आर्जेन्टम नाइट्रिकम, सिलवर नाइट्रेट (AREGENTUM NITRICUM) (NITRATE OF SILVER)

 आर्जेन्टम नाइट्रिकम, सिलवर नाइट्रेट (AREGENTUM NITRICUM) (NITRATE OF SILVER)


परिचय-


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग उन रोगियों के लिए किया जाता है जिन रोगियों के दिमागी लक्षण बड़े ही आश्चर्य जनक होते हैं जैसे- रोगी के मन में तरह-तरह की बेकार की बातें आती हैं, रोगी बड़ा ही डरपोक होता है, कोई भी काम करने से पहले ही वह घबराने लगता है और रोगी के मन में एक प्रकार का डर पैदा हो जाता हैं। जब रोगी रास्ते में चलते समय ऊंची-ऊंची बिल्डिंगो को देखता है तो उसे चक्कर आने लगता है और रोगी को ऐसा भी महसूस होता है कि पूरी बिल्डिंग उसके ऊपर गिरने को आ रही है। जब रोगी ऊंची बिल्डिंगों को देखता है तो उसके कान में सनसनाहट होने लगती है, शरीर कांपने लगता है तथा उसके शरीर से पसीना निकलने लगता है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग उन रोगियों के लिए भी किया जाता है, जिनमें ये लक्षण हो जैसे- रोगी किसी पुल या ऊंची जगह को पार करता है तो वह उस समय यह सोचता है कि शायद वह वहां से गिर जायेगा और मर जायेगा, कभी-कभी तो वह सचमुच ही गिर जाता है।


जब रोगी किसी ऊंचे मकान की खिड़की पर से नीचे की तरफ देखता है तो उस समय वह यह सोचता है कि यहां से कूद पड़ना क्या खतरनाक है और दिमागी कमजोरी के कारण कभी-कभी वह सचमूच ही कूद पड़ता है। इस प्रकार के मानसिक लक्षणों में भी रोगी को आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जा सकती है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि और ऐकोनाइट औषधि का प्रयोग उन रोगियों के लिए भी किया जा सकता है जिसे मृत्यु का डर बना रहता है और वह कभी-कभी मृत्यु के समय होने वाले दर्द को महसूस करता है, जैसे- चर्च या सिनेमाहाल को जाते समय रोगी को मलत्याग करने का अनुभव होता है और एक प्रकार का डर महसूस करता है। रोगी को सिर्फ चर्च या सिनेमाहाल को जाते समय ही नहीं बल्कि कहीं भी जाते समय, किसी मित्र से मिलते समय या किसी मीटिंग में बहुत बड़े-बड़े आदमियों से मिलने जाते समय मल त्यागने की इच्छा होती है। जिसके कारण रोगी में स्नायु दुर्बलता (नर्वस वीकनेस) हो जाती है। ऐसे ही कुछ लक्षणों के रोगियों को जेल्सेमियम औषधि भी दिया जा सकता है लेकिन इन लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण होने पर ही जेल्सेमियम औषधि दिया जा सकता है क्योंकि जेल्सेमियम औषधि की तुलना आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि से की जा सकती है।


कई रोगी ऐसे भी होते हैं जो किसी कार्य करने से पहले ही डर तथा सन्देह अनुभव करते हैं कि शायद वह कार्य सफल न हो। रोगी बहुत अधिक उदास रहता है। इन रोगियों की स्मरणशक्ति (सोचने की शक्ति) बहुत अधिक कमजोर होती है। ऐसे रोगी बहुत अधिक जल्दी-जल्दी चलता है और किसी न किसी कार्य को करने में लगा रहता है ऐसे लक्षणों के रोगियों को आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि के बदले में ऐनाका, क्रियोजो, मर्क, लैक, रक्स-मस, फास-ऐसिड औषधि भी दी जा सकती है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उन रोगियों को भी दिया जा सकता है। जिसके मन में कभी-कभी यह विचार आता है कि समय बहुत धीरे-धीरे चल रहा है (टाईम पासेस स्लोली) और वह इसलिए जल्दी-जल्दी कार्य करने लगता है लेकिन उसे यह भी विचार आता है कि कार्य करने में बहुत देरी हो रही है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगियों को कैनैबिस इन्डिका औषधि भी दी जा सकती है। ऐसे ही कुछ लक्षणों के रोगियों को ग्लोनायन, ऐलूमिना, मर्क-साल, नक्स-मस, मेडोराइनम और नक्स-वोम औषधियां भी दी जा सकती है लेकिन आर्जेन्टम नाइट्रिकम और कैनेबिस औषधि की शक्ति उन औषधियों से कहीं ज्यादा होती है।


