना कर सकते हैं।


पूरक :-

आर्सेनिक।

हानिकारक प्रभाव :-

एलियम सैटाइवा औषधि के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए लाइको औषधि का उपयोग किया जाता है।

मात्रा :-

एलियम सैटाइवम औषधि की तीसरी से छठी शक्ति का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। क्षय रोग को ठीक करने के लिए एलियम सैटाइवम औषधि की 4 से 6 ग्राम की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। जब घाव हल्का हो तो प्रतिदिन कई मात्राओं में बांटकर उपयोग करना चाहिए।


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