कुछ रोगियों में यह भी लक्षण देखने को मिलता है कि समय बहुत जल्दी खत्म हो रहा है, ऐसे रोगियों को काक्यूलस और थेरेडियन औषधि दी जा सकती है।


कुछ ऐसे भी रोगी होते हैं जिन्हें ठण्डी हवा, ठण्डी चीजें, बर्फ,मलाई बर्फ अच्छा लगता है। दरवाजे तथा खुली खिड़कियां उसे बहुत पसन्द आती है। रोगी को गर्म कमरे के अन्दर घुटन महसूस होती है, कमरे के अन्दर यदि बहुत से आदमी हो, चर्च, डांसहाल, मेला का स्थान या किसी सभा में उसे परेशानी महसूस होती है। जिस जगह पर बहुत से आदमियों की भीड़ हो ऐसे स्थान में जाते हुए उसे बहुत अधिक डर महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जा सकती है।


जो रोगी बहुत अधिक दुबला-पतला होता है। जवानी में ही बूढ़े की तरह दिखाई देने लगता है, चेहरे पर झुरियां पड़ जाती है, दिन-प्रतिदिन दुबला होता जाता है, विशेष करके सिर से नीचे का धड़ अधिक दुबला पड़ जाता है। ऐसे रोगियों का उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है।


यदि किसी बच्चे को सूखे की बीमारी है, जिसमें बच्चा सूख कर दुबला पड़ जाता है, बूढ़ों की तरह दिखाई देता है तो बच्चे के इस रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग कर सकते हैं और इसके बदले इन रोगियों को एब्रोटेनम, आयोडियम और सार्सा पैरिला औषधि भी दी जा सकती है।


कुछ रोगियों में मिठाई खाने की इच्छा बहुत अधिक होती है और उसके मल के साथ आंव भी आता है तो ऐसे रोगियों को आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जा सकती है, लेकिन ऐसे रोगियों में चीनी, मिठाई या मिठाई से बनी चीजें खाने की इच्छा तेज होनी चाहिए। ऐसे लक्षण वाले रोगियों को चायना, लाइको, सल्फ औषधि भी दे सकते हैं।


यदि किसी रोगी को ऐसा महसूस हो रहा हो कि उसके शरीर का कोई अंग, अंश या पूरा शरीर बढ़ रहा है। ऐसे रोगी को सिर में दर्द होना, सिर का बढ़ जाना, डिम्बकोष में कोई रोग हो जाना तथा डिम्बाशय का फूल जाना महसूस हो रहा हो लेकिन ऐसी कोई बात रोगी में देखने को नहीं मिलती हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग कर सकते हैं।


जिन रोगियों को यह अनुभव होता है कि मेरा सिर बहुत बड़ा हो गया है, खोपड़ी की हडि्डयां पतली पड़ गई हैं, आंखें इतनी बड़ी हो गई हैं, कि गड्ढ़े के बाहर निकल पड़ेंगी, जीभ बहुत बड़ी होकर लटक रही है और सिर का एक भाग टोकरी की तरह बड़ा महसूस हो रहा हो तो ऐसे रोगी को इलाज के लिए पेरिस औषधि दी जा सकती है लेकिन ऐसे ही लक्षणों से पीड़ित रोगी को जेल्सेमियम औषधि भी दी जा सकती है।


यदि किसी रोगी को अपना ठुड्डी बड़ा होना महसूस हो रहा हो तो ऐसे रोगी के उपचार के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है। इसके अतिरिक्त ग्लोनायन औषधि भी रोगी को दी जा सकती है।


यदि रोगी को एक स्थान से दूसरा स्थान बहुत दूर महसूस हो रहा हो तो उसका उपचार के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है इसके अतिरिक्त कैन-इन्डि औषधि भी रोगी को दी जा सकती है।


यदि रोगी को अपनी आंख के पलकों, सिर, कोई वस्तु, एक टांग बड़ा महसूस हो रहा है तो रोगी का उपचार के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है इसके अतिरिक्त कैन-इन्डि औषधि भी रोगी को दी जा सकती है।


अण्डकोष के फूल जाने पर रोगी को उपचार के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है इसके अतिरिक्त सैबैडिला औषधि भी रोगी को दी जा सकती है।


यदि कोई रोगी अपने आप को बहुत अधिक लम्बा महसूस कर रहा हो तो उसे उपचार के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है इसके अतिरिक्त प्लैटि, पैले, ओपि और स्टैमो औषधि भी रोगी को दी जा सकती है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उन रोगियों को भी दिया जा सकता है जिन रोगियों को सिर में चक्कर आ रहा हो, कान में भनभनाइट शब्द के साथ पैरों में कमजोरी महसूस हो रही हो और शरीर कांप रहा हो। सिर को कसकर बांधने से आराम मिलता हो, खुली हवा में रहने से सिर में दर्द और भी तेज हो रहा हो तथा सिर के दाहिनी तरफ अक्सर दर्द हो रहा हो, दर्द तीव्रता तथा जलन के साथ हो रहा हो। ऐसे रोगी जब मानसिक कार्य करते हैं तो उनका दर्द और भी तेज हो जाता है, रोगी को ऐसा लगता है कि सिर बहुत बड़ा हो गया है। रोगी के सिर के जिस भाग की तरफ दर्द होता है। उस भाग की तरफ की आंखें रोगी को बहुत बड़ी महसूस होती है। ऐसे रोगी को उपचार के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि के अलावा बोर, ग्लोन तथा सिमिस औषधि भी दी जा सकती है।


आधे सिर के दर्द से पीड़ित रोगी के रोग की चिकित्सा के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जाती है। आधे सिर में दर्द होने के कारण रोगी पागल सा हो जाता है, जब यह दर्द बहुत तेज हो जाता है तो रोगी का शरीर में कंपन होने लगती है और रोगी बेहोश सा हो जाता है। सिर को किसी कपड़े से कसकर बांधने से और उल्टी हो जाने से रोगी को आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में नज़र आता है तो उसे आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि देते हैं। इससे उसका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।


आंखों के कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभदायक है। आंखों में तेज दर्द होने के कारण आंखें सुर्ख हो जाती हैं, आंखों से मवाद आता है, किसी रोशनी को देखने में परेशानी होती है आदि लक्षण यदि रोगी में हो तो उसका उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि अधिक उपयोगी है।


यदि रोगी के आंख का कोना खून जैसा लाल होकर फूल गया हो और आंख के किनारे का लाल मांस का टुकड़ा बढ़ गया हो तो उसे ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी होती है।


यदि किसी रोगी के आंखों के सामने सांप की तरह पतली चीज़ उड़ती हुई नज़र आती हो, गर्म कमरे के अन्दर या आग के सामने रहने से परेशानी हो रही हो, आंखों में ठण्डा पानी लगाने या ठण्डी खुली हवा में रहने से आराम मिलता हो तथा आंखों की सिकाई करने से आराम मिलता हो तो ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए मर्क-साल औषधि दी जाती है लेकिन इसके अलावा आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि भी रोगी को दे सकते हैं।


यदि रोगी की आंखें बहुत लाल हो गई हों तो उपचार के लिए बेलाडोना औषधि का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन यदि रोगी के आंखों में लाली के साथ सफेद दाने भी दिखाई देते हैं तो रोगी को उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत अधिक उपयोगी होती है।


यदि रोगी के आंखों से बहुत अधिक मवाद निकल रहा हो या आंख के अन्दर मवाद रुक जाने से आंखों में सूजन आ गई हो तो उसे ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत अधिक उपयोगी है, लेकिन यदि आंखों में से बहुत अधिक गाढ़ा मवाद आ रहा हो तो पल्सेटिला औषधि भी दी जा सकती है।


यदि आंखों में दानें पड़कर सूजन हो तो रोगी की चिकित्सा करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जा सकती है। पलकों में सूजन होने पर भी इस औषधि को दिया जा सकता है।


यदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक बारीक अक्षरों की पुस्तक पढ़ने से नज़र खराब हो गई हो तो उसकी नज़र को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है। रोगी को पास की चीजें ठीक से दिखाई न दें और दूर की चीजें आसानी से दिखाई दें, पढ़ते समय पास से न पढ़ सकने पर पुस्तक को दूर बढ़ाना पड़े, ताकि अक्षर ठीक तरह से दिखाई दें तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभदायक है।


यदि किसी रोगी के चेहरे पर बून्द बून्द पसीना जम रहा हो, चेहरा पीला, नीला सूखा हो गया हो, आंखें और गाल बैठ गये हों, वह जवानी में ही बूढ़ा और रोगी मालूम पड़ रहा हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि अधिक उपयोगी है।


भूख का न लगना, पेचिश का दर्द, अरुचि, पतले दस्त, जीभ पर कांटे पड़ जाना, पेट में हवा भर जाना, जीभ में दर्द होना, जोर-जोर से डकार आना, मलद्वार में से जोर से हवा का निकलना, मीठी चीजों को खाने की इच्छा अधिक होना आदि लक्षण तथा इन लक्षणों के अतिरक्ति रोगी का मल हरा तथा आंव मिला हो रहा हो और मलत्याग करने पर हवा के निकलने के साथ मल के छींटे इधर-उधर पड़ रहा हो तो रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।


यदि किसी बच्चे की माता अधिक मीठी चीजें खाती हो और बच्चे को हरे रंग का पतला मल आ रहा हो और बच्चे को मलत्याग करते समय हवा निकलने के साथ मल के छींटे इधर-उधर पड़ रहा हो और यहां तक की मलत्याग करते समय फट-फट की आवाज सुनाई दें तो बच्चे के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि देना चाहिए और माता को मीठी चीजें खाने के लिए मना कर देना चाहिए।


जिन बच्चों को सूखे की बीमारी के साथ हैजा (कलरा इनफेंटम) रोग भी हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत ही उपयोगी है। अधिक मिठाई खाकर जिन बच्चों का पेट खराब हो गया हो उनके लिए भी आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभदायक है। पुरानी पेचिश के रोग में, जिसमें अन्तड़ियों में घाव होने का अनुमान हो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभदायक है।


विभिन्न रोगों में आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग :-


पेशाब से सम्बन्धित लक्षण :-


• मूत्र-नली की सूजन, दर्द और जलन होने पर रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभदायक है। पेशाब के साथ खून आता हो और पेशाब रुक-रुक कर होता हो तथा सूजाक रोग की अवस्था में जब मवाद आ रहा हो तो रोग को ठीक करने में आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उपयोगी है।

• स्त्रियों के सूजाक रोग और पीब युक्त प्रदर रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उपयोगी है। स्त्रियों के जरायु के मुंह में दर्द के साथ घाव होने और उसमें खून निकलने पर आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का उपयोग अधिक लाभदायक है।

• बेहोशी में दिन-रात पेशाब हो जाना, मूत्रनली में जलन होना, मूत्र नली में खुजली होना, मूत्रनली में कांटे गड़ने जैसा दर्द होना, पेशाब बहुत कम होना तथा गहरे रंग का होना। पेशाब करने के बाद भी पेशाब की कुछ बून्दें टपकती रहती हैं। पेशाब करते समय पेशाब की धार बंट जाती है, सूजाक रोग होना, पेशाब करते समय तेज दर्द होना तथा पेशाब में रक्त की मात्रा निकलना। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है। 


नाक से सम्बन्धित लक्षण :- सुंगध की पहचान न कर पाना, नाक में खुजली, नाक में कोई जख्म होना, नजला-जुकाम, इसके साथ ठण्ड अधिक लगना तथा आंख से आंसू निकलने के साथ सिर में दर्द होना। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।


गले से सम्बन्धित लक्षण :- गला बैठकर आवाज भारी हो जाने पर रोग का उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उपयोगी है।


लकवा से सम्बन्धित लक्षण :-


• कई प्रकार के लकवा रोग (पक्षाघात) को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उपयोगी है। 

• शरीर की नियमित क्रिया खराब हो जाने के कारण हाथ-पैरों का कड़ा और सुन्न पड़ जाना और उनमें तेज टीस की तरह दर्द होने पर रोग को ठीक करने में आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है। 

• बांयें फेफड़े और दिल में टीस मारने जैसा दर्द होना, सांस लेने में परेशानी होना, पीठ और पांव कमजोर तथा सुन्न पड़ जाना। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में है तो उसे आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि दी जा सकती है।

• हृदय रोग से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।

• लकवा रोग से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक कमजोरी हो तो आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभदायक होता है।


आमाशय से सम्बन्धित लक्षण :


• आमाशय का दर्द (पेट में दर्द), मन्दाग्नि (अपच) और आमाशय के घावों को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।

• अतिसार (दस्त) तथा पेचिश रोग को ठीक करने के लिए भी आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि उपयोगी है।

• उबकाई आना, जी मिचलाना, पेट के अन्दरुनी भाग में सूजन तथा दर्द होना, पेट के सभी भागों में दर्द होना, पेट में दर्द के साथ दान्तों से कुतरने जैसी आवाज सुनाई देना, पेट में जलन तथा सिकुड़न होना, डकार लेने का प्रयास करना लेकिन डकार न आना, मीठी चीजों की खाने की इच्छा करना, शरीर के बांई ओर की पसलियों के नीचे घाव होकर दर्द होना, आमाशय के अन्दर कंपन और अकड़न होना तथा पनीर और नमक खाने की इच्छा करना, इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है। 


पीठ से सम्बन्धित लक्षण :


• पीठ की बीमारी के साथ रोगी को बहुत अधिक आलस्य हो और इसके साथ ही हाथ के अगले भाग और पैर के निचले भाग में खासतौर पर तलुवों में थकान महसूस हो तो रोगी के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।

• पीठ में अधिक तेज दर्द होना, रात के समय में गर्दन पर तेज दर्द होना तथा रीढ़ के पिछले भाग में दर्द महसूस हो। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग करना चाहिए।


मिर्गी से सम्बन्धित लक्षण : मिर्गी रोग जिसमें रोगी को दौरे पड़ने के कई घंटे पहले ही रोगी की आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं तथा धनुष टंकार रोग (इस रोग के कारण रोगी का शरीर धनुष की तरह अकड़ जाता है) जिसमें रोगी को बहुत बेचैनी महसूस होती हो तो ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग करे। 


चेहरे से सम्बन्धित लक्षण :- गाल धंसा हुआ, बूढ़े जैसा दिखाई पड़ना, चेहरा पीला और नीला पड़ना तथा हडि्डयों के ऊपर की खाल तनी हुई महसूस होती है। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।


मुंह से सम्बन्धित लक्षण : मसूढ़े अधिक मुलायम हो जाते हैं जिनमें से रक्त का स्राव (खून निकलना) होना, जीभ पर छाले उभरना, जीभ के आगे का भाग लाल दिखना तथा दर्द होना, दान्तों में दर्द होना, जीभ का स्वाद तांबे और स्याही जैसा लगना, मुंह में घाव होना। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।


गले से सम्बन्धित लक्षण : गले तथा मुंह के अन्दर अधिक गाढ़ा श्लेष्मा (थीक मुसस) जमा हो जाना, जिसे रोगी को खखार कर मुंह से बाहर निकालना पड़ता है। गले में खरखराहट होना तथा दर्द होना, खाना को निगलते समय कांटे की तरह चुभन होना, गले के आन्तरिक हिस्से का लाल पड़ जाना, धूम्रपान करने वालों को नजला होना तथा इसके साथ ही गले के अन्दर बाल अड़ने जैसी गुदगुदी होना तथा दम घुटना। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।


पेट से सम्बन्धित लक्षण : पेट में दर्द, पेट का अधिक फूलना, आमाशय के बाई ओर की छोटी पसलियों के नीचे सुई की चुभन जैसा दर्द होना तथा पेट में घाव होना। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग का उपचार करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।


दस्त से सम्बन्धित लक्षण : मल पानी की तरह होना, आवाज तथा हवा के साथ मल का त्याग होना, हरा मल होना साथ ही पेट का अधिक फूलना, बदबूदार मल निकलना, खाना खाते ही तुरन्त दस्त हो जाना, पेय-पदार्थ पीने पर तुरन्त ही मलद्वार से पानी जैसा पदार्थ बाहर निकल जाना, मीठा खाने की इच्छा होना, मानसिक सन्तुलन ठीक न होना तथा मलद्वार में खुजली होना। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का प्रयोग करना लाभदायक होता है।


पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- नपुंसकता रोग होना, सम्भोग की चेष्टा करते ही लिंग ढीला पड़ जाना, कैंसर रोग होना, सम्भोग की इच्छा नहीं होना, जननांग सिकुड़ जाना, सम्भोग करते समय दर्द महसूस होना आदि लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।


स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :


मासिक धर्म शुरू होने पर आंतों में दर्द होना, स्तनों के पास दर्द होना, रात के समय में सम्भोग क्रिया करने की उत्तेजना अधिक होना, मासिकधर्म में अधिक मात्रा में रक्त का स्राव होने के कारण योनि का छिल जाना, किसी भी समय रक्त का स्राव होना, मासिकधर्म के दो सप्ताह बाद गर्भाशय के ऊपरी झिल्ली से रक्त का स्राव होना तथा बाई डिम्बग्रन्थि का दर्दनाक रोग। इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि लाभकारी है।


श्वास संस्थान रोग से सम्बन्धित लक्षण :


ऊंची आवाज में बोलने पर खांसी होना, पुरानी खराश, दम घुटने वाली खांसी होना, गले के अन्दर कई बाल अड़ने जैसा अनुभव होना, सांस लेने में परेशानी होना, छाती का ठोस महसूस होना, धड़कन तथा नाड़ी का अनियमित और रुक-रुककर चलना, दांई तरफ शरीर को करके लेटने में परेशानी महसूस होना, छाती में तेज दर्द होना, हृदय के रोग, इन लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि बहुत उपयोगी है।


त्वचा रोग से सम्बन्धित लक्षण :


त्वचा में खिंचाव होना, त्वचा मुरझाई हुई लगना, त्वचा का शुष्क हो जाना तथा त्वचा पर चकत्ते से निशान हो जाना आदि लक्षण यदि रोग में तो इसका उपचार आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि से करना चाहिए।


अनिद्रा रोग से सम्बन्धित लक्षण :


नींद न आना, बहुत अधिक सोचने के कारण नींद न आना, सांपों के सपने देखना आदि लक्षण यदि रोगी में है तो इसका उपचार आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि से हो सकता है।


ज्वर (बुखार) से सम्बन्धित लक्षण :


ठण्ड के साथ जी का मिचलाना, शरीर पर वस्त्र न डालने पर ठण्ड लगना और बुखार हो जाना तथा घुटन महसूस होना जैसे लक्षण यदि रोगी में हो तो इसका उपचार आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि से कर सकते हैं।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि और लिलियम औषधि में तुलना :


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि और लिलियम औषधि में समान गुण पाये जाते हैं क्योंकि दोनों औषधियों में गर्भाशय की बीमारी को ठीक करने की शक्ति होती है। यदि रोगी उत्तेजना में आकर पतले दस्त कर रहा हो तो इन दोनों ही औषधियों से यह रोग ठीक हो सकता हैं। यदि लक्षणों के अनुसार एक औषधि का प्रयोग एक दूसरे की तुलना में उपयुक्त न लगे तो आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का उपयोग करना ही उचित होता है। ऐसा इसलिए उचित रहता है क्योंकि खनिज औषधियों का प्रभाव कई वर्षों तक रहता है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का सल्फर या कास्टिम औषधि से तुलना :


पीठ और बाहरी अंगों पर आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का असर बहुत अधिक होता है। जब किसी रोगी के कमर में दर्द हो रहा हो, खड़े होने या चलने पर यह दर्द घट जाए लेकिन अपनी जगह से उठने पर दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता हो तो रोगी के रोग को ठीक करने के लिए सल्फर औषधि बहुत उपयोगी है लेकिन इस प्रकार के लक्षण से पीड़ित रोगी का उपचार आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि से भी हो सकता है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि की तुलना :


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि के गुणों की तुलना नाइट्र-एसिड, नेट्रम्-म्यूर, आरम और क्यूप्रम औषधि से कर सकते हैं।


वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :


ठण्डा खाना, चीनी खाना, आइसक्रीम खाना, ठण्डी हवा में रहने तथा अधिक मानसिक परिश्रम का कार्य करने पर आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि अधिक करना पड़ सकता है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि की ह्रास :


खुली हवा में रहने, चेहरे पर हवा की झोंक अच्छी लगने तथा ठण्डे पानी से नहाने पर आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का असर कम हो जाता है।


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि के दोषों को दूर करना :


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि का बहुत अधिक दुरुपयोग किया गया हो तो उसके विष के प्रभाव को नष्ट करने के लिए नेट्रम्यूरियेटिकमऔषधि का उपयोग करना चाहिए। उस समय तो नेट्रम्यूरियेटिकम औषधि का उपयोग और भी जरूरी हो जाता है, जब श्लैष्मिक झिल्ली रोग ग्रस्त हो गई हो।


मात्रा :


आर्जेन्टम नाइट्रिकम औषधि की तीसरी से तीसवीं शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें